भरोसा एक ऐसा विश्वास है जो किसी भी रिश्ते की खूबसूरती को और निखार देता है। अगर रिश्ते में विश्वास नहीं है, तो संबंध बेजान हो जाता है। पार्टनरशिप के लिए भरोसा ही उस रिश्ते की नींव होता है। फिर चाहे वह पार्टनरशिप किसी बिजनेस से जुड़ी हो या फिर दोस्ती और प्यार के रिश्ते से बंधी हुई पार्टनरशिप क्यों न हो, विश्वास के साथ अपने पार्टनर के साथ जीवन की किसी भी जंग को जीत सकती हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि किसी भी पार्टनरशिप में भरोसे का क्या महत्व होता है।
क्यों जरूरी है रिश्ते में भरोसा होना
बिना विश्वास के आप किसी भी रिश्ते को लंबे समय तक खुद के पास संभाल कर नहीं रख सकती हैं। भरोसा होना आपके रिश्ते के बीच आने वाली सारी बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है। विश्वास रिश्तों को बेहतर बनाने के साथ आपके जीवन में भी खुशियां और सकारात्मकता लेकर आता है। कोई भी संबंध दो लोगों के बीच पार्टनरशिप यानी कि साझेदारी दिखाता है। जो लोग एक दूसरे पर यकीन नहीं करते हैं, उनके रिश्ते की नींव नकारात्मकता से शुरू होती है। नकारात्मक विचार उनके रिश्ते पर हावी होते हैं। यह भी माना जाता है कि विश्वास के आधार पर टिका रिश्ता आपके जीवन में सकारात्मकता को लेकर आता है और आप जीवन के हर मुश्किल पड़ाव को एक साथ आसानी से एक दूसरे के भरोसे आसानी से पार कर लेते हैं।
खुलकर बात करने का मिलता है मौका
पार्टनरशिप में भरोसे का सबसे बड़ा महत्व यह होता है कि आपको किसी भी बात को बिना किसी झिझक कर कहने के लिए एक सहारा मिलता है। खासकर तब जब आप अपने जीवन के बुरे दौर से गुजर रहे हैं, तब किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश होती है, जो कि आपके दिल की बात को सुन सके, जिस पर आप भरोसा करके उन बातों को साझा कर सकती हैं, जो आप किसी और से बताने में हिचक महसूस करती हैं। भरोसा आपके मानसिक तनाव को भी कम करता है, क्योंकि जब भी आप किसी मानसिक तनाव में होते हैं, तो आप उस इंसान के साथ अपनी समस्या साझा करते हैं, जिस पर आप आंख बंद करके भरोसा करते हैं। भरोसे के आधार पर खुलकर की गई बातचीत पार्टनरशिप को मजबूत बनाती है।
भरोसे के आधार पर ही मिलती है माफी
पार्टनरशिप होने का यह अर्थ नहीं है कि आप एक दूसरे के साथ बहस न करें या फिर एक दूसरे नाराज नहीं हो सकते हैं। रिश्ता में कहा-सुनी होना साधारण बात है, लेकिन मामला तब गंभीर बन जाता है, जब विवाद होने के बाद उसमें माफी की कोई जगह न हो और माफी मिलने का आधार भरोसा ही होता है। भरोसे के आधार पर ही आपका पार्टनर आपको किसी भी बड़ी-छोटी गलती पर माफी देता है। कई बार कई छोटी गलतियां माफी के आधार पर पार्टनरशिप में नजरअंदाज भी हो जाती हैं। रिश्ते का पहला पड़ाव भी भरोसे से होकर गुजरता है और रिश्ता अंत होने की वजह भी कहीं न भरोसा का खत्म होना होता है। इसलिए रिश्ते की उम्र बढ़ाने के लिए भरोसा होना अहम है।
भरोसे से मुश्किलें होती हैं आसान
पार्टनरशिप में विश्वास होने से कई बड़ी मुश्किलें सुलझ जाती है या फिर आपको विश्वास में बंधा हुआ ऐसा रिश्ता मिलता है, जो कई बार आपके अंधेरे जीवन में प्रकाश लेकर आता है। खासकर आर्थिक समस्याओं के दौरान भरोसा के आधार पर ही आपको एक बड़ा सहारा मिल जाता है। अगर आप किसी अनजान शहर में हैं और वहां पर आपका दोस्त मौजूद है, तो भरोसे के आधार पर ही आप अपने दोस्त के घर पर रूकना पसंद करेंगे या फिर आपका दोस्त ही भरोसे के आधार पर ही आपको अपने घर में रुकने के लिए स्थान देगा। यहां तक कि भरोसे पर ही आपको किसी भी मेडिकल इमरजेंसी के दौरान आर्थिक सहायता के दौरान लाखों रूपए मिल जाते है। हमारा कहना यही है कि पार्टनरशिप में भरोसा का दिया आपको जीवन के हर बड़े- छोटे अंधकार से बाहर निकाल कर लाने में बड़ी भूमिका निभाता है।
रिश्ते में भरोसा न होने का नकारात्मक असर
