भगवान कृष्ण की जिंदगी में दार्शनिक अप्रोच को महत्व दिया, लेकिन साथ ही वह हमेशा कर्म की बात करते रहे, ऐसे में उनके कथनों में ऐसी कई बातें हैं, जो आपका जिंदगी से रिश्ता और अधिक अटूट बना देते हैं। तो जन्माष्टमी के अवसर पर आइए जानें इसके बारे में विस्तार से।
परिवार और दोस्तों के साथ : कर्म कर फल की इच्छा मत कर
कृष्ण का यह कथन पूरी दुनिया में लोकप्रिय रहा है कि आपको अपने जीवन में कभी भी कर्म की इच्छा रखनी चाहिए, कभी भी फल के बारे में नहीं सोचना चाहिए, तभी आप अपने जीवन में अपने काम में मन लगा कर काम कर पाएंगी और फिर आपकी मेहनत खुद ब खुद आपके लिए उसका अंजाम लेकर आएगी। आपको आपके काम को पूरी शिद्दत से करना चाहिए। आपका जो सफर है, उस सफर में आपको मंजिल पर कैसे चलना है, उस सफर के मजे लेने चाहिए। साथ ही अपने परिवार या दोस्त के लिए कभी भी कुछ करें, तो फल की इच्छा किये बगैर सिर्फ प्यार दें, उनकी मदद कर दें, क्योंकि रिश्ते ऐसे ही स्ट्रांग बनते हैं।
बड़े बुजुर्गों के साथ : गुस्से पर करें काबू
कृष्ण ने इस बात पर भी पूर्ण रूप से यह बात कही है कि क्रोध से भ्रम होता है और भ्रम से स्मृतिभ्रम होता है
स्मृति हानि से बुद्धि की हानि होती है, यह बात अपने जीवन में बहुत जानना जरूरी है कि आपको कभी भी अपने जीवन में, अपने रिश्ते में क्रोध में आकर कुछ भी बोलने से बेहतर है कि अपने गुस्से पर काबू पाया जा सके, क्योंकि क्रोध में बोली हुई चीजें याद रह जाती हैं, लेकिन आपका एक रिश्ता खराब कर देते हैं, गुस्से पर इसलिए काबू पाना जरूरी है, क्योंकि यह आपके अच्छे काम को भी खराब कर देता है, साथ ही आप गुस्से में यह बात नहीं जान पाते हैं कि हमें कुछ कहना है या नहीं कहना है, आपको इसका अंदाजा नहीं होता है और बाद में आप अपने अटूट रिश्तों को भी कई बार खो देते हैं, फिर आपको सिर्फ अफसोस होता है, इसलिए जरूरी है कि अपने गुस्से पर काबू रखा जाये। खासतौर से जब आप बड़े-बुजुर्गों के साथ रहते हैं, तो अपने गुस्से का पारा कम रखें और उनकी स्थिति को समझने की कोशिश करें। कृष्ण मानते थे कि आपका अपने मस्तिष्क पर बहुत नियंत्रण नहीं होता है, जब आपके दिमाग पर क्रोध सवार होता है।
बच्चों और हाउस हेल्प के साथ : विनम्रता और दया है जरूरी
यह जीवन में बेहद जरूरी है कि आप हर इंसान के साथ विनम्र रहें और कृष्ण ने हमेशा इन बातों को अहमियत दी है। उनका हमेशा मानना रहा है कि इंसान कहीं भी पहुंच जाए, आपको हमेशा विनम्र होना चाहिए, फिर चाहे वह आपका कोई भी रिश्ता हो। तभी तो कुरूक्षेत्र युद्ध के दौरान कृष्ण ने एक सारथी की भूमिका निभायी थी । श्री कृष्णा सादगी के प्रतीक थे और सारथी के रूप में उनकी भूमिका इसका प्रमाण है। कृष्ण इस बात पर पूरा भरोसा करते रहे कि आपको भी जीवन में विनम्र होना चाहिए। यह आपको ईमानदार लोगों के साथ वास्तविक संबंध बनाने में मदद करता है। लोगों को अपने जीवन में खुश होने के अधिक कारण देने के लिए पर्याप्त विनम्र बनें। तभी रिश्ते आगे बढ़ते हैं। अगर रिश्तों की बात करें, तो आपके परिवार में काम करने वाले लोग आपकी बहुत मदद करते हैं और उनसे ही पूरी दुनिया बनती है, इसलिए उनके साथ तो आपके घर के हर इंसान को और आपके बच्चों को विनम्र ही रहना चाहिए। बच्चों को बुजुर्गों के साथ बच्चों को विनम्र होने की सीख दें।
दोस्तों के साथ : रिश्ता हो तो सुदामा और कृष्ण जैसा
कृष्ण ने इस बात का प्रमाण भी हमेशा दिया कि हम जीवन में बिना अपने दोस्तों के जी नहीं सकते हैं, आपको अपने दोस्तों के साथ की हर कदम पर जरूरत होती है, इसलिए अगर आपके सामने धन आये और दोस्त और चुनना दोनों में से एक हो, तो आपको अपने दोस्त को चुनना यह साथ कृष्ण की दोस्ती की कहनी हमेशा हमें यही सीख भी देती है कि दोस्त का रिश्ता सबसे अधिक अहम होता है।
परिवार के किसी भी सदस्य पर : अपनी जिम्मेदारियां दूसरों पर न थोपें
हर रिश्ते का सम्मान इंसान को करना ही चाहिए, ऐसे में जब आप अगर एक घर में रहते हुए या दूर रहते हुए भी अपने साथ के लोगों की जिम्मेदारियां बांटें, न कि अपना काम किसी और पर थोपें, क्योंकि कृष्ण भी मानते थे कि जीवन में आपको अपनी जिम्मेदारी खुद उठाने और उन्हें पूरा करने के बारे में सोचना चाहिए, किसी दूसरों पर न थोपें यह जरूरी है। कृष्ण का कथन रहा है कि आप अपनी जिम्मेदारियों को पूरे परफेक्शन के साथ नहीं कर पाएं, यह ठीक है, लेकिन दूसरों पर थोपना बेहद गलत। इसलिए कृष्ण के कथन से हमें यह सीख लेनी ही चाहिए।