सोशल मीडिया इस कदर आज कल हमारी जिंदगी पर हावी हो चुका है कि हम इंसानी रिश्ते की जो एक खासियत या स्पर्श होनी चाहिए, उन्हें खो चुके हैं। लेकिन एक बात यह भी है कि इसके कई सकारात्मक प्रभाव रहे हैं। ऐसे में आइए जानें आखिर सोशल मीडिया के इस दौर में रिश्ते कैसे बरकरार रख सकती हैं।
क्या हैं सकारात्मक प्रभाव
दूर रहते हुए अपनों को पास लाना
गौर करें तो आधुनिक रिश्तों पर सोशल मीडिया के कई सकारात्मक प्रभाव भी रहे हैं, इसकी एक सबसे अच्छी बात यह है कि दूर रहे हमारे प्रियजन जिनसे मिलना मुश्किल हो जाता है, आप उनसे कनेक्ट हो जाते हैं, क्योंकि ऐसी दुनिया में जहां लोग तेजी से अलग हो रहे हैं, सोशल मीडिया ने दूरी की परवाह किए बिना प्रियजनों के साथ जुड़े रहना आसान बना दिया है। एक बटन के क्लिक से हम दूर बैठे अपने लोगों से, परिवार या मित्र को ऑनलाइन देख सकते हैं, साथ ही उनके अकेलेपन को दूर कर सकते हैं। साथ ही हम उनके साथ दूर रह कर भी हम देख सकते हैं कि हमारे मित्र और परिवार क्या कर रहे हैं, उनकी उपलब्धियों का जश्न मना सकते हैं, और जब उन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है तो सहायता प्रदान कर सकते हैं।
रुचियों को कर रहे हैं साझा
सोशल मीडिया का एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब आप अपने तरह के लोगों से जुड़ते हैं और अपनी रुचियों को शेयर करने की भी कोशिश करते हैं। बढ़ते संचार और कनेक्शन के अलावा, सोशल मीडिया ने हमें दूसरों के साथ अनुभव और रुचियों को साझा करने का अवसर भी दिया है। ऐसे में कई बार जब हम किसी बात से खुश होते हैं, तो अपनी खुशी को शेयर करने वाला अगर हमारे पास कोई नहीं है, तो हम किसी स्ट्रेंजर यानी अजनबी के साथ अपनी बातचीत को रख सकते हैं और अपनी खुशियों को शेयर कर सकते हैं, यह आजादी हमें सोशल मीडिया ने दी है। सोशल मीडिया की यह खूबी है कि यह हमें उन तरीकों से खुद को अभिव्यक्त करने में सक्षम बनाता है, जो हमारे लिए कभी भी करना संभव नहीं था। यह उन जोड़ों के लिए काफी अच्छा है, जिनकी रुचि या शौक अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन सोशल मीडिया एक माध्यम जरूर दिया है,एक मंच जरूर दिया है कि हम सोशल मीडिया पर एक-दूसरे के साथ अपने जुनून साझा करके, वे एक-दूसरे के बारे में अधिक जान सकते हैं और अपनी बॉन्डिंग को गहरा बना सकती हैं।
नए कौशल सीखने का जरिया
सोशल मीडिया ने हमें संसाधनों और समर्थन तक बेहतर पहुंच प्रदान की है। हमारी उंगलियों पर प्रचुर मात्रा में जानकारी उपलब्ध होने से, हम सलाह ले सकते हैं, नए कौशल सीख सकते हैं और उन लोगों से जुड़ सकते हैं जो हमारे संघर्षों को साझा करते हैं। हम जीवन में ऐसी किसी परेशानी से जूझ रहे हैं कि हम किसी अपने से यह सोच कर कि वे हमारा मजाक उड़ाएंगे, हम उनसे शेयर नहीं करके ये बातें आराम से किसी अनजान से कर सकते हैं और अच्छा भी महसूस कर सकती हैं। हमें जिस मदद की जरूरत होती है, दरअसल उसे ढूंढने के लिए सोशल मीडिया एक अच्छा माध्यम साबित होता है।
क्या हैं नकारात्मक प्रभाव
अपनों के बीच बातचीत की कमी
सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग समय की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है और ऐसे में रिश्तों में खूब दूरियां आ रही हैं। वर्ष 2021 के एक अध्ययन के अंतर्गत यह बात सामने आई है कि सोशल मीडिया के उपयोग की वजह से रिश्तों के बीच अब एक प्यार और संतोष वाली भावना की जो कमी आई है, इसका बहुत बड़ा कारण सोशल मीडिया है। इसलिए सोशल मीडिया पूर्ण रूप से रिश्तों पर हावी हो रही है।
