पुरानी कहावत है, लेकिन आज भी प्रासंगिक है कि शादियां केवल दो लोगों की नहीं, बल्कि पूरे परिवार की होती है. फिर भले ही आपने लव मैरिज की हो या अरेंज्ड मैरिज की हो, जब आप एक दूसरे से जुड़ते हैं तो आपके साथ पूरा परिवार जुड़ता है और उस परिवार में कई मिज़ाज के लोग होते हैं. ज़ाहिर है सबकुछ आपके मुताबिक़ नहीं होगा, लेकिन हर दिन छोटी-छोटी बातों पर बहस करने से बेहतर है कि ऐसे रास्ते चुने जाएं, जिसमें आप अपने पति के परिवार वालों से अच्छे रिश्ते क़ायम करने में कामयाब हो सकें. वही एक पति को भी चाहिए कि वह अपनी पत्नी के परिवार वालों पर वैसे ही प्यार लुटाएं, क्योंकि रेस्पेक्ट हमेशा म्युचअल होता है. दोनों ही एक दूसरे के परिवार को ख़ुश रखने की कोशिश में कुछ ज़रूरी क़दम उठा सकते हैं. तो आइए जानें कुछ ऐसे तरीक़ों के बारे में, जिससे आपके रिश्ते में परिवार वालों की वजह से दूरियां नहीं आएंगी.
एक दूसरे के परिवार में लें दिलचस्पी
ऐसा हरगिज़ नहीं हो सकता है कि केवल लड़की ही अपने पति के परिवार में दिलचस्पी दिखाए. ये वाला प्यार और सम्मान एकतरफ़ा हो ही नहीं सकता. इसलिए लड़का और लड़की दोनों को ही कोशिश करनी चाहिए कि अपने ससुराल वालों में वे दिलचस्पी दिखाएं. आपकी ज़िंदगी में उनकी अहमियत है, यह जताने की कोशिश करें. एक दूसरे के परिवार वालों से, जब भी मौक़ा मिले बातचीत करें. इससे उन्हें यह महसूस होगा कि आप उनके लिए अहम् हैं तो वे आपकी बात को भी समझेंगे.
उन्हें विपक्ष मान कर, हर बात पर रिऐक्ट करना है बड़ी भूल
शादी के बाद अमूमन ऐसा होता है कि हम पहले से ही मान कर बैठ जाते हैं कि हमारे ससुराल वाले जो भी कह या कर रहे हैं, उसमें कोई न कोई साज़िश छुपी होगी, कुछ न कुछ गड़बड़ ही होगा. ऐसी सोच रखने से भी आपको मानसिक रूप से अशांति ही मिलेगी. ज़रूरी है कि आप पहले से कोई अनुमान लगा कर न बैठें. हो सकता है कि उनकी बातें, आपकी भलाई के लिए ही हों, उनकी बातों को हमेशा ग़लत तरीक़े से समझना सही नहीं है. लड़का हो या लड़की , दोनों को ही यही कोशिश करनी चाहिए कि वे दोनों के पैरेंट्स को सम्मान दें.
ईगो रखना सही नहीं, थोड़े फ़्लेक्सिबल हो जाएं
यह हमारा आम स्वभाव होता है कि हम कई बार अपनी बातों पर इस क़दर अड़ जाते हैं कि हमें सामने वाली की बात समझ नहीं आती. कई बार हम छोटी-छोटी मटीरियलिस्टिक बातों के लिए भी, अपनों की परवाह नहीं करते. रिश्तों में यह करना सही नहीं है. इसलिए आपकी कोशिश होनी चाहिए कि हर बार ईगो को लेकर न बैठें, कभी आप भी प्यार से झुक जाएं. याद रखें कि यह आपका परिवार है, कोई जंग का मैदान नहीं. यहां हर छोटी-छोटी बात हार और जीत की नहीं होती है.
एक दूसरे को समझने का वक़्त दें
ज़ाहिर है कि हर इंसान की अपनी ख़ूबियां और ख़ामियां रहती ही हैं. ऐसे में आप अपने ससुराल के सदस्यों को आपको और आप उनको समझने की कोशिश करें, समय लें. एक दूसरे के साथ सुबह का समय बिता लें, कभी शाम के वक़्त आउटिंग पर या फिर किसी पार्क में ही चली जाएं. धीरे-धीरे एक दूसरे को समझने में वक़्त लगेगा, लेकिन दोनों ही एक दूसरे की ख़ूबियों और कमियों को समझ पाएंगे, जान पाएंगे, पसंद-नापसंद से रूबरू हो पाएंगे. इसलिए एक दूसरे के लिए एक ही दिन में या एक ही महीने में समझना है, जैसी ग़ैर व्यावहारिक डेड लाइन बना कर न रखें.
स्पेशल मोमेंट्स को स्पेशल बनाएं
सर्प्राइज़ किसको अच्छे नहीं लगते हैं, फिर उम्र चाहे जो भी हो. लड़के को लड़की के परिवार वालों की और लड़की को भी लड़के के परिवार वालों के स्पेशल मोमेंट्स को ख़ास बनाने के लिए, जैसे- जन्मदिन और एनिवर्सरी जैसे ख़ास दिनों पर सर्प्राइज़ प्लान करना चाहिए. आप ख़ुद देखेंगे या देखेंगी कि वे आपके क़रीब आना शुरू होंगे.
न आए इनसिक्योरिटी
यह अमूमन लड़कों की मांओं के साथ होता है कि वे कई बार अपने बेटे की पत्नी से इस बात को लेकर इनसिक्योर हो जाती हैं कि शायद अब उन्हें अपना प्यार बांटना होगा. कई मम्मियां इस बात को लेकर पज़ेसिव होती हैं कि उनका बेटा सिर्फ़ उनका है. ऐसे में आपको धैर्य से रहने की ज़रूरत है. शुरुआत में आप उनकी इस मनोस्थिति को समझने की कोशिश करें. उन्हें उनके बेटे के सामने प्राथमिकता दें, अपने बेटे को भी समझाएं कि वे अपनी मां को इग्नोर न करें. वह पहले अपनी मां को प्राथमिकता दें. धीरे-धीरे वे ख़ुद ही इस बात से वाक़िफ़ हो जाएंगी कि आप भी उनका सम्मान करती हैं और आपका रिश्ता गहराता जाएगा.
शिकायत नहीं
अमूमन रिश्तों में दरारें शिकायतों से ही आती है. इसलिए आप भी कोशिश करें कि आप एक दूसरे के परिवार वालों की शिकायत न करें. मान लीजिए, आपके सास-ससुर आपकी शिकायत करें भी तो इग्नोर करने की कोशिश करें. इस बारे में भी सोचें कि उनकी और आपकी जेनेरेशन में बहुत फ़र्क़ है तो सोच में भी फ़र्क़ होगा ही. उनकी बातों की दिल से लगाने की बजाय उन्हें गले से लगा लीजिए. यक़ीन मानिए, जीत प्यार की ही होगी.