कभी-कभी चावल के डिब्बे से निकलता है तुम्हारा बिजली का बिल
छोटू के बर्थडे पर जो तुम भूल गए थे गिफ्ट, तो उसने कहा था ‘जस्ट चिल’
पिछले हफ्ते जो पर्स भूल गए थे तुम, जादुई छड़ी से ढूंढ निकाला था उसने
वो चली जाती है तुम्हारे साथ हर साल बीच ट्रिप पर, लेकिन उसे पसंद थे ‘हिल’
ये जो बिना बोले, बिना सोचे, गुपचुप से, हर स्थिति को संभाल लेती है वो
उसे बोले जाने वाले ‘थैंक यू’’ की क्या तुमने एफडी कराई है?
क्या मिलेगा उस पर कुछ ब्याज, जो तुमने ये कंजूसी फैलाई है
इस दिवाली गिफ्ट में पैक कर दो न उसके लिए ये तुम्हारी ‘थैंक यू’’ की एफडी
ब्याज सहित रख दो न उसके माथे पर ये अप्रिसिएशन का मांग टिका
जॉइंट अकाउंट की तरह दे दो न उसे एक जैसा हक, एक जैसी मिन्नत
उसकी कमाई से ले लो न एक गिफ्ट तुम भी, सच में नहीं घटेगी तुम्हारी इज्जत
इस साल ‘थैंक यू’ कह दो, कह दो नहीं है मुमकिन कुछ भी उसके बिना
न बिजली का बिल, न छोटू का गिफ्ट, न तुम्हारी होली और न दिवाली
सेलिब्रेट करो अपने घर की लक्ष्मी और उसका काम जो वो कर देती है बोले बिना
तो, आइए इस साल दिवाली सलाम करते हैं ‘घर की लक्ष्मी’ मीनाक्षी यादव, मुक्ता धामणकर और वर्षा म्हशिलकर को, जिन्होंने घर से ही अपने सपने को लगाएं पंख। ये तीन महिलाएं इस बात की मिसाल हैं कि छोटी शुरुआत से भी बड़ी पहचान बनाई जा सकती है। इन तीनों महिलाओं ने घर संभालते हुए जिस तरह अपने करियर को खूबसूरत मोड़ दिया है, वो भी अपने दम पर,वो वाकई तारीफ के काबिल है। यकीन मानिए, इनकी कहानियां हर उस महिला को प्रेरित करेंगी, जो घर पर रहते हुए भी कुछ कर दिखाना चाहती हैं, लेकिन बस उन्हें एक कदम उठाने की देर है।
मीनाक्षी यादव, कोचिंग संस्थान उद्यमी
मीनाक्षी यादव, मुंबई के डोंबीवली इलाके में रहने वालीं मीनाक्षी यादव ने चार्टेड अकाउंट्स की पढ़ाई की है। घर की जिम्मेदारियों को संभालते हुए शुरुआत में कभी घर में ही केवल एक बच्चे को कोचिंग पढ़ाना शुरू किया। लेकिन फिर धीरे-धीरे कोचिंग संस्थान की शुरुआत की, जहां कारवां एक से 100 छात्रों तक पहुंच गया। वर्तमान में मीनाक्षी एक सफल कोचिंग संस्थान की निदेशिका हैं। बचपन में पढ़ाई को अपना पैशन मानने वाली मीनाक्षी ने किस तरह अपने सपने को साकार किया है, उनकी दिलचस्प कहानी प्रेरणा की स्रोत है
वर्षा म्हशिलकर, खान-पान व्यवसायी
वर्षा म्हशिलकर, जो नवी मुंबई के खारघर में रहने वालीं हौसला बुलंद महिला हैं, जिन्होंने घर से ही लड्डू, स्नैक्स और मसाले बनाने का काम शुरू किया और कम समय में ही उनके ब्रांड ‘शैलीन’ को अच्छी पहचान दी। उनके खाद्य-पदार्थ भारत के अलावा विदेशों में भी भेजे जाते हैं। वर्षा की जिंदगी में एक बड़ा कठिन मोड़ आया और तभी उन्होंने तय किया कि वह हार कर या लाचार होकर बैठेंगी नहीं, बल्कि खुद पैरों पर खड़ी होंगी और परिवार का सहारा बनेगी। ऐसे में वर्षा की संघर्ष और सफलता की कहानी आपको प्रेरणा से भर देगी।
मुक्ता धामणकर, शेयर बाजार विशेषज्ञ
मुक्ता धामणकर, जो एक न्यूट्रिशनिस्ट भी हैं और पिछले 15 वर्षों से स्टॉक मार्केट की क्वीन बनी हुई हैं। मुंबई के चैंबूर इलाके में रहने वाली गृहिणी मुक्ता ने एक स्टॉक व्यापारी बनकर, अपनी जिंदगी को पूरी तरह बदल दिया। जिस दौर पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह से मंदी के दौर से गुजर रही थी और दुनिया भर के शेयर बाजार गिर गए थे। इस समय शेयर बाजारों में निवेश करने वाले हजारों भारतीय निवेशकों को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। ऐसे में दो बच्चों की मां मुक्ता, अनुशासित, मेहनती बिजनेस स्किल और निवेश निर्णयों के साथ सफल घरेलू महिला ही नहीं, बल्कि एक सफल बिजनेस वुमन भी बनीं।तो जानिए कैसे मुक्ता ने ‘घर की लक्ष्मी’ के नए मायने सामने लाएं।
तो आइए, जानिए इन तीनों शख्सियत की खास कहानी और किस तरह से इन्होंने ‘घर की लक्ष्मी’ के सही मायने दिए हैं। निश्चित तौर पर ये कहानियां हर उस महिला को प्रेरित करेंगी, जो घर में रहते हुए भी कुछ नया करने की चाहत रखती हैं, क्योंकि इन महिलाओं को सम्मान मिलेगा, तभी वास्तविकता में होगी हम सभी की हैप्पी दिवाली।
सीसीओ एवं एडिटर इन चीफ : तान्या चैतन्या
फीचरिंग : वर्षा म्हशिलकर,मीनाक्षी यादव,मुक्ता धामणकर
फोटोग्राफर : हरीश अय्यर
आर्ट डायरेक्टर : समीर मोरे
स्टाइलिस्ट : सोनाली वलेचा
मेकअप एवं हेयर : ओरेन मेकअप ब्यूटी इंस्टिट्यूट
कवर कॉर्डिनेशन एवं सहयोग : अनुप्रिया वर्मा, शिखा शर्मा, दृष्टि कपाड़िया, श्रेया गोस्वामी, करिश्मा सेन, रिया सभरवाल, यश बेदी