बारिश किसी के लिए प्यार, तो किसी के लिए दर्द लेकर आती है। ग्रामीण इलाकों में बारिश की जरूरत, जहां खेती के लिए होती है, वहीं शहरों में पीने के पानी की परेशानी को पूरे साल न झेलना पड़े, इस वजह से बारिश सुखद मानी जाती है, हालांकि कई लोग ऐसे भी हैं, जिनके लिए बारिश कई सारी मुश्किलें लेकर आती है। तेज बारिश के साथ सबसे पहली समस्या ट्रैफिक की होती है, जिससे ऑफिस में देरी होती है, या फिर घर पहुंचने में परेशानी। ऐसे में आसमान से बरसने वाली पानी की बूंदें कई दफा माथे की चिंता का पसीना बन जाती है, लेकिन बारिश के दौरान सबसे जरूरी है मन के मेल को साफ करना, उस भाव को मन और दिमाग में बिठाने की जरूरत है कि अरे...बारिश है...ये तो होगा ही..क्यों न इसे जाने दिया जाए...क्यों न रिश्तों को समझा जाए।
पड़ोसी के गीले कपड़े और दरवाजे पर गिरा पानी
बारिश के मौसम में सबसे बड़ी परेशानी गीले कपड़ों के सूखने की होती है, अगर पड़ोसी ने अपनी घर की छत पर या फिर घर की खिड़की के पास गीले कपड़े सूखने के लिए फैलाए हैं और उसका पानी आपकी घर की छत तक या फिर आपकी घर की खिड़की पर टपक रहा है, तो इसे नजरअंदाज करें। यह समझने की कोशिश करें कि बारिश में घर के अंदर कपड़े सूखाने पर उससे दुर्गंध आने लगती है, क्या हुआ अगर थोड़ा-सा पानी मेरे घर के बाहरी तरफ टपक रहा है, बाहर के गीले कपड़े कुछ समय बाद सूख भी जायेंगे, पड़ोसी के घर के दरवाजे पर भरा हुआ पानी अगर आपके पैर गीले कर भी रहा है, तो उसे अपने मन के अंदर न पहुंचने दें, बल्कि उस पानी को साफ कर आप अपने पड़ोसी के दरवाजे के साथ आपसी रिश्ते में आने वाली खटास भरे पानी को भी साफ कर दें और यह सोचिए कि इस परेशानी के पीछे की वजह बारिश है, पड़ोसी नहीं। और बस कुछ महीनों की ही बात है।
दीदी ने आने से किया इंकार, दूध वाले को देरी क्यों
घर में खाना बनाने वाली दीदी हर दिन समय से आती हैं, लेकिन ये क्या ! नाश्ते का समय हो गया और दीदी की खबर नहीं, ये क्या..खाने का समय हो गया और दीदी का फोन भी बंद, जरा-सी बारिश नहीं हुई और दीदी ने छुट्टी ले ली। अगर यही बातें बार-बार आपके दिमाग में आती हैं, जब घर में आपकी मदद करने वाली दीदी या फिर दूध वाले भैया को देरी हो जाती है, तो जरा ठहरिए। इस वक़्त आपको कुछ अलग से सोचने की जरूरत है, जी हां, इस वक़्त क्यों न ये सोचा जाए कि दीदी के इलाके में पानी भर गया हो गया या उन्हें आपके घर तक पहुंचने के लिए कोई सवारी नहीं मिली होगी, या फिर बारिश को देख दीदी को फोन लगाकर ये बोला जाए कि दीदी आज मत आइए बहुत बारिश है। दूध वाले भैया जब तेज बारिश में देरी से दरवाजे की घंटी बजाएं, तो क्यों न उन्हें एक चाय की प्याली थमाई जाए और ये सोचा जाए कि इस परेशानी के पीछे की वजह बारिश है..दीदी या दूध वाले भैया नहीं। अपने डिलीवरी बॉय या गर्ल को भी थोड़ी देर होने पर गालियां न दें और शिकायत न दर्ज करें।
ट्रैफिक में अटकी गाड़ी न दें बगल वाले को गाली
अगर कभी तेज बारिश के कारण ट्रैफिक में आपकी गाड़ी या बस अटक जाती है और पीछे से लगातार बजते हुए हॉर्न के शोर ने आपके दिमाग के सारे तार हिला दिए हैं, तो लंबी सांस लेकर कुछ देर आंख बंद करें और गाड़ी के खिड़की नीचे कर बारिश की कुछ बूंदों को हथेली पर थाम कर बारिश के सुकून को महसूस करें न कि आपके आगे खड़ी रिक्शा या फिर साइकिल पर बैठे अंकल पर अपना गुस्सा जाहिर करें। ये समझिए कि इस परेशानी के पीछे की वजह बारिश..ट्रैफिक खुलने का इंतजार करती निगाहें नहीं।
उड़ते छाते और चप्पल पर न निकाले अपनी भड़ास
बारिश में रास्ते पर चलने के दौरान तेज हवा से आपका छाता पलटी हो जाए या फिर पैर की चप्पल टूट जाए, तो इसे बड़ी परेशानी न समझें। ये सोचिए कि कई लोग ऐसे भी मौजूद हैं, जो कि इस भरी बारिश में शायद आपसे भी अधिक मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, जो कहीं न कहीं किसी न किसी आपात स्थिति का शिकार हुए होंगे, उनके सामने आपकी मुश्किल केवल एक छोटी सी सोच है, तो उड़ते छाते को बंद कर एक तरफ खड़े हो जाए और टूटी हुई चप्पल को एक हाथ में थाम क्यों न नंगे पैरों से पानी को महसूस किया जाए और इंतजार किया जाए और खुद के लिए शांत दिमाग से कोई रास्ता खोजा जाए।
घर की बेटी को हुई देरी तो न दिखाए नाराजगी
बारिश में अक्सर ट्रैफिक या फिर कोई साधन न मिलने पर कई बार आपके घर की बहू, बेटी या फिर बहन को घर पहुंचने में हुई देरी को समझा जाए। अपने घर की महिला के घर आने पर यह सोच कर चैन की सांस ली जाए कि वह घर सुरक्षित पहुंची न कि उसके घर पहुंचने पर उसके सामने सवालों की लंबी कतार लगाई जाए।