एक स्टडी के मुताबिक 75% लोग अपने सहकर्मी कलीग को अपना अच्छा दोस्त मानते हैं, लेकिन वही दोस्त पीछे छूट जाता है, जब वे ऑफिस के साथ उस कलीग को भी छोड़कर दूसरी जगह चले जाते हैं। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या कामकाजी माहौल में हुई दोस्ती को ऑफिस के बाहर निभाना मुमकिन है? यदि हां, तो आइए जानते हैं किस तरह आप अपनी दोस्ती निभा सकती हैं।
ऑफिस में दोस्ताना माहौल यानि काम पर पॉजिटिव प्रभाव

आम तौर पर माना जाता है कि कामकाजी माहौल में अपने कलीग से दोस्ती संभव नहीं है, लेकिन एक सच यह भी है कि ऑफिस के स्ट्रेस भरे माहौल में एक वही होते हैं, जो न सिर्फ आपका तनाव कम करते हैं, बल्कि बॉस की डांट से आहत हुए भारी मन को अपने सुलभ व्यवहार से हल्का भी कर देते हैं। यही वजह है कि ऑफिस में जिनके पास कोई अच्छा दोस्त होता है, वे ऑफिस में उनकी तुलना में ज्यादा खुश होते हैं, जिनके पास कोई दोस्त नहीं होता। साथ ही कलीग के साथ अच्छी दोस्ती का प्रभाव उनके काम पर भी पड़ता है और वे ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करते हैं। इसमें दो राय नहीं कि अच्छे कलीग के साथ ऑफिस का खुशनुमा माहौल आपको हर तरह से प्रभावित करता है, लेकिन क्या होता है जब आपकी वही कलीग उस ऑफिस को छोड़कर कहीं और चली जाती है।
संभव है ऑफिस कलीग से हुई दोस्ती को बाहर निभाना
हालांकि कुछ दिनों या यूं कह लीजिए कुछ महीनों तक आप और आपकी कलीग उस दोस्ती को कायम रखने की बेहद कोशिश करती हैं, लेकिन नई जगह पर नए लोगों का साथ मिलते ही वो पकड़ कमजोर होने लगती है, जो कभी ऑफिस में साथ रहते हुए हुआ करती थी। ऐसे में कलीग से दोस्ती की बातें बेबुनियाद लगती है, लेकिन एक प्राइवेट फर्म में काम करनेवाली उर्मि इस बात से इंकार करती हैं। वो कहती हैं, “मैं इस बात को बिलकुल नहीं मानती कि अपनी कलीग के साथ ऑफिस की दोस्ती को आप ऑफिस के बाहर नहीं निभा सकती। मैं अपनी बात करूँ, तो मैं अपनी कलीग प्रिया के काफी करीब थी। हम लगभग 8 साल से साथ थे। ऐसे में जब प्रिया जॉब छोड़कर गई तो मुझे बहुत बुरा लगा था, लेकिन हमने अपनी दोस्ती कायम रखी। हम अक्सर बाहर मिलते थे। आज हमारी दोस्ती को 16 साल हो चुके हैं और हमें कभी नहीं लगा कि हम एक दूसरे से बहुत दूर हैं।”
मजबूत रिश्ते की पहली जरूरत है बातचीत

इसमें दो राय नहीं है कि ऑफिस में प्रोडक्टिव और एक स्ट्रेस फ्री दिन बिताने के लिए ऑफिस आवर्स के नौ घंटों में कम से कम एक घंटे की बातचीत बेहद जरूरी है, जो अक्सर आप अपनी अजीज कलीग से कर सकती हैं। और हो भी क्यों न। एक-दूसरे से जुड़ाव से न सिर्फ आपकी चिंताएं कम होती हैं, बल्कि सहयोग की भावना भी बढ़ती है। हालांकि ऑफिस से निकलकर जब आप या आपकी कलीग एक नए माहौल में, नए लोगों से घिर जाती हैं, तो ऐसे में पुरानी दोस्ती को कायम रख पाना आपके लिए मुश्किल भले ही हो, लेकिन नामुमकिन नहीं है। इस विषय में मनोचिकित्सक अक्षय कुलकर्णी कहते हैं, “हर मजबूत रिश्ते के पीछे तीन सिद्धांत होते हैं. पहला ये कि आप एक-दूसरे के साथ नियमित रूप से कितनी बातचीत करती हैं? दूसरा ये कि आप एक-दूसरे को कब से और कितना जानती हैं और कितनी करीबियत महसूस करती हैं? और तीसरी बात ये कि आप एक-दूसरे की कंपनी को कितना पसंद करती हैं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनका विश्लेषण करके आप स्वयं अपनी दोस्ती को ऑफिस के बाद भी कंटीन्यू कर सकती हैं।”
रखनी है दोस्ती, तो अहम न पालें

हालांकि ऑफिस छोड़कर जाने के बाद भी यदि आपको लगता है कि आपको अपनी कलीग, जो अब दोस्त में बदल चुकी है, से दोस्ती कायम रखनी है तो आप कुछ तरीके अपनाकर उनसे अपनी दोस्ती कायम रख सकती हैं। इनमें पहला प्रयास होगा बातचीत। यदि आपकी दोस्त आपके लिए वाकई बहुत मायने रखती हैं, तो किसी बात की परवाह किए बिना उन्हें कॉल करें और उससे बात करने की कोशिश करें। हो सकता है नई जगह पर वे थोड़ा व्यस्त हों, लेकिन आप उसे अन्यथा न लें और उनसे दुबारा बात करने की कोशिश करें। उनकी स्थितियों को जानने के साथ उन्हें अपनी स्थितियां और मनोभाव बताएं। जब आप दोनों इस बात से सुनिश्चित हो जाएंगी कि आप दोनों एक दूसरे से हेल्दी बातचीत कर सकती हैं, तो संभव है आपकी दोस्ती भी लंबे समय तक चले।