कभी महाराष्ट्र जाएं तो गणपति पूजन के समय जरूर जाने की राय हर ट्रैवलर जरूर देते हैं, वहीं कोलकाता का अगर दुर्गा पूजा नहीं देखा तो क्या देखा। दरअसल, भारत के कई ऐसे शहर हैं, जिनकी पहचान उनके यहां होने वाले त्योहारों से है, आइए जानें ऐसे शहरों और त्योहारों के बारे में विस्तार से।
गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र में
महाराष्ट्र में पूरे साल सबसे अधिक अगर धूम रहती है तो वह है गणेश चतुर्थी की, हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल भादपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन यह पर्व मनाया जाता है। इसमें जगह-जगह पर गणेश की आराधना की जाती है। काफी भव्य मूर्ति पूजन के लिए लाया जाता है। लालबागचा राजा का गणेश चतुर्थी सेलिब्रेशन देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। तो इस वक्त, महाराष्ट्र में जश्न का माहौल बना रहता है और एक अलग ही रौनक होती है, सो एक बार इस समय जरूर महाराष्ट्र के मुंबई शहर तो जरूर घूमने जाएंगे।
दुर्गा पूजा की धूम पश्चिम बंगाल में
दुर्गा पूजा की धूम पश्चिम बंगाल में खूब होती है, विदेशों से भी लोग इस त्यौहार के समय पश्चिम बंगाल जाते हैं, क्योंकि इस वक्त लगभग दस दिन का शानदार महोत्सव होता है। कई पकवान के साथ, फैशनबल अंदाज भी इस वक्त देखने का मौका मिलता है। वैसे दुर्गा पूजा में पश्चिम बंगाल के अलावा, गुजरात की नवरात्री और मैसूर का दशहरा जरूर देखना चाहिए।
होली है खास इन शहरों में
यूं तो पूरे भारत में अलग-अलग तरीके से होली मनाई जाती है। लेकिन विशेषकर राजस्थान के पुष्कर की होली और मथुरा की लठमार होली आपको किसी भी हाल में मिस नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये रंगों से सराबोर शहर बेहद खास होता है और होली को देखना यहां अपने आप में एक शानदार अनुभव है, जिसे जीवन में एक बार तो जरूर अनुभव करना चाहिए।
बिहार की छठ पूजा
बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला पर्व छठ मुख्य रूप से चार दिनों की पूजा होती है, जिसमें महिलाएं नदियों पर जाकर सूर्य भगवान की आराधना करती हैं, बिहार में इसे बेहद आस्था के साथ मनाया जाता है और इस वक्त एक अद्भुत ही नजारा होता है, जिसे देखना काफी सुखद होता है, यह अक्टूबर या नवंबर के महीने में मनाया जाता है, सो आप अगर दो दिन के लिए बिहार जाएंगे, तो एक अलग ही नजारा देख पाएंगी।
दक्षिण भारत का पोंगल
यह पर्व दक्षिण भारत के कई इलाकों में मनाया जाता है। यह भारत के दक्षिण में सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण हिंदू फसल उत्सवों में से एक है। पोंगल का शाब्दिक अर्थ है अतिप्रवाह, बर्तनों में चावल के पारंपरिक पकाने के नाम पर जब तक वे अतिप्रवाह नहीं करते हैं, जो समृद्धि और प्रचुरता का प्रतीक है। यह प्रत्येक वर्ष 13 से 16 जनवरी तक बहुतायत, शांति और खुशी की अवधि को चिह्नित करते हुए मनाया जाता है। जबकि पोंगल के प्रत्येक दिन का एक धार्मिक महत्व है, शहरी केंद्रों में लोग मुख्य त्योहार के दूसरे दिन मनाते हैं। पोंगल अद्वितीय और भारत में सौर कैलेंडर का पालन करने वाला एकमात्र त्योहार है। पोंगल के दौरान, अच्छे भाग्य और खुशी लाने की उम्मीद में दोस्तों और परिवारों के बीच शुभकामनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है। इसलिए इस दौरान केरल जैसे शहरों में जरूर जाएं।