कुछ रिश्तों का नमक ही दूरी होता है' जिसने भी लिखा है, ख़ूब लिखा है. रिश्तों में नज़दीकियां बनी रहें, इसके लिए बेहद ज़रूरी है कि रिश्तों में थोड़ी दूरी आए. यह दूरी दिल से दूरी वाली नहीं होती, बल्कि एक इंसान की ज़िंदगी में उसे कुछ स्पेस देने वाली दूरी होती है, जिसमें आप जिसे बेहद प्यार करते हैं, अगर उन्हें समझते हैं तो आप उनकी ज़रूरतों को भी समझेंगे और यह भी समझेंगे कि कई बार प्यार में स्पेस देना, बेहद ज़रूरी है. दरअसल, हर रिश्ते की नींव विश्वास पर टिकी होती है. साथ ही, इस बात पर भी कि हम सामने वाले इंसान को कितनी अच्छी तरह समझते हैं. यह रिश्ता कोई भी रिश्ता हो सकता है, दोस्तों के बीच, पति-पत्नी के बीच या फिर मां या पिता और बच्चे के बीच भी. सबकुछ कह देना, सबकुछ सुन लेना और सबकुछ एक दूसरे के बारे में जबरन जान लेने में फ़र्क़ होता है. कई बार इंसान कह नहीं पाता, लेकिन उसे अपना स्पेस चाहिए होता है, लेकिन हम इस क़दर रिश्तों पर हावी हो जाते हैं कि उन्हें स्पेस देने को तैयार नहीं होते. ऐसे में फिर वह रिश्ता ज़बर्दस्ती का ही रिश्ता बना रह जाएगा. आइए, आपको बताएं कि आख़िर हर रिश्ते में पर्सनल स्पेस की ज़रूरत क्यों होती है या रिश्तों में स्पेस क्यों दिया जाना चाहिए.
न बनें बच्चों के हेलीकॉप्टर पैरेंट्स
अमूमन हमारे घर के बड़े इस बात के लिए राज़ी नहीं होते कि उन्हें अपने बच्चों को थोड़ा सा स्पेस देना चाहिए. कई पैरेंट्स तो हेलीकॉप्टर की तरह हरदम बच्चों के सिर पर मंडराते रहते हैं. जबकि वह भूल जाते हैं कि एक निर्धारित समय के बाद, आपके बच्चों को थोड़ा स्पेस चाहिए. कई पैरेंट्स बच्चों के समझदार होने के बावजूद, उन पर ऐसी पाबंदियां लगा कर बैठते हैं कि वे अपने फ़ोन का पासवर्ड भी सेट नहीं कर सकते हैं. ख़ासकर कई लड़कियों के पिता ऐसा करते हैं. और इस वजह से ऐसी लड़कियां तनाव में रह कर, कई मानसिक बीमारियां पाल लेती हैं. हां, यह सही है कि आप अपने बच्चों पर पूरी निगरानी रखें. लेकिन अपने बच्चे के व्यवहार को भी आपको ही समझना होगा. आप इस तरह हर वक़्त उन्हें डिक्टेट करेंगे तो निश्चित तौर पर वे आपसे खुल के बातें शेयर नहीं करेंगे. अगर आपकी बेटी आपसे थोड़ा स्पेस मांग रही है तो हो सकता है कि वह क्रिएटिव हो और कुछ क्रिएटिव सोचने के लिए ही ऐसा सोच रही हो. तो अपनी बेटी के दिल की बात को समझिए और उसे स्पेस दीजिए. यक़ीन मानिए, आपके ऐसा करने से वह आपको दोस्त ही मानेगी.
जासूसी करने के लिए आपको अपना रिश्ता ही मिला है क्या?
