आसान नहीं होता है अपने शहर से किसी और शहर में जाना, खासतौर से एक लड़की के लिए एक कठिन निर्णय होता है, जब वह दूसरे शहर में जाए। ऐसे में छोटे शहर से बड़े शहर जाने पर एक सबसे बड़ी चुनौती जो नजर आती है, वो होती है घर ढूंढने की, लेकिन अगर इस वक्त कोई ऐसा मिल जाये, जो शुरुआत के कुछ दिनों में आपकी साथी बन जाये और साथ दे दे, तो आगे का सफर काफी आसान होता है। तो आइए जानें विस्तार से कि एक महिला के लिए दूसरी महिला को अनजान शहर से आने पर किस तरह साथ देना चाहिए, क्योंकि एक महिला की परेशानियों और जरूरतों को दूसरी महिला ही बखूबी समझ सकती है।
कुछ दिनों तक दें अपने आशियाने में जगह
एक महिला या लड़की जब नए और अनजान शहर में जाती है, तो उसके जेहन में खुद को लेकर जो सबसे जरूरी बात सामने आती है, वो यही होती है कि वह जहां रहेंगी, वहां सुरक्षित होंगी या नहीं, ऐसे में मुंबई या दिल्ली शहर में आकर खुद के लिए रहने का ठिकाना ढूंढना आसान नहीं है, ब्रोकर से लेकर किसी भी तरह की ठग्गी की पूरी गुंजाइश होती है, चूंकि नए-नए में आपको अधिक जानकारी उस जगह की होती भी नहीं है, तो ऐसे में अगर उस शहर में पहले से रहने वाली किसी दोस्त या जान पहचान की महिलाएं, कुछ दिनों के लिए शुरुआती मदद कर दें, तो इससे बड़ी बात और बड़ी मदद एक छोटे शहर से आई लड़की के लिए कुछ नहीं होता है। रांची से मुंबई आकर मेकअप आर्टिस्ट के रूप में काम कर रहीं कृति सिन्हा, अपनी दोस्त रितिका की तारीफ़ करते नहीं थकती हैं और हमेशा ही उन्हें शुक्रिया कहती हैं, क्योंकि मुंबई के शुरुआती दिनों में रितिका ने उन्हें न सिर्फ अपने फ्लैट में रहने दिया, बल्कि हर तरह से मदद करती रहीं। बाद में उन्हें फ्लैट्स ढूंढ़ने में, बिना ब्रोकर की मदद के जो भी विकल्प हों, उनके बारे में भी विस्तार से बताएं और मदद करें।
शहर के असुरक्षित जगहों और लोगों से रूबरू कराना
एक और अहम काम जो दूसरे शहर से आई महिलाओं को बड़े शहर में रहने वालीं महिलाएं कर सकती हैं कि वे उन्हें इस बात से आगाह कर दें कि इस नए शहर में किन लोगों से उन्हें नहीं मिलना चाहिए और किस तरह की जगहों पर जाना खतरे से खाली नहीं है। वैसी जगहों पर उन्हें जाने से पहले ही रोक दें, खासतौर से मुंबई जैसे शहर में कई तरह के लोग मिलते हैं, इंडस्ट्री में काम करने वाली लड़कियों को फेक और फ्रॉड लोगों से दूर रखें। उन्हें ट्रिक्स और टिप्स समझाएं, ताकि उनके साथ कोई अनहोनी न हो।
पॉकेट फ्रेंडली जगहों के बारे में बताना
यह भी एक जरूरी बात है कि नए शहर में आई लड़कियों को पहले से उस शहर में रह रही लड़कियों द्वारा यह मदद मिलनी चाहिए कि उन्हें जरूरत की जो भी चीजें मिलती हैं, वह कम दामों में पॉकेट फ्रेंडली होते हुए कहां मिल सकती है, अगर पॉकेट फ्रेंडली होती हैं चीजें, तो लड़कियों को अपने बजट मैनजेमेंट में शुरुआती दिनों में काफी मदद मिलेगी, तो इस लिहाज से भी उनकी मदद करें।
रिलैक्स करने वाली जगहें
यह भी बेहद जरूरी है कि शुरुआती दिनों में अपने घर से दूर रहने की वजह से शहर में आयीं नयी लड़कियों को काफी होम सिकनेस होगी, ऐसे में वे काम करते हुए या काम ढूंढते हुए कभी डिप्रेशन या किसी तरह के तनाव से गुजरें, तो उन्हें रिलैक्स करने के लिए कहां जाना चाहिए, कहां नहीं इसके बारे में भी जरूर बताएं, ताकि वे खुद को रिफ्रेश कर सकें। कभी-कभी उनके साथ चली जाएं, कभी उन्हें कोई ट्रीट दे दें या कोई स्वीट तोहफा, राशन लाने में भी शुरुआती दिनों में अगर नयी लड़कियों की आप मदद कर पाएं, तो उनकी एक बड़ी मदद मिल जाएगी।
अकेला महसूस न होने दें
ऐसा कई बार होता है कि कई सपने लेकर छोटे शहर को छोड़ कर लड़कियां नए शहर में आती हैं, लेकिन फिर कई बार उनके सपने पूरे नहीं होते हैं या अलग तरह का संघर्ष देख कर, कई लड़कियां टूटने लगती हैं, ऐसे में कई बार वह दुखी होकर गलत कदम उठा लेती हैं, जबकि ऐसे में अगर किसी शहर में आई नयी लड़की से बातचीत भी करेंगी और उन्हें अकेला महसूस नहीं होने देंगी, तो उनके लिए भावनात्मक मनोबल को बढ़ाने वाली बात होगी, सो इस बात का खास खयाल रखें और जरूर नयी लड़कियों से लगातार संचार बनाये रखें।