किसी शायर ने ये पंक्तियां क्या ख़ूब लिखी है. हम हर वक़्त भीड़ का हिस्सा बने रहते हैं. उस भीड़ के बीच आप कभी ख़ुद की तलाश नहीं कर पाती हैं. आप इन बातों पर ग़ौर नहीं करतीं, लेकिन कई बार हम लगातार जब दूसरों के साथ होते हैं तो हमें उनकी तरह ही बनने की ख़्वाहिश होती रहती है. हम ख़ुद में कमियां तलाशते हैं या फिर एक कंफ़र्ट ज़ोन में ही बने रहना चाहते हैं तो हमें कई बार अपनी कमियों का एहसास ही नहीं होता. हम जब बाहरी दुनिया में जाते हैं, तब हमें इस बात का एहसास होता है कि हममें क्या नई और अलग बात है, क्या नहीं. ऐसे में हर बार ज़रूरी नहीं कि आपके हॉलीडे प्लान तभी बनें, जब आपकी सहेलियों के पास फ़ुरसत हों. कभी-कभी दुनिया को अपनी नज़रों से एक्स्प्लोरर करने के लिए सोलो ट्रिप पर ज़रूर जाना चाहिए. बहुत नहीं तो कम से कम साल में एक बार आपको सोलो ट्रिप्स की प्लानिंग करनी ही चाहिए. तो आइए, आपको ऐसी कुछ जगहों के बारे में और सोलो ट्रिप्स के बारे में विस्तार से बताते हैं.
एक नई 'मैं' को ढूंढ़ने के लिए
आप जब भीड़ का हिस्सा होती हैं तो आपको सबके अनुसार अपनी प्लानिंग करनी पड़ती है, कुछ निर्धारित डेस्टिनेशन व स्पॉट्स होते हैं, जिन्हें आपको घूमना होता है, क्योंकि वह पैकेज का हिस्सा होते हैं. ऐसे में आप कई बार उस शहर या उस जगह पर जाकर भी वहां घूम नहीं पाती हैं, जहां घूमना चाहती हैं. फ़िल्म मेकर इम्तियाज़ अली कहते हैं, "वैसी यात्राएं बेस्ट होती हैं, जो किसी प्लान के तहत नहीं होती हैं, ज़रूरी नहीं है कि आप ट्रिप पर गए हैं तो टू डू लिस्ट की तरह टिक मार्क जगहों को ही देखें, हो सकता है कि आपको अपनी ट्रिप पर किसी एक ही जगह पर तीन बार जाकर समय बिताने का मन करे तो आप जाइए और मज़े लीजिए. आप जब अपने साथ समय बिताते हैं तो दरअसल, आपको एक नई दुनिया देखने को मिलती है''.
तस्वीरें नहीं, मोमेंट बनाइए
सोलो ट्रिप की एक और ख़ास बात यह भी है कि इसमें आप केवल ग्रुप ट्रिप की तरह पूरा फ़ोकस तस्वीरें खिंचवाने में नहीं रहता. न ही किसी पर निर्भर रहना पड़ता है. आप ख़ुद उन छोटी चीज़ों पर भी ग़ौर करने लगती हैं, जो अमूमन अनदेखी रह जाती है. सोलो ट्रिप में आप चाहें तो किसी छोटी सी जगह को भी एक्स्प्लोर कर सकती हैं, वहां के लोकल लोगों से बातचीत कर सकती हैं. उनकी संस्कृति का लुत्फ़ उठा सकती हैं. ऐसे में आप ख़ुद को बिल्कुल ही नई दुनिया में देखने की कोशिश कर पाती हैं.
आत्मविश्वास को लगते हैं पर
अमूमन जब हम किसी के साथ होते हैं, तो हम उनकी तरह ही होने की कोशिश करने लगते हैं और घूमने की सारी ज़िम्मेदारियां आपस में बंट जाती हैं. ऐसे में कभी आपको आत्मविश्वास का एहसास नहीं हो सकता है. जबकि सोलो ट्रिप पर आप ख़ुद सबकुछ मैनेज करना सीख पाती हैं. कोई परेशानी भी आए तो उससे कैसे उबरना है, यह आपको सोलो ट्रिप सिखाता है, जो भविष्य में भी आपको हर डगर पर मदद करेगा.