भले ही आपने टीवी पर कई क्राइम शो देखे हों और आपका दिमाग़ हमेशा अलग ही दिशा में चलता हो. लेकिन जनाब, इतना तो याद रखें कि आपकी ज़िंदगी में आपके अपनों की कितनी ख़ास अहमियत है. ऐसे में पति-पत्नी दोनों को ही चाहिए कि वे अपने हमसफ़र को उनके तरीक़े से जीने दें. हर वक़्त उन पर सवार न रहें. हमेशा जासूसी वाले कारनामे और दिमाग़ी खुरपेंच में न फंसें. अगर आपके पति की हॉबी में आपको दिलचस्पी नहीं है तो कोई बात नहीं, उन्हें अपनी हॉबी छोड़ने को न कहें. आपकी वजह से अगर वह अपना फ्रेंड सर्कल ख़त्म कर रहे हैं, क्योंकि उनके दोस्त आपको पसंद नहीं हैं तो यह बिल्कुल सही नहीं है. अगर आपको पसंद नहीं तो आप दूर रहें, लेकिन उन्हें अपने दोस्तों के साथ एन्जॉय करने दें. ठीक उसी तरह हज़्बंड्स को भी समझना होगा कि पत्नी का हर फ्रेंड उसका बॉयफ्रेंड नहीं होता. हर वक़्त शक़ के सुई उन पर आज़माना, उनकी ज़िंदगी में हद से ज़्यादा दख़ल देना, उनके कपड़े से लेकर उनकी हर चीज़ को अपने हिसाब से तय करना भी सही नहीं है. वह जैसी हैं और ज़िंदगी में जो करना चाहती हैं, उन्हें करने दें. दोनों ही अपने रिश्तों को ख़ास तभी बना सकते हैं, जब उसमें प्यार बरक़रार रहे. एक दूसरे के सम्मान के लिए एक दूसरे को स्पेस दें.
और हां, अगर आपको एक दूसरे के पासवर्ड मालूम हैं, तब भी फ़ोन पर सर्जिकल स्ट्राइक न करें. इससे सिर्फ़ ग़लतफ़हमियां ही बढ़ेंगी.
दोस्तों की भी एक सीमा होती है
कई बार हम अपने दोस्तों की ज़िंदगी से इस क़दर ख़ुद को जोड़ चुके होते हैं कि आपका दोस्त चाह कर भी आपसे दूरी नहीं बना पाता है. कई बार ज़िंदगी में ऐसा वक़्त आता है, जब स्थिति सामान्य नहीं होती है और उस वक़्त अगर आपका दोस्त कहे कि उसे थोड़ा स्पेस चाहिए तो इस बात पर उससे नाराज़ होने की बजाय, उनकी मनोदशा को समझते हुए, उसे वह स्पेस देना चाहिए. यह बात आपकी दोस्ती को एक नई शुरुआत और ताज़गी देने का काम करेगी.
प्यार किया है कोई चोरी नहीं तो सीनाजोरी क्यों?
कई बार दोस्त जब प्रेमी-प्रेमिका बन जाते हैं तो दोनों ही एक दूसरे की ज़िंदगी को रूल करना चाहते हैं. फिर उनको लगता है कि हम दोनों के अलावा दुनिया में कुछ और है ही नहीं. लेकिन हक़ीक़त में, कुछ दिन बाद ही वे एक दूसरे से ही बोर होने लगते हैं. इसलिए ज़रूरी नहीं कि आप प्रेमी-प्रेमिका हैं तो एक दूसरे की ज़िंदगी से जुड़ी हर बात आपको पता होनी ही चाहिए. आप अगर एक दूसरे को समझते होंगे तो फिर ट्रस्ट इश्यू को कभी स्पेस नहीं दिया जाना चाहिए. याद रखें, आप अब साथ आए हों, लेकिन हैं आप दो अलग-अलग इंसान हैंऔर ज़ाहिर है, दोनों का व्यवहार अलग होगा. इसलिए जो जैसा है उसे वैसे ही स्वीकारें.
कभी अपने लिए भी वक़्त निकालें
हफ़्ते में एक बार सबसे अलग, अपने लिए सिर्फ़ अपने साथ समय बिताएं. अपने लिए पर्सनल स्पेस भी ज़रूरी है, ऐसे में आप ख़ुद को बेहतर तरीक़े से डिस्कवर कर पाते हैं.