किसी भी रिश्ते की बुनियाद विश्वास की नींव पर रखी होती है। कई बार ऐसा होता है कि सामने वाले व्यक्ति से हुई एक छोटी-सी गलती रिश्ते से यकीन की मिठास को बाहर करके शक की कड़वाहट का बीज बोने लगती है। नतीजा यह होता है कि रिश्ते में शक का पिरोया गया बीज आपको अंदरूनी तौर पर खोखला करने लगता है और इसके साथ ही आपके निजी और प्रोफेशनल जिंदगी को नकारात्मकता के ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है, जहां से केवल निराशा, अंधकार और अकेलापन का रास्ता दिखाई पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि आप शक को अपनी आदत न बनाएं। आइए जानते हैं कि कैसे आप शक के दायरे से खुद को मानसिक तौर पर दूर रख सकती हैं।
सकारात्मक लोगों से संपर्क बढ़ाएं
शक करने की सबसे बड़ी वजह नकारात्मक सोच है, जो कि आपके हर बातचीत की पहली सीढ़ी बन जाती है। यह अक्सर देखा गया है कि शक करने वाला व्यक्ति दूसरे के प्रति अपने विचार को किसी न किसी से साझा जरूर करता है, ऐसे में अगर उसे सामने वाले व्यक्ति से भी नकारात्मक सुझाव मिलता है, तो शक का दायरा बढ़ता जाता है। मान लीजिए कि आपने किसी परिचित ये यह कहा कि आपको शक है कि आपका दोस्त आपकी बुराई कर रहा है, ऐसे में अगर आपके परिचित ने इस पर यह कहा कि वो ऐसा कर सकता है, तो इससे आपका शक गहरा हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि आप सकारात्मक लोगों से अपना संपर्क बढ़ाएं, ताकि जब भी आप किसी के बारे में सकारात्मक व्यक्ति से चर्चा करती हैं, तो उनकी प्रतिक्रिया यह हो सकती है कि क्या आपने सच में उसे आपकी बुराई करते सुना है? साथ ही दूसरों की बात पर यकीन न करने की सलाह भी मिल सकती है, जो आपके शक को कमजोर बनाता है।
बातचीत करके गलतफहमी दूर करें
जब भी आपको किसी दोस्त, सहकर्मी या फिर परिवार में से किसी भी सदस्य पर शक है, तो इसके लिए बातचीत से अच्छा दूसरा कोई पर्याय नहीं है। अगर आप अपने मन की बात नहीं करेंगी, तो दूसरे के प्रति नकारात्मक विचार आपके अंदर घर बनाते चले जायेंगे। वहीं अगर आपको किसी बात का शक है, तो सामने वाले व्यक्ति से की गई बातचीत आपके शक को दूर करने या फिर विषय पर खुल कर बातचीत करने का अवसर देती हैं, जिससे आप अपने शक के मीटर को नीचे की तरफ झुका सकती है।
किसी के बारे में कोई विचारधारा कायम न करें
अक्सर हम सामने वाले के पहनावे या फिर बोलचाल के कारण उसके बारे में एक विचारधारा कायम कर लेते हैं, जो कि एक गलत सोच को जन्म देती है। आपको यह स्वीकार करना चाहिए कि सामने वाला व्यक्ति अगर आपकी तरह स्टाइलिश नहीं है या फिर ज्यादा बातचीत नहीं करती, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपके पास जो ज्ञान है, वो उसके पास नहीं है। आप पहले सामने वाले व्यक्ति के ज्ञान और बर्ताव पर शक करते हैं और उसके बाद अपने शक पर यकीन की मुहर लगा लेते हैं। इसलिए कभी-भी किसी को उसके कपड़ों और स्टाइल से जज न करें।
आत्मविश्वास बढ़ाएं
शक की गाड़ी से अपनी सोच को नीचे उतारने के लिए आपको आत्मविश्वास की हवाई यात्रा करनी जरूरी है। आत्मविश्वास आपकी सोच को खुला आसमान देता है। खुद पर कम आत्मविश्वास ही शक को रिश्ते को ऊपर खड़ा होने की इजाजत देता है। जरूरी है कि खुद का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आप सकारात्मक किताबें पढ़ें। अपनी समस्या को लिखना शुरू करें। इससे यह होगा कि लिखने से आप खुद से संवाद करना शुरू करेंगे। अपने दिन भर की अच्छी बातों की एक डायरी बनाएं। इससे आपका ध्यान अच्छी बातों पर अधिक होगा और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।
स्वीकार करना सीखें
अपने हर रिश्ते को स्वीकार करना सीखें। हर इंसान अपनी नजर में सही होता है और दूसरे की नजर में गलत। ऐसे में यह मानिए कि सामने वाला व्यक्ति का अपना एक नजरिया है, उसे सुनें और समझने की कोशिश करें कि आखिर शक की सुई रिश्ते के किस कोने को तकलीफ पहुंचा रही है। यह समझिए कि जिस तरह वक्त बदलता है, ठीक उसी तरह हालात के साथ इंसान भी बदलता है, जैसे कि वक्त के साथ आपके सोच में बदलाव आया है, ठीक इसी तरह सामने वाले व्यक्ति भी बदला है, आप अपने रिश्ते में नएपन को अपनाएं।
मनोवैज्ञानिक की सलाह लें
कई बार देखा गया है कि ज्यादा सोचना भी शक की जड़ों को मजबूत बनाता जाता है। नतीजा यह होता है कि न तो, सकारात्मक लोगों का साथ काम आता है और न ही कोई प्रेरणादायक किताब काम आती है, अगर आपको लगता है कि शक आपके जीने के उत्साह को खत्म कर रही हैं, तो इसके लिए किसी जानकार मनोवैज्ञानिक से भी बात कर सकती हैं।