मां इस शब्द की पुकार ध्वनि में ही भावानाओं का विशाल महासागर है। कहते हैं, मां अतुलनीय है, ठीक इसी तरह मां शब्द का क्या अर्थ है, इसकी कोई परिभाषा नहीं है। मां संपूर्ण है। माना गया है कि कोई विद्वान भी इसकी खोज नहीं कर सकता है कि आखिर मां शब्द का अर्थ क्या है, हालांकि भिन्न भाषाओं में मां शब्द का उच्चारण और भाव अलग-अलग है। हर कोई अपनी भाषा में अपने तरीके से अपनी जननी को मां कहकर बुलाता है। आज हम इसी बारे में बात करने जा रहे हैं कि मां शब्द कैसे हमारे जीवन, हमारी आत्मा और हर उस रिश्ते से बंधा है, जहां पर प्यार, समर्पण, ममता का संगम है।
मां शब्द कहां से आया, क्या कहता है गूगल?
कहते हैं बच्चा सबसे पहले मां बोलना सीखता है। ठीक इसी तरह हम सभी की जुबान पर मां शब्द का भाव बचपन से आकर बसा है। जब से होश संभाला है, तब से मां को देखा है। मां को पुकारा है। इस बात की पड़ताल जब गूगल से की गई, तो पता चला कि कई जानकारों का मानना है कि मां शब्द, ‘मैं’ और ‘आ’ को मिलाकर बना है, जिसका अर्थ होता है, परमशक्ति और आत्मा। शायद इसी वजह से मां को ईश्वर की सबसे अनमोल और अनोखी कृति कहा जाता है। कई लोगों का कहना है कि मां शब्द का जन्म गोवंश से हुआ है। जब गाय का बछड़ा जन्म लेता है, तो वह सबसे पहले मां ही पुकारता है।
मां की भाषा से जन्मी मातृभाषा
हिंदी हमारी मातृभाषा है। इससे सभी वाकिफ हैं, लेकिन क्या आप जानती हैं कि अपने घर में बोली जाने वाली भाषा को भी मातृभाषा कहते हैं। हर परिवार में बच्चे को अपनी भाषा यानी कि हिंदी, मराठी, भोजपुरी, मैथिली, मारवाड़ी, बंगाली, तमिल, तेलुगू, गुजराती, नेपाली के साथ कई अन्य भाषाओं की बोली सीखाने की शुरुआत मां से ही होती है। मां ही हमें अपनी भाषा में कविता, कहानी, लोकगीत सुनाती है, जिसे सुनते हुए हम बढ़े होकर उसे बोलना भी शुरू करते हैं। यही वजह है कि हिंदी और अंग्रेजी के साथ हर किसी को अपनी मातृभाषा (भोजपुरी, बांग्ला, मराठी या फिर मैथिली) बोलने जरूर आती है।
भारत में अलग-अलग भाषाओं में खास है ‘मां’
दरअसल, भिन्न- भिन्न भाषाओं में मां शब्द का उच्चारण किया जाता है। हिंदी में मां को अम्मा, मां, माता कहते हैं। कन्नड़ में मां को अम्मा या फिर ताई पुकारा जाता है। मराठी में आई, पंजाबी में माताजी, पब्बो, माई, कोंकणी में माई, ओड़िया में बाऊ और मां, मारवाड़ी में मासा, छत्तीसगढ़ी में दाई, अम्मा, मां और महतारी, बिहारी में माई, महतारी, मया, मां, भोजपुरी में अम्मा, मांजी, माई और उर्दू में अम्मी पुकारा जाता है। इसी तरह भारत की हर भाषा में मां बोलने का तरीका भले ही अलग हो, लेकिन उसके प्रति प्रेम भाव एक जैसा ही है।
मां शब्द से ही आया है मायका, माई और दाई।
मां शब्द इतना अनोखा है कि जब भी प्रेम, दया और ममता का इंसानी रूप देखा, तो उसे मां से जोड़ दिया गया। यही वजह है कि शादी से पहले लड़की का घर उसके पिता का कहलाता है, शादी के बाद वह मायका यानी की मां का घर हो जाता है। यहां तक कि छोटे बच्चों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी संभालने वाली महिला को माई या फिर दाई कहकर पुकारा जाता है।
जब हर ममतामयी रिश्ते से जुड़ी मां
एक परिवार में मां शब्द का महत्व कितना बड़ा है, यह उसकी उपयोगिता से ही समझा जा सकता है, तभी तो दादी को दादी मां कहते हैं। नानी को नानी मां कहा जाता है। मौसी को मां का दूसरा रूप माना गया है, वहीं मां के भाई यानी की मामा में मां शब्द का उच्चारण दो बार किया गया है। कई जगहों पर पिता की बहन यानी की बुआ को भी बुआ मां पुुकारा जाता है। जब घर में मां मौजूद न हो, तो बहन और भाभी को भी मां स्वरूप माना गया है।
यही वजह है कि विश्व के हर कोने में बच्चे के तुतलाने में मां की आत्मा और मातृभाषा में मां का स्वरूप दिखाई देता है। मां शब्द बेशकीमती है, तभी तो इसके शीतल रास्ते में न तो कोई भाषा आती है और न ही किसी तरह का कोई भेदभाव नजर आता है।