एक सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है, आपने यह कई बार सुना होगा। इसी कहावत के साथ कई बार यह भी कहा जाता है कि एक महिला ही दूसरी महिला की दुश्मन होती है, हालांकि ऐसा होता नहीं है। दुश्मनी एक बहुत बड़ा लफ्ज है, जिसका इस्तेमाल कई बार लढ़ाई के बाद अक्सर लोग करने लगते हैं। ऐसे में हम सभी को जरूरी है कि हम अपनी सोच का दायरा बढ़ाएं और खुद के साथ अपने आस-पास के वातावरण में यह संदेश फैलाने की कोशिश करें कि एक महिला की दूसरी महिला से दुश्मनी नहीं होती, अगर विवाद है भी, तो वहां पर विचारों का मतभेद है न कि दुश्मनी। आइए जानते हैं विस्तार से।
अपने हालातों से संतुष्ट होने की कोशिश करें
दफ्तर, घर पर या फिर पड़ोसी महिला को लेकर अपने विचारों को बदलने की जरूरत है। अगर आपके साथ कुछ अच्छा होता है, तो इसकी जिम्मेदारी आप खुद को देती हैं, ठीक ऐसे ही कुछ गलत होने पर उसकी जवाबदेही आपको लेनी चाहिए। आपको इस सोच को नहीं अपनाना चाहिए कि उसकी साड़ी मेरी साड़ी से सफेद कैसे है, वो मुझसे जलती है, वो मेरी कामयाबी नहीं देख सकती है। सामने वाली महिला आपके लिए खुश है या नहीं, यह सोचने से ज्यादा इस पर ध्यान दें कि आप खुद से खुश हैं या नहीं। अपने हालातों पर संतोष करने की भावना को जन्म देने के बाद आप में जलन की भावना खुद ही समाप्त होने लगेगी।
कठिन परिस्थिति का जिम्मेदार किसी को न मानें
ससुराल में पति से विवाद होने पर कई महिलाएं ऐसी होती हैं, जो कि सास या फिर ननद को इसका जिम्मेदार मानती हैं। दफ्तर में भी किसी परेशानी के दौरान यह ख्याल जरूर आता है कि आपके खिलाफ किसी महिला सहकर्मी ने शिकायत की होगी, इस तरह की सोच आपकी कठिन परिस्थिति को और भी विकट बना देती है। यह मान लें कि अगर आपके साथ कुछ गलत हो भी रहा है, तो उसे सुधारने के लिए खुद में बदलाव करें। शांत और गंभीर बनने की कोशिश करें। किसी अन्य महिला को इसके लिए आरोपी न बनाएं। कठिन परिस्थितियों से बाहर आने का रास्ता भी, तो कई बार आपको अपने परिवार की किसी महिला से मिलता है। फिर कैसे आप यह समझ सकती हैं कि एक महिला दूसरी महिला की दुश्मन होती है
बातचीत से होगा विचारों का आदान-प्रदान
किसी महिला को लेकर आपके मन में किसी भी तरह का संदेह है, तो उस पर बातचीत करें। कहा जाता है कि संवाद विवाद का अंत करते हैं। बातचीत के साथ विचारों का आदान-प्रदान करें। एक दूसरे को सुनें और समझने की कोशिश करें। अगर आप किसी बात पर सहमत नहीं हैं, तो उसके लिए बहस करने से बचें, लेकिन सामने वाली महिला की बातों को सुनें जरूर। इससे आपकी समझ विकसित होगी।
दें दूसरी महिलाओं का साथ
आप अपनी सबसे अच्छी मित्र और परिवार में मौजूद महिलाओं के अलावा उन महिलाओं की भी मदद करने की कोशिश करें, जिनसे आपकी मुलाकात होती रहती है। मौका मिले तो उनकी मदद करें। अगर कोई महिला दफ्तर में किसी हालात का अकेले सामना कर रही है, तो उसकी सहायता करें। अगर किसी महिला का मजाक बनाया जा रहा है, तो उस महिला के साथ खड़े हो जाएं। उसकी तकलीफ में उसका साथ दें। इससे आप उस धारणा को तोड़ती नजर आयेंगी, जो कि सालों से चली आ रही है कि एक महिला दूसरी महिला की दुश्मन होती है। इस सोच को अपने बर्ताव से जन्म दें कि एक महिला दूसरी महिला की साथ, हमदर्द और सहारा बन सकती हैं। एक महिला दूसरी महिला में बहनापा देख सकती हैं।
करें एक दूसरे को पैम्पर
ऐसा जरूरी नहीं है कि केवल आपको पुरुष ही पैम्पर कर सकते हैं, आप अपनी दोस्त, अपनी सास, अपनी भाभी या अपनी ननद को पैम्पर कर सकती हैं, इससे भी एक महिला का दूसरे महिला के प्रति प्यार और सम्मान बढ़ता है, एक दूसरे की ख़ुशी में खुश होने का मौका भी इस कथन को निराधार साबित करता है कि एक महिला दूसरी महिला की दोस्त नहीं हो सकती।