आप ऑफिस में कुछ समय बीता चुकी हैं और आपके बॉस का भी विश्वास कुछ हद तक जीत चुकी होती हैं, तो किसी न्यू ज्वाइनी के आने पर आपको उनका ‘ऑन बोर्ड बडी’ घोषित किया जाता है, जिसका मतलब यह है कि आप उस नए ऑफिस में उनके साथी बनेंगे और नए ऑफिस में होने वाली किसी भी परेशानी को सुलझाने में मदद करेंगी, तो आखिर आपका ऑफिस में दाखिल होने वाले उस ज्वाइनी के साथ बर्ताव कैसा हो, आइए जानते हैं विस्तार से।
ताकि कंपनी को लेकर कोई गलतफहमी न हो
एक अध्ययन में यह पाया गया है कि जिन कम्पनी में भी ऑनबोर्डिंग कार्यक्रम को मजबूत रखा गया है, वहां कम्पनी को लेकर जो पहले से अवधारणा होती है या शुरुआत में किसी भी तरह की गलतफहमी होती है, उसमें एक बडी के रहने से लगभग 80 प्रतिशत उन्हें दूर करने में मदद मिलती है। एक तरह से देखें तो हर कंपनी अपने नए कर्मचारियों को अपने माहौल के साथ सहज करने के लिए यह तरीका अपनाते हैं। यह उन कंपनियों के लिए एक बेहतर प्रणाली का काम करती हैं, जहां काफी जटिल टीम स्ट्रक्चर है। साथ ही कई टीम एक साथ काम करती हो। आंकड़े बताते हैं कि केवल 3 में से 1 कर्मचारी यह महसूस करता है कि उसे अपने प्रयासों के लिए नियमित मान्यता प्राप्त होती है, वहीं खराब कॉरपोरेट कल्चर के कारण 43 फीसदी कर्मचारी नई नौकरी की तलाश कर रहे होते हैं, ऐसे में अगर शुरुआती दौर में आपके बडी ने आपका रिश्ता कंपनी के साथ सहज बना दिया, तो आपको इस परेशानी से सुलझने में आसानी होती है।
लंच ब्रेक के समय असहजता
अमूमन पूरे ऑफिस के घंटों में सबसे कठिन समय तब होता है, जब लंच ब्रेक होता है, तो नए लोगों के साथ संकोच में कई बार आप यह कह देते हैं कि मुझे भूख नहीं है, ताकि आपको सबसे मिलने वाली परेशानी न हो, साथ ही सबके सामने बैठ कर खाने में या अपने टिफिन डिब्बे को खोल कर खाने में दिक्कत होती है। असहजता के चक्कर में कई बार आप अपने खाने की रूटीन खराब कर लेते हैं। ऐसे में एक बडी को चाहिए कि वह उन्हें खाने की मेज पर सबसे घुलने-मिलने में मदद करें और उन्हें कम्फर्ट देने की कोशिश करें।
काम का दबाव अचानक नहीं
एक बडी की जिम्मेदारी शुरुआती कुछ हफ्तों में यह भी होती है कि नए कर्मचारी पर अचानक से काम न डाल दें, ज्यादा दबाव में उनका स्ट्रेस यानी तनाव लेना भी उन्हें जल्दी जॉब छोड़ने या फिर से नयी जॉब ढूंढने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए शुरुआती दौर में उन्हें जरूरत से ज्यादा दबाव न दें। उन्हें काम के बारे में समझाएं, लेकिन धीरे-धीरे समझाएं।
बिना काम के भी उनसे थोड़ी बातचीत करने की कोशिश
यह जरूरी नहीं है कि सिर्फ उनसे तभी बात करें, जब उनसे आपको काम हो, बल्कि बिना काम के भी उनसे इधर-उधर की बातें करें, कभी मौका मिले तो कॉफी के लिए बाहर चली जाएं, इससे नए कर्मचारी को खुलने में और माहौल से रूबरू होने का मौका मिलेगा।
धैर्य रखें
जाहिर सी बात है कि जब कोई नया आता है, उसे ऑफिशियल चीजों को भी समझने में समय जाता है, ऐसे में उसके कई सवाल होते हैं, जो एच आर नहीं बता सकते, तो आपको बहुत धैर्य रखना होगा, उनके सवालों का जवाब जिस हद तक आप दे सकती हैं, आपको देना चाहिए। अगर आपके पास काम अधिक है, तो आप उन्हें यह प्यार से समझाएं कि आप उनकी बात थोड़ी देर में सुनेंगी, ताकि उन्हें भी ऐसा न लगे कि आप उन्हें नजरअंदाज कर रही हैं और फिर वक्त मिलते ही उनसे बातचीत जरूर करें और उनकी जो भी परेशानी है, अगर उसे सुलझाना आपके हाथों में है, तो उन्हें सुलझा दें, ऑफिशियल औपचारिकता और बाकी के जरूरी काम पूरे में भी उनकी मदद आपको जरूर करनी चाहिए।