इतिहास से सरोकार रखनेवालों के लिए ऐतिहासिक स्थल किसी जन्नत से कम नहीं। आइए जानते हैं भारत के कुछ प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों के बारे में।
ताजमहल के साथ और भी बहुत कुछ हैं उत्तर प्रदेश में
कई संस्कृतियों को समेटे भारत में कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनका महत्व इतिहास में रूचि रखनेवालों के साथ-साथ पर्यटकों को भी लुभाता रहा है। हालांकि जब भी ऐतिहासिक स्थलों का जिक्र आता है तो न चाहते हुए भी सबसे पहले दिमाग में उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित ताजमहल का नाम आता है। 1632 में अपनी पत्नी मुमताज के लिए शहजहां द्वारा बनावाये गए प्रेम के इस निशानी को इसके ऐतिहासिक अस्तित्व के साथ भव्यता के लिए भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस भव्य संरचना को बनाने में लगभग 22 वर्ष लगे थे और स्थानीय किंवदंतियों की माने तो इसे बनानेवालों के हाथ काट दिए गए थे, जिससे भविष्य में फिर कभी, कहीं दूसरा ताजमहल न बन सके। हालांकि खबर है कि दुबई में ताजमहल से प्रेरित एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाया जा रहा है, जिसका आकार ताजमहल का चार गुना है। उत्तर प्रदेश में ही मुगल कालीन फतेहपुर सिकरी और आगरा का किला जैसे ऐतिहासिक स्थल भी हैं, जो इतिहास प्रेमियों का ध्यान जब-तब अपनी तरफ खींचते रहते है।
भारतीय मुस्लिम वास्तुकला से समृद्ध है दिल्ली
दिल्ली में कदम रखते ही जिसका ख्याल सबसे पहले आता है, वो है लाल किला। 1638 से 1648 के बीच लगभग दस वर्षों में बनकर तैयार हुआ लाल किला भारत के चुनिंदा ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली करने के बाद शाहजहां ने इसका निर्माण किया था। जब इसे बनाया गया था, तब इसका नाम किला-ए-मुबारक हुआ करता था। शाहजहां ने इसे मूल रूप से सफेद चूना पत्थर से बनवाया था, लेकिन जब ये पत्थर टूटने लगे तो अंग्रेजों ने इसे लाल रंग से रंगकर नाम दिया लाल किला। लाल किला के अलावा उत्तरी दिल्ली में स्थित लाल बलुआ पत्थरों से बना है कुतुब मीनार। भारतीय मुस्लिम वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण कुतुब मीनार की मंजिलों पर उकेरी गई नक्काशियां और कुरआन की आयतें भी अपनी ऐतिहासिकता की कहानी कहती हैं। ऐसा माना जाता है कि उत्तर भारत के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनवाये गए कुतुब मीनार के तल पर बनी कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद भारत की पहली मस्जिद है। इसी के पास एक लौह स्तंभ भी है, जिसके लिए कहा जाता है कि इसमें पिछले 2000 वर्षों से जंग नहीं लगा। दिल्ली में ही स्थित है भारतीय फारसी वास्तुकला का अद्भुत नमूना हुमायूं का मकबरा और इंडिया गेट। हर वर्ष इंडिया गेट पर गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड़ का आयोजन किया जाता है। यहीं पर अमर शहीद जवानों की याद में सदैव अमर ज्योति जलती रहती है।
ऐतिहासिकता के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है राजस्थान में
राजस्थान, अपनी ऐतिहासिक समृद्धि के लिए पूरे भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में मशहूर है। जंतर-मंतर के साथ हवा महल, आमेर किला, मेहरानगढ़ किला, जैसलमेर किला, नाहरगढ़ किला, जयगढ़ किला, नीमराना किला, कुम्भलगढ़ किला, सिटी पैलेस, जल महल और कुलधरा ये कुछ ऐसे नाम हैं, जो इतिहासप्रेमियों का ध्यान वर्षों से अपनी तरफ खींचते आ रहे हैं। इनमें जयपुर में स्थित जंतर-मंतर इतिहास के साथ विज्ञान प्रेमियों को भी खूब आकर्षित करता है। 18वीं शताब्दी में विज्ञान के बहुत बड़े प्रशंसक राजा सवाई माधो सिंह द्वारा बनवाई गई दुनिया की इस सबसे बड़ी खगोलीय वैधशाला में दुनिया की सबसे बड़ी धूपघड़ी है। इसके अलावा इस वैधशाला में ऐसे उपकरण लगे हुए हैं, जो आपको आकाशीय पिंड की स्थिति बताते हैं। साथ ही आमेर किला जहां पीले और गुलाबी बलुआ पत्थरों से बना एक अविस्मरणीय यूनेस्को साइट है, वहीं कुम्भलगढ़ किले के लिए ऐसा माना जाता है कि कुम्भलगढ़ की दीवारें, डी ग्रेट वॉल ऑफ चाइना, के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार है। राजस्थान सही मायनों में ऐतिहासिक स्थलों का खजाना है, यही वजह है कि भारत के अन्य राज्यों की तुलना में इतिहास प्रेमियों का जमावड़ा यहां सबसे अधिक पाया जाता है।
मध्य प्रदेश में है सर्वधर्म समभाव की भावना
