भारतीय घरों में रसोई घर और पूजा घर का काफी महत्व रहा है। यही वजह है कि पेटपूजा और देवपूजा वाली ये जगहें आस-पास बनाई जाती थी। विशेष रूप से रसोई घर यानी जो अब किचन हो चुका है, उसकी बात करें तो पूरे घर में इसका अपना एक अलग साम्राज्य होता था, जो आज भी नहीं बदला है। फर्क सिर्फ इतना है कि जहां पहले किचन काफी बड़े हुआ करते थे, वहीं आज आधुनिक जीवनशैली ने किचन को काफी सीमित कर दिया है। तो आइए जानते हैं आपके छोटे से किचन को कैसे स्टोरेज फ्रेंडली बनाएं, जिससे वह आकर्षक लगे।
छोटे से किचन का बड़ा संसार
समय के साथ काफी चीजों में बदलाव हो चुके हैं, लेकिन एक चीज जो आज भी नहीं बदली है, वह है हमारा किचन और किचन में इस्तेमाल की जानेवाली चीजें। एक छोटे से किचन में खाना पकाने की सबसे प्राथमिक चीज गैस स्टोव के साथ होते हैं, ढेर सारे बर्तन और उन ढेर सारे बर्तनों के साथ ढेर सारे मसाले। बर्तन साफ करने के लिए सिंक भी उसी छोटे से किचन में होता है, जिससे किसी फंक्शन के दौरान हमारा किचन खुद हमारी समझ से परे हो जाता है। अगर ऐसा ही हाल इस दौरान आपका भी है, तो कुछ तरीके अपनाएं और किचन को व्यवस्थित बनाएं।
खाने की जान मसालों को रखें साथ
हल्दी, लाल मिर्च, धनिया पाउडर और गरम मसालों के साथ नमक, भारतीय सब्जियों की मूलभूत सामग्री है, जिसका इस्तेमाल आम तौर पर हर घर में किया जाता है। इसके अलावा, ऐसे अनगिनत मसाले होते हैं, जो अलग-अलग प्रांतों के अनुसार उनके व्यंजनों में इस्तेमाल होते हैं। ऐसे में उन सभी को अपने छोटे से किचन में सहूलियत अनुसार रखना काफी चुनौतीपूर्ण है और उससे भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण है, समय पड़ने पर उन सभी का मिल जाना। ऐसे में उन्हें रखने के लिए कांच की छोटी-छोटी पारदर्शी बोतलों का इस्तेमाल करें, जिससे वे आपके किचन की रैक में आसानी से फिट हो जाएं और नजर भी आएं। साथ ही मसालों का एक रैक बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि वे चाहे ऊपर हों या नीचे लेकिन ऐसी जगह हों, जिससे खाना बनाते वक्त उन मसालों तक पहुंचने में आपको मशक्क्त न करनी पड़े। इसके अलावा, मसालों का रैक आप खुला रखना चाहती हैं या बंद, ये पूरी तरह आपकी पसंद पर निर्भर करता है। आप चाहें तो रैक बनाते समय रिवॉल्विंग रैक भी बनवा सकती हैं। इसमें कम जगह में आपके मसालों की काफी बोतलें आ जाएंगी।
बर्तनों को भी दें थोड़ा स्पेस
मसालों के साथ हमारे घरों में जिनका साम्राज्य सबसे बड़ा होता है, वे हैं हमारे बर्तन। ये हमने खरीदी है, ये हमारी शादी में मिली है, ये मम्मी ने दी है, ये मेरी सबसे अच्छी दोस्त ने दी है। जब कभी इन बर्तनों को घर से निकालने का ख्याल मन में आता भी है, तो हमारे दिमाग में इस तरह की बातें चलने लगती हैं और हम वापस बर्तनों को सहेजकर रख देते हैं। दरअसल, हमारे लिए ये सिर्फ बर्तन नहीं, बल्कि इमोशन हैं, जिनसे दूर जाना हमारे लिए मुमकिन नहीं। अधिकतर भारतीय घरों में इन बर्तनों के अलावा किसी बड़े फंक्शन में इस्तेमाल होनेवाले बर्तन और ताम्बा पीतल के बर्तन अलग होते हैं, जिन्हें आम तौर पर हम किसी खास दिन के लिए स्टोररूम या बेड के किसी कोने में संजोकर रख देते हैं। गौरतलब है कि जब सचमुच उन्हें बाहर निकालने की बारी आती है तो हमारी हालत खराब हो जाती है। हालांकि इन बर्तनों के साथ अब नॉनस्टिक बर्तनों ने भी भारतीय घरों में अपनी एक अलग जगह बना ली है। ऐसे में सभी बर्तनों के लिए छोटे से किचन में जगह बना पाना मुश्किल है लेकिन आधुनिक जीवनशैली ने मॉड्यूलर किचन के जरिए काफी घरों को इस समस्या से राहत पहुंचाई है। छोटी सी जगह में बड़ी बड़ी चीजें कैसे रखी जाएं, इसका समधान चुटकियों में हो जाता है।
