अकेले यात्रा करते हुए राह में मिलनेवालों से दोस्ती करने का अपना मजा है, लेकिन उससे भी ज्यादा मजेदार होता है एक ऐसा हमसफर, जो आपके सफर को शुरू से लेकर अंत तक खूबसूरत बनाये रखे। आइए जानते हैं आखिर यात्रा के समय कैसा होना चाहिए आपका साथी।
सोच-समझकर करें साथी का चुनाव
घूमना-फिरना, हमारे जीवन का वो अनुभव है जो न सिर्फ हमारा अनुभव बढ़ाता है, बल्कि हमें भविष्य में आनेवाली कई चुनौतियों के लिए भी मजबूत बनाता है। विशेष रूप से आकर्षक और आश्चर्यचकित करनेवाली यात्राएं, दृढ इच्छा शक्ति के साथ हमारा मनोबल भी बढ़ाती हैं। और अगर इस अनुभव में अपने किसी प्रिय साथी का साथ मिल जाए तो क्या कहने। हालांकि घूमने-फिरने के लिए सही साथी का चुनाव बेहद जरूरी होता है, लेकिन कई बार हमारी ये एक गलती हम पर इतनी भारी पड़ती है कि हमारी यात्रा का पूरा मजा किरकिरा हो जाता है। तो अपने और अपनी यात्रा अनुकूल साथी चुनते वक्त आप सबसे पहले इस बात का ख्याल रखें कि आपका साथी आपकी तरह सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर और ठंडे दिमाग का हो। वरना आमतौर पर छोटी सी बात पर हुई कहा-सुनी को कुछ लोग इतना बड़ा बना लेते हैं कि पूरी यात्रा में अलग-थलग होकर नकारात्मकता फैलाते रहते हैं।
जरूरी नहीं दोस्त भी हों, अच्छे साथी
दोस्तों के साथ घूमना-फिरना और बातें करना आखिर किसे नहीं पसंद। हम सब जिंदगी के किसी न किसी मोड़ पर एक ऐसे दौर से गुजरे हैं, जहां दोस्तों के साथ बिताए गए सुनहरे पल हमारे दिलों में अब भी ताजा हैं। ऐसे में जब कहीं जाने का ख्याल आता है, तो हमें अपने उन्हीं दोस्तों का ख्याल आता है, जिनके साथ हमने अपना सुनहरा वक्त बिताया था। ऐसे में प्लांस बनते हैं और पुरानी यादों में खोए आप निकल पड़ते हैं अपने सबसे अच्छे दोस्त के साथ घूमने। वहां किसी बात पर कोई कहा-सुनी हो गई और सब बेकार। तो सबसे पहले आपको ये बात समझनी होगी कि साथ वक्त बिताना और साथ घूमना, दोनों में फर्क है। साथ वक्त बिताते समय हमारा लक्ष्य समय काटना होता है, जबकि यात्रा में साथ घूमते वक्त हमारा ध्यान नए अनुभव, नई खोज और नयी चीजों की तरफ होता है। इसलिए यात्रा पर निकलने से पहले इस बात का अच्छी तरह मनन कर लीजिए कि क्या आपका सबसे अच्छा दोस्त, आपकी यात्रा के दौरान सबसे अच्छा साथी साबित हो सकता है?
शेड्यूल, बजट और पसंद के साथ सोच मिलनी बहुत जरूरी है
आम तौर पर कहीं यात्रा पर निकलने से पहले हम सबसे अपने साथी का शेड्यूल, फिर बजट और पसंद देखते हैं और उसके अनुसार यात्रा की योजना बना लेते हैं। लेकिन होता ये है कि पसंद अनुसार जगह तय करने के बावजूद सोच में फर्क आ जाता है। एक साथी को लगता है की जहां हम गए हैं उसे पूरी तरह एक्सप्लोर किया जाए और दूसरे साथी को लगता है कि इतना तो घूम लिया अब जरूरत से ज्यादा खाक छानने की क्या जरूरत? इसके अलावा एक को लगता हो कि जहां हम आए हैं, वहां के लोकल व्यंजनों का मजा लेते हुए उनके साथ उनकी जिंदगी जी जाए, वहीं दूसरा दोस्त, इसके विपरीत किसी होटल में रहना चाहता है और लोकल व्यंजन नही खाना चाहता। इस तरह की कई छोटी-छोटी बातें हैं, जो आपकी यात्रा को बेमजा कर सकती हैं।
सेंस ऑफ ह्यूमर को प्राथमिकता दें
जिस जगह से आप परिचित नहीं, वहां जाना ही अपने आपमें तनाव का विषय होता है। उसमें भी कई बार पैकिंग में हमसे चूक हो जाती है और कुछ जरूरत का सामान घर छूट जाता है। इससे न सिर्फ तनाव का स्तर बढ़ता है, बल्कि कई बार ये हमारी चिढ़ का विषय भी बन जाती है। इसलिए यात्रा के दौरान अपना साथी चुनते वक्त ऐसा साथी चुनें, जो आपकी गलतियों पर हंसने के साथ, आपको भी हंसना सिखाए। सफर कितना भी मुश्किल भरा हो, लेकिन अपनी हंसी और सेंस ऑफ ह्यूमर से न सिर्फ सफर को आसान बनाए, बल्कि अपने आस पास के लोगों को भी अपने अनुकूल बनाए। ये बात तो आप भी मानती होंगी कि सेंस ऑफ ह्यूमर से भरे लोग जिंदादिल और खुशदिल होने के साथ-साथ हरदिल अजीज होते हैं। उनका आस-पास होना ही हमें तनावमुक्त करते हुए सुरक्षा का भाव देता है।
भरोसेमंद होने के साथ-साथ अपनी भावनाओं को लेकर ईमानदार हो
आम तौर पर लोग कहते कुछ हैं और करते कुछ। हो सकता है अपनी यात्रा के लिए आपने जिन्हें अपने साथी के तौर पर चुना हो, उसने सिर्फ आपको खुश करने के लिए या आपके साथ जाने के लिए यात्रा की तैयारी कर ली हो। हालांकि वहां पहुंचने के बाद जब वो आपसे अपने दिल की बात दबे-छुपे शब्दों में बताते हैं, तो आपका अच्छा मूड भी बर्बाद हो जाता है। जरा सोचिए, जब आपको पता चले कि आप ट्रेकिंग के लिए गए हैं और आपके साथी को ऊंचाई से डर लगता है। इसलिए कहीं भी जाने से पहले ऐसे साथी का चयन करें, जो अपनी पसंद-नापसंद के साथ अपनी अच्छाई-बुराई, अपने डर, अपनी असुरक्षा और अपनी योजनाओं के बारे में आपसे खुलकर बात करे। इसके अलावा वो भरोसेमंद हो, जिससे एक ही कमरे में रहते हुए आपको अपने सामान, पैसों या किसी अन्य चीज को लेकर सशंकित न रहना पड़े।