भारत के मध्य बसा मध्य प्रदेश भी ऐतिहासिक स्थलों का ऐसा खजाना है, जो अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। प्रेम, शाश्वत, अनुग्रह, सुंदरता, नाजुकता और रचनात्मकता कलाओं को दर्शाती अनगिनत मूर्तियां जहां खजुराहो की शान है, वहीं बुद्ध के अवशेष वाले सांची स्तूप में बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक केंद्र है, जिसका निर्माण तीसरी ईसा पूर्व सम्राट अशोक ने करवाया था। ऐसा माना जाता है कि बुद्ध के अवशेषों को कांच की तरह चमकाने के लिए मौर्यकालीन पॉलिश से रंगा गया था। इन स्थलों के अलावा अपने समय का मशहूर ग्वालियर किला भी लंबे समय से मौजूद है। ऐसा माना जाता है कि इस किले का निर्माण 6वीं शताब्दी में किया गया था, जिसकी खूबसूरती का बखान करते हुए बाबर ने इसे भारतीय किलों के बीच एक अनमोल मोती बताया था। इसके अलावा शून्य संख्या का सबसे पुराना संदर्भ यहीं अंकित है। अगर ये कहें तो गलत नहीं होगा कि ऐतिहासिक शहर ग्वालियर में स्थित इस किले ने कई राजवंशों के उत्थान-पतन का दौर बेहद करीब से देखा है।
पैलेस की खूबसूरती में भीगा गुजरात
अपनी ऐतिहासिक संस्कृति के लिए मशहूर गुजरात में भी आपको कई ऐसे स्थल मिल जाएंगे, जो वर्षों से इतिहास प्रेमियों को लुभाते रहे हैं। रानी की वाव या बावड़ी और लक्ष्मी विलास पैलेस उन्हीं में से एक ऐतिहासिक समृद्धि का नमूना है। इनमें 24 मीटर गहरी रानी की वाव का निर्माण 11वीं शताब्दी में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव की स्मृति में उनकी पत्नी रानी उदयमती ने करवाया था। बेहद सूझबूझ से बनवाई गयी इस बावड़ी के सबसे निचले स्तर का उपयोग पहले पड़ोसी गांवों से बचने के लिए एक मार्ग के रूप में किया जाता था। हालांकि यदि इसे गौर से देखें तो पता चलता है कि इसकी थीम भगवान विष्णु के 10 अवतारों पर आधारित है और जलस्तर के पास हजारों सर्पों के सिर पर लेटे विष्णु की एक मूर्ती भी है। लक्ष्मी विलास पैलेस की बात करें तो 1890 में इस पैलेस का निर्माण महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने करवाया था। इंडो-सरसेनिक वास्तुकला का अनूठा उदाहरण इस पैलेस का अंदरूनी हिस्सा यूरोपीय संस्कृति से प्रेरित है। इस पैलेस की खासियत यह है कि इसका आकार यूरोप के बकिंघम पैलेस की तुलना में चार गुना है।
ऐतिहासिकता के साथ आध्यात्मिकता और कुर्बानियों का स्थल है पंजाब
पंजाब अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है। हालांकि इनमें से कई सुखात्मक अनुभूति की जगह दुखात्मक अनुभूति का पर्याय हैं। इनमें से ही एक है 6.5 एकड़ में फैला जलियांवाला बाग, जहां बैसाखी के दिन जनरल डायर ने सामूहिक गोलीबारी के जरिए हजारों निर्दोष लोगों को मौत का निशाना बनाया था। बैसाखी के दिन हुए इस कुख्यात नरसंहार ने जलियांवाला बाग को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को लाल कर दिया था, जिसकी लालिमा आज भी इतिहास की किताबों में कैद है। इसी कुख्यात स्थल के पास स्थित है मानवता की मिसाल श्री हरमंदिर साहिब, जिसे सभी स्वर्ण मंदिर या गोल्डन टेंपल के नाम से जानते हैं। पूरी दुनिया में सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थानों में से एक गोल्डन टेंपल कई वर्षों से भारतीय संस्कृति की मिसाल के तौर पर मौजूद है। हालांकि 1830 में महाराजा रणजीत सिंह ने इसे दुबारा शुद्ध सोने और संगमरमर से बनवाया। अमृतसर के बीचो-बीच बने इस गुरूद्वारे में हर रोज लाखों की संख्या में तीर्थयात्री आते हैं और लंगर खाते हैं। भारत के पांच सर्वश्रेष्ठ स्मारकों में से एक गोल्डन टेंपल आध्यात्मिक लोगों के साथ इतिहास प्रेमियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है।
व्यवसायियों के साथ इतिहास प्रेमियों को भी पसंद है मुंबई
भारत की आर्थिक राजधानी कहे जानेवाले मुंबई में जहां आधुनिकता का दौर छाया रहता है, वहीं इतिहास प्रेमियों के लिए छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के साथ इंडिया गेट और एलिफेंटा केव्स हैं, जो भारतीयों के साथ विदेशियों का ध्यान भी अपनी तरफ आकर्षित करता है। विशेष रूप से 1887 में विक्टोरियन-गॉथिक शैली में बना छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, सेंट्रल रेलवे के हेड ऑफिस के साथ अब यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज भी बन चुका है। इस स्मारक का निर्माण महारानी विक्टोरिया के 50वे जन्मदिन के अवसर पर किया गया था। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के अलावा इंडिया गेट का निर्माण भी अंग्रेजों द्वारा इंग्लैंड आने-जाने के लिए किया गया था। हालांकि यहीं से उनका आखिरी जहाज भी रवाना हुआ था। मुंबई के ऐतिहासिक स्थलों के साथ रमणीय स्थलों में शुमार एलिफेंटा केव्स का निर्माण 5वीं और 7वीं शताब्दी में हुआ था। ये गुफाएं मूल रूप से दो भागों में हैं, जिनमें पहले भाग में पांच हिन्दू मंदिर और दूसरे भाग में दो बौद्ध मंदिर बने हैं।