बर्तनों को बनाएं ‘ईजी टू अवेलेबल’
बर्तनों को सहेजना सबसे मुश्किल काम है, लेकिन मॉड्यूलर किचन के जरिए आप इस समस्या को सुलझा सकती हैं। तो सबसे पहले इन सारे बर्तनों को उनके इस्तेमाल के क्रम में अलग अलग कर दें। उसके बाद बर्तनों के लिए अलमारी बनाते वक्त इस बात का ख्याल रखें कि बर्तनों के इस्तेमाल के साथ उसके वजन और आकार अनुसार बर्तनों को उस अलमारी में स्थान दें। हां, मगर अलमारी बनाते वक्त इस बात पर जरूर ध्यान दें कि वह नीचे हो और विस्तृत जगह में हो। हर बर्तन की अलमारी का दरवाजा अलग हो तो ये और अच्छा होगा। इससे आपको अपनी जरूरत अनुसार बर्तन ढूंढने नहीं पड़ेंगे। रोजमर्रा के इस्तेमाल में आनेवाले बर्तनों को आप चाहें, तो किचन की खाली दीवार पर एक हुक के जरिए भी लटका सकती हैं।
नए जमाने के किचन उपकरणों का भी रखें ख्याल
पहले आम भारतीय किचन में गैस स्टोव, चूल्हा या स्टोव के अलावा मसाला और आटा पीसने का पत्थर हुआ करता था, लेकिन आज ऐसा नहीं है। गैस स्टोव के साथ मिक्सर ग्राइंडर, ज्यूसर, माइक्रोवेव अवन, ओटीजी के साथ सैंडविचमेकर जैसे तमाम बिजली के उपकरण अब किचन के घरेलू उपकरणों में जुड़ चुके हैं। अधिकतर घरों में ये आम तौर पर किचन प्लेटफॉर्म पर ही रखे होते हैं, जिससे सारा किचन अस्त व्यस्त लगता है। अगर आप भी यही करती हैं तो ऐसा न करें। सबसे पहले अपने सभी उपकरणों को किचन में उचित स्थान दें और उनके वायर्स की उचित व्यवस्था करते हुए सभी को एक सॉकेट से जोड़ने का प्रयास करें। इससे इस्तेमाल के लिए आपको हैरान नहीं होना पड़ेगा।
किचन है, तो खाना भी तो खाना है
किचन का दूसरा नाम ही भोजन है और भोजन है तो उसकी सामग्री भी होगी। और हमारे भारतीय घरों में ये सामग्री एक-दो हफ्तों की नहीं, बल्कि पूरे महीने की होती है। ऐसे में इसकी मात्रा कितनी होगी, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। तो सबसे पहले डेयरी प्रोडक्ट्स के लिए अपने फ्रिज में एक ऐसी जगह चुनें, जहां वे खराब न हों। चावल, दाल, गेहूं और शक्कर के लिए किचन के बचे कोनों का इस्तेमाल करते हुए एक ऐसी अलमारी बनाएं, जहां से इन चीजों को लेने में आपको आसानी हो। आप चाहें तो उसी के बगल में तेल, घी और मसालों के लिए भी एक छोटी सी अलमारी बना सकती हैं। जैम, सॉस और अचार की बोतलों के लिए किचन के ऊपर या नीचे एक अलग रैक बनवाकर आप इन्हें अलग रखें, जिससे ये टूटे नहीं।
आलू, प्याज और लहसून को मत भूल जाइए
भारतीय घरों में भारतीय व्यंजनों की बात हो तो आलू, प्याज और लहसून को चाहकर भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। ये ऐसी सब्जियां हैं, जो न सिर्फ सब्जियों का जायका बढ़ाती हैं, बल्कि रोजमर्रा की सब्जियों के अभाव में सब्जियों की जरूरत भी पूरी करती हैं। इतनी महत्वपूर्ण होने के बावजूद, इन्हें मिलता है तो एक कोना, जहां कभी कभी ये सड़ भी जाती हैं। तो किचन में इनका खास ख्याल रखते हुए इन्हें खुले रैक में एक साथ किन्तु अलग अलग सेक्शन बनाकर रखें। हां रैक बनाते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि ये आपकी पहुंच से ज्यादा दूर न हो, क्योंकि खाना बनाते वक्त हर जगह ये अपनी उपस्थिति बताते रहते हैं।