भारत में ऐसी कई गुफाएं हैं, जो बेहद लोकप्रिय हैं और कभी मौका मिले, तो इन जगहों पर जरूर जाना चाहिए। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से।
अर्जुन गुफाएं
कुल्लू से बस 5 किलोमीटर की दूरी पर यह मौजूद है। यह जगतमुख स्थान में से एक है, यह राजा भगत सिंह की राजधानी भी रही है। यह स्थान बिम्बकेश्वर और गायत्री देवी के मंदिर के विशेष आकर्षण में से एक माना जाता है। खास बात यह भी है कि यह हमटा नाम के स्थान से बेहद नजदीक है। यहां अर्जुन की विशाल प्रतिमा है। यहां 2 किलोमीटर की दूरी में त्रिवेणी नाम का स्थान भी है, जहां व्यास गंगा, धोमाया गंगा और समाया गंगा का संगम रहा है। यह एक किलोमीटर की दूरी पर गर्म पानी के कुंड के लिए भी जाना जाता है, यहां प्रसिद्ध मठ भी है।
वराह गुफाएं
तमिलनाडु में चेन्नई से कुछ दूरी में महाबलीपुरम स्थित है और यही पर स्थित है वराह गुफाएं, वराह गुफा में भगवान विष्णु का मंदिर है, यह चट्टानों को काट कर की गई कलाकारी के लिए जाना जाता है। इसे यूनेस्को के द्वारा विश्व विरासत के रूप में माना जाता है। वराह गुफा पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र माना गया है। यहां के अन्य गुफाओं में सित्तनवसल और नार्थमलाई गुफा भी लोकप्रिय है।
अजंता एलोरा की गुफाएं
अजंता के बारे में खास बात यह है कि यह पूरे तीस गुफाओं का समूह है और यह मामूली गुफा नहीं है, इन गुफाओं को घोड़े की नाल के आकार में काटा गया है और कई पहाड़ों को काटकर इसे तैयार किया गया है। इसकी खास बात यह है कि यहां वाघोरा नहीं बहती है और गुफाओं के पास मौजूद गांव अजंता के नाम पर इन गुफाओं का नाम पड़ा है। यह गुफा महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है। इसे राष्ट्रकूट वंश ने बनवाया था। यहां की गुफाओं में बौद्ध धर्म का संदर्भ मिलता है। पूरे विश्व से लोग इसे देखने आते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि एलोरा की गुफाओं के नीचे एक सीक्रेट शहर है। यहां एक ऐसी सुरंग है, जो लोगों को अंडरग्राउंड शहर में लेकर जाती है।
एलिफेंटा गुफाएं
महाराष्ट्र के मुंबई से बस कुछ ही दूरी पर स्थित ही एलिफेंटा गुफाएं, जिन्हें देखना बेहद पसंद करते हैं, यह गेट वे ऑफ इंडिया से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गुफा भी पहाड़ों को काट कर बनाई गई है, यह मान्यता है कि सातवीं और आठवीं शताब्दी में राष्ट्रकूट राजाओं द्वारा खोजा गया था, इन गुफाओं की संख्या सात हैं, यह कई हजार साल पहले खोजा हुआ गुफा है। यह नाम पुर्तगालियों ने दिया है। और मुंबई में जो भी लोग घूमने आते हैं, वे एलिफेंटा भी जरूर घूमने जाते हैं। इस गुफा को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत का सम्मान मिला हुआ है।
बादामी गुफा
बादामी गुफा की जहां तक बात की जाए, तो कर्नाटक का बादामी गुफा भी काफी लोकप्रिय है। बादामी गुफा की बात करें, यहां चार गुफाएं हैं। यह गुफाएं पहाड़ों को काट कर लाल पत्थर से बनाई गई गुफाएं हैं और अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती है। यहां की नक्काशी देखने लायक होती है। खासतौर से बादामी चालुक्यों की राजधानी इसे ही माना जाता था, यहां 6 से 8 वीं सदी ईसवीं में शासन होता था। वर्ष 1979 में मूर्तियों, अभिलेखों और पुरातत्वीय अंशों का संग्रह और परीक्षण करने के लिए मूर्तिशाला को स्थापित किया गया था। फिर इसे बाद में संग्रहालय के रूप में परिवर्तित किया गया।