ऐड्वेंचर का मज़ा आपको निडर बनाता है
कई बार ग्रुप में ऐसे लोग होते हैं, जिनको ऐड्वेंचर करने में मज़ा नहीं आता है. लेकिन सोलो ट्रिप में आप मनपसंद ऐड्वेंचर स्पोर्ट्स का लुत्फ़ उठा सकती हैं. आप अकेले बंजी जम्पिंग, ट्रेकिंग जैसी चीज़ें कर सकती हैं. आपको यहां न कोई डराने वाला होता है, न ही कोई तंग करने वाला होता है. चूंकि आपको भी पता है आपको न कोई देख रहा है, न जान रहा है. ऐसे में खुल कर सबकुछ एन्जॉय कर सकती हैं.
कोई जज नहीं करता
आपके पास ट्रैवलिंग के हिसाब से कपड़े हैं या नहीं, आपके पास मैचिंग ज्वेलरी या महंगे जैकेट्स हैं या नहीं. ग्रुप ट्रैवलिंग में इन चीज़ों पर काफ़ी फ़ोकस होता है. एक दूसरे को लोग जज भी बहुत जल्दी करने लगते हैं. उदाहरण के लिए, आप कुछ लड़कियों के साथ ट्रिप पर हैं और आपके बारे में पहले से ही लोगों ने जज कर रखा है कि आप पैदल घूमना ज़्यादा पसंद नहीं करेंगी तो वे आपको कभी पैदल घूमने वाली जगहों पर जाने के लिए पूछेंगी ही नहीं, जबकि आपकी चाहत होगी कि आप जाएं. वे पहले से मान लेंगी कि इसे तो लिफ़्ट में डर लगता है तो यह कोई ऐड्वेंचर नहीं कर पाएगी. जबकि सोलो ट्रिप में आपको जज करने वाला कोई नहीं होता. आपको जो करना है, आप अपनी मर्ज़ी की मालकिन ख़ुद होती हैं.
बजट आपके मुताबिक़
कई बार प्रतिष्ठा में प्राण गंवाते हुए, हम जब ट्रिप्स पर रहते हैं तो महंगे होटल, शॉपिंग, खाना-पीना इन चीज़ों को ना नहीं कह पाते. हर दिन के अनुसार अलग-अलग थीम के कपड़े भी ख़रीदने पड़ते हैं. ऐसे में जहां आपका बजट कम में हो जाना था. वह बढ़ता जाता है. लेकिन सोलो ट्रिप में आपको पता है कि इतने ही पैसे ख़र्च करने हैं तो आप बस उतने ही बजट के अनुसार अपनी प्लानिंग कर सकती हैं.
कुछ ज़रूरी तैयारियां पहले से हों
आप जब भी सोलो ट्रिप की प्लानिंग करें तो कुछ तैयारियां पहले से कर लें. कम से कम आप जिस दिन जहां पहुंचने वाली हैं, वहां नाइट स्टे के बारे में जानकारी अच्छी तरह ले लें और एक रात की बुकिंग कर लें. इस बात की भी पूरी जानकारी हो कि वह होटल सुरक्षित हो. आप अपना पोर्टेबल चार्जर, मोबाइल, खाने-पीने के स्नैक्स, सारे आईडीज़ की फ़ोटो कॉपी, कैश इन चीज़ों को साथ रखें. सामान बैकपैक में ही रखें. जितना कम सामान हो, आपके लिए उसे कैरी करना अच्छा होगा. कोशिश करें कि सुरक्षित जगहों पर जाएं. जहां जा रही हैं, वहां के मौसम और माहौल की पूरी जानकारी ले लें. कुछ ज़रूरी दवाइयां रख लें. एमरजेंसी के लिए कुछ पैसे रखें. बीच में अपने दोस्तों से और अपने पैरेंट्स से सम्पर्क में रहें. इन सारी बातों के अलावा आपका पॉज़िटिव रहना बेहद ज़रूरी है, तभी आप बिना डरे पूरी ट्रिप का मज़ा ले सकेंगी.
ये जगहें सोलो ट्रिप के लिए अच्छी हैं
शिलॉन्ग में महिलाएं बेहद खुले मिज़ाज की हैं. वहां रात के समय भी लड़कियां सुरक्षित हैं. भूटान में भी बौद्ध संस्कृति होने की वजह से बहुत शांति रहती हैं.ये जगह भी लड़कियों के लिए अच्छी है. यहां ट्रेकिंग करने का लुत्फ़ लिया जा सकता है. मुन्नार भी लड़कियों के लिहाज से बेहतर जगह मानी जाती है. ठंड के मौसम में अगर सोलो ट्रिप की प्लानिंग करती हैं तो नैनीताल, चम्बा, मसूरी,औली, गुजरात का रण ऑफ़ कच्छ व उदयपुर अच्छे डेस्टिनेशन हैं.