किसी विषय पर जरूरत से ज्यादा सोचना यानी ओवर थिंकिंग, कोई मानसिक बीमारी नहीं है, लेकिन इससे आपको कई मानसिक और भावनात्मक समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में जितनी जल्दी हो, इससे दूरी बना लेने में ही आपकी भलाई है। आइए जानते हैं किस तरह इससे दूरी बनाकर आप अपने टूटते रिश्तों को सुधार सकती हैं।
विचारों पर मानसिक ऊर्जा खर्च करना ठीक नहीं
अक्सर ऐसा होता है कि जो चीजें हुईं भी नहीं हैं, उसके बारे में जरूरत से ज्यादा सोचकर ही उन्हें हम अपने दिमाग में इतना बड़ा कर देते हैं कि वो हमारे साथ दूसरों के लिए भी समस्या का विषय बन जाती हैं। हालांकि यदि सही समय पर इस समस्या का समाधान न किया जाए तो ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य के साथ हमारे रिश्तों के लिए भी खतरा बन जाती हैं। आम तौर पर ओवर थिंकिंग एक सामान्य बात है, लेकिन नकारात्मक ओवर थिंकिंग या जिसे सोचने से आपकी मानसिक ऊर्जा अधिक खर्च हो, ये सामान्य बात नहीं है। हालांकि कई बार ऐसा भी होता है कि आप अपने विचारों में इस कदर खो जाते हैं कि आपको एहसास ही नहीं होता कि आप ओवर थिंकिंग के जाल में उलझ चुकी हैं। फिर होता ये है कि इसकी वजह से न आपका कहीं दिल लगता है, न दिमाग। और तो और रातों की नींद भी आप खो बैठती हैं।
ओवर थिंकिंग की बजाय मूल्यांकन कीजिए
याद रखिए, अपने विचारों में उलझकर अपनों से अलग-थलग पड़े रहना या उनसे दूरी बना लेना आपको मानसिक रूप से ही नहीं भावनात्मक रूप से भी कमजोर कर सकता है। ऐसे में सबसे पहले अपने विचारों पर फुल स्टॉप लगाते हुए भविष्य की चिंता करना छोड़ दीजिए। विशेष रूप से उस विषय पर तो बिलकुल मत वक्त गंवाइए, जिस पर आपका कोई वश नहीं। इसके लिए आप कुछ टिप्स भी अपना सकती हैं, जैसे जब कोई बात आपके दिमाग को परेशान करने लगे तो उस पर घंटों बैठकर सोचने से पहले उसका मूल्यांकन कीजिए। आप चाहें तो ओवर थिकिंग से बचने के लिए अपना ध्यान उन कामों में भी लगा सकती हैं, जिसमें आपकी रूचि है। यदि कोई काम करने का मन न हो तो उस दौरान कोई मनपसंद संगीत सुन लीजिए। यकीन मानिए इस तरह ओवर थिंकिंग से बचने की कोशिश में आपका दिमाग भी आपकी मदद करेगा और वो आपकी समस्या का समाधान निकालने के बेहतर तरीके ढूंढने लगेगा।
अपनों की मदद लीजिए
ओवर थिंकिंग से बचने के लिए आप अपनों की मदद भी ले सकती हैं। उदाहरण के तौर पर जब कोई बात आपको परेशान करने लगे तो अपने किसी दोस्त, रिश्तेदार, परिचित या राजदार से अपने दिल की बात शेयर कर लीजिए और उसे बताइए कि आपको क्या बात परेशान कर रही है। हो सकता है उनकी बातें आपके सोचने का नजरिया बदल दे और आप ओवर थिंकिंग के जाल में फंसने से बच जाएं। यह भी हो सकता है कि किसी अपने के कारण ही आपने ओवर थिंकिंग को गले लगा लिया हो। ऐसी स्थिति में तो आपको बिना देर किए उनसे अपनी अपने दिल की बात शेयर करनी चाहिए। उन्हें यह भी बताइए कि आपको उनकी कौन सी बात बुरी लगी है। इससे भविष्य के लिए उन्हें भी एक चेतावनी मिल जाएगी और आप उनकी तरफ से निश्चिंत हो जाएंगी। हालांकि उनसे अपने दिल की बात शेयर करते वक्त ये मत सोचिए कि कहीं वे आपके बारे में कुछ और न सोचने लगे, वरना एक समस्या से निकलने से पहले ही आप एक और समस्या में फंस जाएंगी।
ध्यान और प्राणायाम भी है विकल्प
हो सकता है कि आप अपने विचारों में इस कदर गुम हैं कि किसी से भी बात करने का आपका मन नहीं हो रहा तो अपने विचारों को सही दिशा देने के लिए ध्यान या प्राणायम का सहारा लीजिए। सिर्फ 10 मिनट के लिए किसी एकांत जगह पर आप ध्यान लगाकर बैठ जाइए। यकीन मानिए नकारात्मक दिशा में बह रहे आपके विचार, सकारात्मक दिशा में बहने लगेंगे और आपको अपनी समस्या का एक बेहतर समाधान मिल जाएगा। हालांकि यदि आपको लग रहा है कि आपकी समस्या अब आपे से बाहर हो चुकी है, तो ऐसी स्थिति में आप किसी अच्छे थेरेपिस्ट की मदद ले सकती हैं। किसी प्रोफेशनल थेरेपिस्ट से बात करके न सिर्फ आपको अच्छा लगेगा, बल्कि भविष्य में होनेवाली मेंटल परेशानियों का भी समाधान मिल जाएगा। दरअसल एक प्रोफेशनल थेरेपिस्ट आपको अतीत की बीती परेशानियों से ही बाहर नहीं निकालता, बल्कि भविष्य को लेकर आपके दिल में जो डर बैठा है, उसे भी दूर करता है।