भीमबैठका
मध्य प्रदेश प्रांत के रायसेन जिले में स्थित भीमबैठका रातापानी अभ्यारण्य में स्थित है। यह भोपाल से 40 किलोमीटर दक्षिण में है। यह महाभारत काल से काफी लोकप्रिय माना जाता है। यहां से ही सतपुड़ा की पहाड़ियों की शुरुआत होती है। खास बात यह है कि इसे आदिमानव द्वारा बनाया गया है। ये गुफाएं 30 हजार साल पुरानी गुफाएं हैं। यूनेस्को ने इसे भी विश्व धरोहर स्थल में से एक मान लिया है। यह भारत के प्राचीन चिन्हों में से एक माना जाता है।
बोरा गुफाएं
आंध्र प्रदेश में बेलम और बोरा दो गुफाएं हैं, जो बेहद प्रसिद्ध है, यह गुफाएं आंध्र प्रदेश में है और दस लाख साल पुरानी इन गुफाओं पर भू वैज्ञानिकों ने शोध किया है कि यह स्टाइलक्टाइट की गुफाओं के रूप में जानी जाती है। यहां आज भी आदिवासी लोग रहते हैं, खास बात यह भी है कि यह कुर्नूल से 106 किलोमीटर दूर बेलम गुफाओं के पास स्थित है। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह गुफाएं भारतीय उपमहाद्वीप की दूसरी सबसे बड़ी प्राकृतिक गुफाएं हैं। आंध्र प्रदेश की कृष्ण नदी पर स्थित विजयवाड़ा की गुफाएं भी बेहद लोकप्रिय है।
उदयगिरि की गुफाएं
उदयगिरि मध्यप्रदेश के विदिशा से वैसननगर होते हुए पहुंचा जा सकता है। खास बात यह भी है कि यह भिलसा से चार मील की दूर बेतवा और बेश नदियों के बीच स्थित है। उदयगिरि का संदर्भ हमें कालिदास के साथ भी मिलता है।
बाघ गुफाएं
मध्य प्रदेश में विंध्याचल पर्वतमाला पर बाघनी नदी के तट पर स्थित, बाघ गुफाएं भी काफी लोकप्रिय हैं और इन गुफाओं की ख़ास बात यह है कि यह पूरे नौ चट्टानों को काटकर बनाई गई संरचनाओं का एक खास समूह है। यह अपनी प्राचीन चित्रकारी के कारण भी बेहद लोकप्रिय है और इसलिए इन्हें रंग महल के नाम से भी जाना जाता है। इन गुफाओं के निर्माण को लेकर मान्यता है कि यह निर्माण बौद्ध भिक्षु दातका ने चौथी शताब्दी के अंत में छठी शताब्दी ई में किया था।
मावसमाई गुफाएं
मेघालय में चेरापूंजी एक ऐसी जगह है, जो सबसे ज्यादा बारिश होने के लिए जानी जाती है, साथ ही यहां की जो मावसमाई गुफाएं हैं, वो भी काफी लोकप्रिय हैं, यह दरअसल प्राकृतिक चूना पत्थर की गुफाएं हैं। सुंदर नोहसंगिथियांग झरने के पास स्थित, मावसमाई गुफाएं मेघालय बेहद लोकप्रिय हैं और प्राकृतिक संरचना के लिए जानी जाती है, इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यहां रेंगकर गुजरना पड़ता है।
जोगीमारा गुफाएं
छत्तीसगढ़ के घने जंगलों के बीच में जोगीमारा की गुफाएं स्थित हैं। खास बात यह है कि यहां गुफाओं तक एक प्राकृतिक सुरंग के माध्यम से पहुंचा जा सकता है, जिसे हाथीपोल के नाम से जाना जाता है। यहां के बारे में मान्यता है कि राम, सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान यहां अपने दिन बिताए थे। यहां की गुफाएं प्राचीन चित्रों और शिलालेखों से भरी हुई हैं।
डुंगेश्वरी गुफाएं
डुंगेश्वरी गुफाएं बिहार में बोधगया से लगभग 12 किमी दूर स्थित हैं। ऐसी मान्यता है कि बुद्ध ने यहां ध्यान किया था। डुंगेश्वरी की तीन गुफाओं के अंदर बुद्ध की एक स्वर्ण प्रतिमा, बुद्ध की एक और विशाल मूर्ति और हिंदू देवी डुंगेश्वरी की एक मूर्ति मौजूद है।