पिछले दिनों बरेली का झुमका एक बार फिर से चर्चे में इसलिए आया, क्योंकि फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में फिर से इस गाने को नए अंदाज में प्रस्तुत किया गया। वर्ष 1966 में बनीं फिल्म ‘मेरा साया’ में साधना पर यह फिल्माया गया था और तब से लेकर आज तक यह गाना प्रासंगिक ही हैं, तो इसी गाने के बहाने आइए जानते हैं कुछ ऐसे शहरों के बारे में, जिन्हें गाने के माध्यम से हमने और करीब से जाना है और यह भी जानने की कोशिश करते हैं कि उस शहर से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंग क्या रहे हैं।
बरेली के बाजार, झुमका और सुरमा
बरेली को बांस-बरेली भी कहा जाता है, इसकी बड़ी वजह यह है कि यहां बांस के फर्नीचर बनते हैं, बरेली का नाम हालांकि वर्ष 1537 में राजा जगत सिंह कथेरिया के बेटे बंसलदेव और बरलदेव के नाम पर रखा गया और इतिहास की बात करें, तो पांचाल क्षेत्र यही था, द्रौपदी यहीं से संबंध रखती थीं। यहां सिक्के और टेराकोटा की चीजें भी खूब बनती रही हैं। अंग्रेजों का लम्बे समय तक इस क्षेत्र पर अधिकार रहा, क्योंकि यहां कई तरह की चीजें बना करती थीं, जिनमें शीशे का काम, ज्वेलरी, लाख की चूड़ियां और चारपाई बनाना लोगों का महत्वपूर्ण काम होता था। गौरतलब है कि सुरमा भी यहां कई सालों से बनाया जाता रहा है, आपको जान कर हैरानी होगी, लेकिन पूरे भारत में यहीं से सुरमा भेजा जाता है, याद हो कि सुरमा बरेली वाला, आंखों में ऐसा डाला गाना भी काफी लोकप्रिय गीतों में से एक रहा है। साथ ही यहां का झुमका इस कदर लोकप्रिय हुआ कि एक तिराहे पर पीतल से बना एक विशालकाय झुमका लगाया गया।
पान के जिक्र के बिना अधूरी है बनारस की चर्चा
फिल्म डॉन में अमिताभ बच्चन पर सबसे पहले फिल्माया गया था गाना खइके पान बनारस वाला, क्योंकि बनारस, जो तब काशी और अब वाराणसी के नाम से जाना जाता है, यहां के लोकप्रिय पान के बारे में चर्चा इसलिए होती रही है, क्योंकि बनारस को भगवान शिव की नगरी माना जाता है, और ऐसा माना जाता है कि पान का पहला बीज भगवान शिव और माता पार्वती ने हिमालय के एक पहाड़ पर बोया था, इसी वजह से पान के पत्ते को पवित्र पत्ते के रूप में पहचान मिली, आज भी सभी धार्मिक रस्मों में पान के पत्ते का इस्तेमाल होता है। बनारस के सादे पान में जर्दा इस्तेमाल नहीं होता है, यहां सबसे अधिक मीठा पान खाया जाता है। यहां के पान की जो सबसे बड़ी खासियत रही है कि यहां का पान पूरी दुनिया में लोकप्रिय है और यहां के पत्ते एकदम अलग होते हैं, इस गाने की वजह से भी बनारस की लोकप्रियता और बढ़ी है।
दिल्ली शहर, चांदनी चौक, चोर बाजार, मीना बाजार
दिल्ली शहर की अपनी खासियत रही है, यहां की पुरानी और नयी दिल्ली अपने-अपने खास कारणों के कारण लोकप्रिय रही है, लेकिन गानों में अगर इसकी बात करें, तो चांदनी चौक जो कि यहां लहंगे और ट्रेडिशनल कपड़ों के लिए जाना जाता है, साथ ही चोर बाजार और मीना बाजार का भी जिक्र कई बार होता रहा है, क्योंकि दिल्ली की छोटी-छोटी गलियों में खूब सारे झुमके, कपड़े, दुपट्टे और ऐसी कई दिलचस्प चीजें खरीदारी के लिए मिलती हैं, साथ ही घर की सजावट के लिए भी कई प्यारी चीजें यहां मिलती हैं, इसलिए इनका नाम भी गानों में खूब इस्तेमाल होता रहा है। दिल्ली का यह बाजार सिर्फ रविवार के दिन खुलता है, इसे एशिया का सबसे सस्ता बाजार है। यहां आपकी जरूरत का हर सामान आपको काफी कम दामों में मिल जायेगा।