जल्द से जल्द रिश्ते बदलने या तोड़ने की बात
रिश्तों को लेकर सोशल मीडिया के अगर नकारात्मक प्रभाव की बात करें तो जितनी जल्दी यहां रिश्ते जुड़ते हैं, उतनी जल्दी तोड़ने पर भी यकीन करने लगे हैं। बात अगर डेटिंग ऐप्स और ऑनलाइन मैचमेकिंग की बात करें तो प्यार करने का तरीका बिल्कुल बदल चुका है। यह सही है कि अब लोगों से जुड़ना आसान हो गया है। लेकिन उन्होंने "स्वाइपिंग" की संस्कृति को भी जन्म दिया है, जहां लोगों को केवल उनके लुक या थोड़ी सी प्रोफाइल देख कर उस आधार पर आंका जाता है। इसकी वजह से हम किसी पर भी विश्वास भी कर लेते हैं, तो किसी से भी अपेक्षाएं रख लेते हैं और जिसकी वजह से अगर वे पूरी न हो, तो आपको फिर परेशानी होती है और फिर धीरे-धीरे बेचैनी या एंजाइटी के भी आप मरीज बन जाते हैं, इसलिए बेहद जरूरी है कि संबंधों को लेकर अधिक सोशल मीडिया पर निर्भर न हुआ जाए।
क्या कहते हैं आकड़े
एक रिसर्च की बात करें तो किसी रिश्ते में रहने वाले 40 प्रतिशत वयस्कों का कहना है कि उनके पार्टनर जरूरत से ज्यादा समय स्मार्टफोन पर गुजारते हैं और इस बात से उन्हें परेशानी होती है। ऐसे में जैसे-जैसे सोशल मीडिया पर नयी चीजें आती हैं, स्क्रॉल करने की लोगों को आदत हो जाती है और वे अधिक इंटरैक्टिव और वे इसके आदी हो जाते हैं और उन पर नशा हो जाता है। और फिर इससे धीरे-धीरे वे कई तरह की बीमारियों में जकड़ते जाते हैं और एक नशा सा उन पर चढ़ जाता है। फिर चिंता, घबराहट जैसी स्थिति भी आ जाती है। फिर स्थिति ऐसी हो जाती है कि उन्हें इस नशे को छुड़वाना किसी सिगरेट या शराब को छुड़वाने से कम नहीं होता है। इसलिए भी सोशल मीडिया एक रिश्तों के बीच काफी मायनों में बदलाव ला रहा है।
फोमो (FOMO) है एक बड़ी समस्या
फोमो की समस्या एक बड़ी समस्या हो गई है, क्योंकि आजकल लोग अपने हर व्यकिगत मोमेंट को शोशल मीडिया पर दिखाने में यकीन करते हैं, लेकिन अगर आप वैसी जिंदगी नहीं जी रही हैं, तो आपको ये सब देख कर दुख होने लगता है और ऐसी स्थिति खड़ी हो जाती है कि लोग खुद को पिछड़ा हुआ और दूसरों के बीच रहते हुए उनके बीच का महसूस नहीं करने लगते हैं, तो एक नकारात्मक सामाजिक तुलना या छूट जाने का डर (FOMO) विचार आपके जेहन में आता है कि कोई अन्य व्यक्ति बेहतर समय बिता रहा है या आपसे अधिक सफल है (जैसा कि आप उनके ऑनलाइन जीवन के बारे में देख सकते हैं)। यह धारणा हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर कई तरह से प्रभाव डाल सकती है। फिर आप सोशल मीडिया पर दूसरे लोग जो पोस्ट करते हैं, उससे ईर्ष्या और खुद पर निराशा महसूस करती हैं और धीरे-धीरे डिप्रेशन में जाने लगती हैं और इसका सीधा गलत प्रभाव आपके शरीर पर पड़ता है। इसलिए भी सोशल मीडिया पूर्ण रूप से मेंटल हेल्थ पर बुरी तरह हावी होने लगा है।
अन्य समस्याओं का जन्म
सोशल मीडिया के हावी होने से रिश्ते खराब तो होने ही हैं, आप लगातार डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। शोध से पता चलता है कि युवा जितना अधिक समय अपने स्मार्टफोन पर बिताते हैं, एक साल बाद अवसाद और चिंता के उच्च स्तर पाए जाते हैं। आपको पर्याप्त नींद की भी परेशानी हो जाती है। फिर जिन बच्चों और युवाओं के पास बहुत अधिक मीडिया एक्सपोजर होता है, इसका सीधा असर उनकी नींद पर होता है, क्योंकि अत्यधिक स्क्रीन का उपयोग और बेडरूम में टीवी रखने से सेहत पर भी बुरा असर हो रहा है और यह सब कहीं न कहीं हेल्दी रिलेशनशिप के आड़े आती ही है।