बातचीत करना तब शायद आसान होता था, जब बिना फोन के एक साथ बैठकर किसी भी मामले पर या विवाद पर सुलह करना होता रहा है, लेकिन फोन और तकनीकी के जमाने में हम बहस के कारण अपने लोगों से दूर होते जा रहे हैं। दोस्तों के बीच विवाद हो या फिर परिवार में किसी मामले को लेकर किसी से बहस हो जाए, हम फोन का सहारा लेते हैं अपनी नाराजगी जाहिर करने का। बहस के वक्त हम एक दूसरे से कुछ देर के लिए अलग होना पसंद करते हैं और जब अपनी बात कहनी भी है, तो उसके लिए फोन पर टेक्स्ट का सहारा लेते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि कैसे आप टेक्स्ट मेसेज पर बहस से रिश्ते को कैसे खराब करते हैं और उससे कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है।
कम्युनिकेशन गेप
टेक्स्ट मेसेज से बातचीत होने के दौरान हम सामने वाले की भावना को समझ नहीं पाते हैं और न ही अपनी भावना से सामने वाले व्यक्ति को समझा पाते हैं। इस वजह से कई बार टेक्स्ट मेसेज के जरिए कई बात बनते रिश्ते को भी बिगाड़ देती है, हम इस भावना के साथ सामने वाले का संदेश पढ़ते हैं कि वह हमारे बारे में सही नहीं सोच रहा है। उसकी सही बातों में भी कोई न कोई गलत मतलब तलाश लेते हैं। इस वजह से कम्युनिकेशन गैप रिश्ते में बढ़ जाता है और मामला सुलझने की बजाय उलझ जाता है।
रिश्ते में दूरी
जाहिर-सी बात है कि अगर आप किसी भी समस्या का समाधान करने के लिए टेक्स्ट मैसेज का सहारा लेती हैं, तो इससे आपके रिश्ते में दूरी आना स्वाभाविक है। हमेशा से ही कोई भी विवाद होने पर उसे फोन पर या फिर टेक्स्ट मैसेज के जरिए नहीं सुलझाना चाहिए, बल्कि एक साथ बैठकर किसी भी मामले पर बातचीत करनी चाहिए। इससे आप एक दूसरे को अपनी बातें स्पष्ट और भाव के साथ बता पायेंगी। कई बार टेक्स्ट मैसेज पर लिखा गया सॉरी और ओके भी विवाद को जन्म दे देता है।
बातों का निकलता है गलत मतलब
टेक्स्ट मैसेज में लिखी गई हर बात कई बार सामने वाले व्यक्ति की सोच के अनुसार हम नहीं पढ़ते, बल्कि अपनी सोच के आधार पर नाराजगी के साथ सामने वाले व्यक्ति की बातों को पढ़ते हैं, जो कि केवल आपकी बहस को बढ़ाते जाती है। यहां तक कि टेक्स्ट मेसेज के जरिए भेजा गया वॉइस नोट भी केवल एक तरफा बातचीत और एक तरफा नाराजगी जाहिर करने का जरिया बन गया है। इस तरह से आप केवल अपने रिश्ते और मामले को अंधेरे कुएं में ढकेलते चले जाते हैं। आप टेक्स्ट मेसेज के जरिए केवल अपनी बात पहुंचा पाते हैं वो भी गलत तरीके से। आपकी नाराजगी के पीछे छुपा हुआ दर्द और रिश्ते को खोने का डर आप अपने भावों से प्रकट नहीं कर पाते हैं और वहीं एक दूसरे के सामने बैठकर की गयी बात में आपको बातों के साथ अपनी भावनाओं को भी साफ तौर पर प्रस्तुत करने का मौका मिलता है, जो कि आपके रिश्ते को फिर से जोड़ने और मजबूत बनाने का कार्य करती है।
आपसी उलझन बढ़ती है
टेक्स्ट मैसेज आपसी उलझन को और अधिक बढ़ा देती है। कई बार ऐसा होता है कि आप अपनी बात को लंबी लाइन के साथ सामने वाले व्यक्ति को टेक्स्ट मेसेज के जरिए भेज देती हैं और अगर सामने वाला व्यक्ति किसी कारण व्यस्त है और आपके मेसेज पर प्रतिक्रिया में केवल ओके लिखता है, तो इससे भी आपके बीच का विवाद सुलझने की जगह उलझ जाता है।
नहीं निकलता है कोई हल
जैसा कि हम आपको शुरू से समझाते आ रहे हैं कि आपकी हर बहस का टेक्स्ट मेसेज पर हल नहीं निकलता है। अगर आपके बीच कोई छोटी सी बात पर बहस हुआ है, तो टेक्स्ट मैसेज पर वह बड़ी बहस बन सकती है। वहीं आप अगर सुलझाने की भी कोशिश कर रही हैं, तो इससे आपको कोई हल नहीं मिलता, बल्कि आप और सामने वाला व्यक्ति उस बात को बिना सुलझाए आगे बढ़ने के बारे में सोचता है, इससे बात दिल में ही दब कर रह जाती है। वहीं टेक्स्ट मेसेज पर हुई बहस के बाद आप सामने वाले व्यक्ति से मिलती भी हैं, तो आपके बीच की झिझक और बढ़ती हुई महसूस होती है और बातचीत का जरिया खत्म होने लगता है।
रिश्ते में आती है नकारात्मकता
टेक्स्ट मेसेज पर की गई बात आपके रिश्ते को नकारात्मकता की तरफ लेकर जाती है, क्योंकि आप एक दूसरे के सामने बैठकर बात नहीं करते हैं, इससे आप मेसेज में केवल अपनी बात समझाने की कोशिश करते हैं, सामने वाले व्यक्ति को समझने की कोशिश नहीं करती हैं, जो कि आपके रिश्ते को नकारात्मकता के मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है। अगर आप दोनों की बातचीत शुरू भी होती है, तो यह बात हमेशा याद रहती है कि आपने एक दूसरे को मैसेज पर क्या कहा था, जो कि रिश्ते में नकारात्मकता के होने का संकेत है।