विश्वास न होना या फिर विश्वास की कमी आपके रिश्ते में अस्वस्थ और अस्थिर गतिशीलता को जन्म देती है। अगर आपको पार्टनरशिप में भरोसा नहीं है, तो सबसे पहली भावना रिश्ते से असुरक्षा की आती है। सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि आप विश्वास न होने पर अपने रिश्ते को अंदरूनी तौर पर जहरीला बनाते जाते हैं। विश्वास न होने पर एक दूसरे पर हर छोटे-बड़े मामले पर आरोप लगाने वाला बर्ताव होने लगता है। आपको सामने वाला व्यक्ति हर मामले में गलत दिखाई देता है। उसकी किसी भी बात पर यकीन नहीं होता है। इसका नतीजा यह होता है कि आप में विश्वासघात की भावना जगने लगती है। साथ ही जरूरत के समय से आप खुद भावनात्मक तौर पर अधूरा मानने लगते हैं। खासकर तब आपको अकेला महसूस होता है, जब आप खुद को जीवन के सबसे कठिन पड़ाव पर अकेला खड़ा हुआ पाते हैं और आपके पास कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं रहता, जिसके साथ आप भरोसे के साथ अपनी तकलीफ को बयान कर सकें। भरोसा न होने पर पार्टनरशिप में आपके रिश्ते में केवल घुटन, दर्द, अकेलापन रह जाता है। आप खुद को तनाव की तरफ धकेलने लगते हैं।
पार्टनरशिप में विश्वास को बढ़ाने के लिए अपनाएं ये तरीका
पार्टनरशिप में विश्वास बढ़ाने के लिए सबसे जरूरी है कि आप कुछ जरूरी बातों को गांठ बांधकर रखें। सबसे पहले इस बात को जरूर समझें कि विश्वास के बिना आप किसी भी रिश्ते को खुद से जोड़कर नहीं रख पायेंगी। इसलिए जरूरी है कि आप कुछ बातों को अवश्य ध्यान रखें आपको अपने रिश्ते में सच्चाई को आधार बनाना होगा। क्योंकि किसी भी तरह की पार्टनरशिप के लिए सच्चाई जरूरी है। अगर रिश्ते में बनावटीपन आ जाता है, तो आपके लिए रिश्ता केवल नकलीपन बन कर रह जाएगा। अपनी रिश्ते में सच्चाई बरकरार रखने का यह तरीका है कि आप कभी भी झूठ का सहारा न लें। अगर आपको कोई बात बुरी लगती है, तो अपनी बात को सहज तरीके से सामने वाले व्यक्ति के सामने प्रस्तुत करें। इससे आप अपना रिश्ता मजबूत कर पाती हैं। रिश्ते में सच्चाई लाने के लिए आप अपने पार्टनर से किसी भी बात को लेकर पर्दा न करें। साथ ही अगर आपको अपने पार्टनर की कोई बात खटकती है, तो उसे भी मन में दबाने की कोशिश न करें। जब आप किसी बात को सामने वाले व्यक्ति को बताने की बजाए मन में रखती हैं, तो इससे आप वक्त के साथ अपने मन में सामने वाले व्यक्ति के लिए नकारात्मक माहौल पैदा करती हैं। जो कभी भी आपके रिश्ते की बुनियाद को पक्का नहीं कर पाएगा।
सहानुभूति दिखाना
साथ ही आप यह भी तरीका अपना सकती हैं कि सामने वाले व्यक्ति के प्रति सहानुभूति दिखाना। इसे भावनात्मक तौर पर कनेक्ट करना कहते है, जहां आप अपने पार्टनर के प्रति सहानुभूति दिखाते हैं। खासकर उस वक्त जब उसे भावुक तौर पर आपकी सबसे अधिक जरूरत होती है। यह भी जरूरी है कि आप कभी भी अन्य दोस्तों या फिर परिवार के बीच अपने पार्टनर के साथ बुरे तरीके से बर्ताव नहीं करें। अगर आप दूसरों के सामने अपने पार्टनर के साथ बुरे तरीके से बर्ताव करती हैं, तो इससे आप अपने पार्टनर के जीवन में खुद के प्रति भय और अविश्वास का वातावरण निर्माण करते हैं, जो कि आपके रिश्ते को निर्जीव बना देता है।
बातचीत न हो बंद
पार्टनरशिप में एक वक्त के दौरान दूरी आ जाती है। कई लोग ऐसे होते हैं, जो कि 4 से 5 साल अपने रिश्ते को वक्त देते हैं, लेकिन एक समय के बाद रिश्ते को वक्त नहीं दे पाते हैं। मामूली से भी झगड़े पर बातचीत बंद हो जाती है। ऐसा करना आपके रिश्ते में विश्वास को खत्म करने लगेगा। जरूरी है कि किसी भी तरह के छोटे और बड़े विवाद के दौरान बातचीत को बंद न करें, हालांकि आप एक दूसरे को किसी बात पर बहस होने पर स्पेस दे सकती हैं। स्पेस देने से आप अपने रिश्ते में फिर से विश्वास को जोड़ सकती हैं, लेकिन इतना ध्यान रखें कि स्पेस देने के बाद आप फिर से बातचीत करके मामले को सुलझाने की कोशिश करें। सिर्फ अपनी बात न बोलें, बल्कि सामने वाले व्यक्ति को सुने भी। जब भी कोई विवाद होता है, तो कोशिश करें उस मामले को विवाद के दिन ही सुलझा लें। ऐसा करने से आप अपने रिश्ते में विश्वास के आधार को कमजोर होने नहीं देंगे। याद रखें कि बिना विश्वास के किसी भी तरह की पार्टनरशिप अंदरूनी तौर पर खोखली रहती है।