जैसे-जैसे लोग पर्यावरण के प्रति सचेत होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे इको फ्रेंडली चीजों से हमारा रिश्ता गहरा होता जा रहा है और उनका दखल घर की सजावट में भी बढ़ता जा रहा है। फिलहाल आइए जानते हैं इको-फ्रेंडली तरिके से बच्चों के कमरे आप कैसे सजा सकती हैं।
लकड़ी को कहें ‘हां’ और प्लास्टिक को कहें ‘न’
बच्चों के लिए इको-फ्रेंडली कमरे बनाते समय सबसे पहली शर्त ये है कि जितना हो सके आप प्लास्टिक से दूर रहें। हालांकि प्लास्टिक की तुलना में लकड़ी से बनी चीजें, आपकी जेब पर थोड़ा असर डाल सकती हैं, लेकिन यकीन मानिए वे पर्यावरण अनुकूल होने के साथ-साथ टिकाऊ भी होती हैं। इसके अलावा लकड़ी से बनी चीजों का एक फायदा यह भी होता है कि आप इन्हें आसानी से किसी भी रंग से रंगकर हर बार नया रूप दे सकती हैं। वैसे टिकाऊ और खूबसूरत फर्नीचर के लिए एफएससी सर्टिफाइड लकड़ियां पर्यावरण अनुकूल होती हैं। आप चाहें तो इन फर्नीचर्स को हर बार कुछ नया लुक देने के लिए किसी कपड़े, पुराने तकिये या कंबल का भी उपयोग कर सकती हैं। वैसे बच्चों के लिए इको-फ्रेंडली कमरा तैयार करने का सबसे बेहतर तरीका है प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग करना और इनमें सबसे बेहतर है बांस। तो आप लकड़ी के फर्नीचर की बजाय बांस के फर्नीचर से भी इसकी शुरुआत कर सकती हैं। जेब के साथ वजन में भी हल्के इन फर्नीचर्स की सबसे अच्छी बात यह होती है कि इन्हें कभी भी बदलना बेहद आसान होता है।
जहरीले केमिकल्स की बजाय नेचुरल चीजों को दें महत्व
बच्चों के लिए इको-फ्रेंडली वस्तुओं की लिस्ट में आप कॉटन, लिनन और मलमल की तरह अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से बने इको-फ्रेंडली कपड़ों का भी चुनाव कर सकती हैं। अपने बच्चों को प्रकृति के बेहद करीब रखने के लिए इन कपड़ों से आप बिस्तर, चादर, पर्दे, कपड़े और डायपर भी बना सकती हैं। सिर्फ यही नहीं इन कपड़ों को साफ करने के लिए आप जिन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करेंगी, कोशिश कीजिए कि वे भी नेचुरल हो। इसके अलावा घर की सफाई के लिए आप जहरीले केमिकल्स की बजाय बेकिंग सोडा, विनेगर और फ्रूट्स के छिलकों से बनें प्रोडक्ट्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। घर की सफाई के अलावा बच्चों के कमरों के लिए वॉलपेपर और पेंट का चुनाव करते समय भी आप इस बात का ध्यान रखें कि वे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक न हों। अत: बच्चों के कमरे में ऐसे पेंट्स लगाएं, जिनमें वीओसी कम या बिल्कुल न हो। बच्चों के कमरों के लिए आप मिट्टी, साइट्रस और दूध प्रोटीन का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। साथ ही कई नई कंपनियां भी हैं, जो अपने वॉलपेपर में प्लास्टिक की बजाय नॉन-वोवन फ्लीस पेपर और अन्य इको-फ्रेंडली चीजों का इस्तेमाल कर रही हैं। आपके बच्चों के परफेक्ट इको-फ्रेंडली रूम के लिए यह भी एक बेहतर विकल्प है।
इको-फ्रेंडली कमरे के लिए एलईडी (LED) बल्ब है सबसे बेहतर
बच्चों के लिए इको-फ्रेंडली कमरा बनाते समय इंसुलेशन भी बेहद जरूरी है। यदि आप किसी ऐसे शहर में रहती हैं, जहां गर्मियों में बेहद गर्मी और सर्दियों में बेहद सर्दी होती है, तो तापमान स्थिर रखने के लिए इंसुलेशन एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके अलावा कई बार छोटे बच्चे शोर में सो नहीं पाते या बड़े बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते, तो उनके लिए इंसुलेशन एक बेहतर विकल्प है। पर्यावरण अनुकूल होने के साथ-साथ यह आपके बच्चों को ध्वनि प्रदूषण से भी दूर रखता है। अपने बच्चों के लिए इको-फ्रेंडली कमरे डिजाइन करते समय एक और सरल बदलाव आप कर सकती हैं, और वो है एलईडी (LED) बल्ब का इस्तेमाल। एलईडी (LED) बल्ब से न सिर्फ बिजली की खपत कम होती है, बल्कि वो पर्यावरण के लिए लाभदायक भी होते हैं। इसके अलावा वे अन्य बल्ब से 25 गुना अधिक चलते हैं, यानी कि हर तरफ से पैसों की बचत। पर्यावरण के प्रति हमारी बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं, जिन्हें निभाकर ही इस समाज में हम अपनी हिस्सेदारी साबित कर सकते हैं। ऐसे में बच्चों को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक करना हमारा कर्तव्य है और उनके कमरे को आप इसकी पहली सीढ़ी मान सकती हैं।
बच्चों के कमरे में पौधे जरूर लगाएं
बच्चों के लिए एक इको-फ्रेंडली कमरा बनाने का एक सर्वश्रेष्ठ तरीका यह भी है कि आप उसके कमरे में कुछ पौधे रख दें। पौधे न सिर्फ ऑक्सीजन प्रोड्यूस करते हैं, बल्कि आपके बच्चों के कमरे में हवा को फिल्टर करने में भी मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा पौधों से बच्चे जिम्मेदारी के साथ महत्वपूर्ण चीजों की देखभाल करना भी सीखते हैं। ऐसे में आम तौर पर सस्ते, लेकिन सजावट के लिए परफेक्ट पौधे आसानी से इको-फ्रेंडली कमरे की कल्पना को साकार कर सकते हैं। बस, इन्हें रखने के लिए आपको इस बात का ख्याल रखना होगा कि इन्हें आप प्लास्टिक की बजाय मिट्टी के बर्तन में रखें। इन सब बातों के अलावा बच्चों के लिए इको-फ्रेंडली कमरे बनाते समय इस बात का भी ख्याल रखें कि आप जो कर रही हैं, वो आपके बच्चे के लिए एक कीमती सबक हो सकता है। इसके अलावा आपका यह कदम उन्हें भविष्य में न सिर्फ पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाएगा, बल्कि इस ग्रह का जिम्मेदार नागरिक भी बनाएगा।
इको-फ्रेंडली चीजों के साथ बच्चों की क्रिएटिविटी बढ़ाएं
यदि आपके पास समय हो तो अपने बच्चों के कमरे के लिए सजावट की चीजें खरीदने की बजाय ऐसी सामग्री खरीदें, जिसका इस्तेमाल करके आप खुद अपने बच्चों का इको-फ्रेंडली कमरा तैयार कर सकें। इनमें धागा, रस्सी, कपड़े, रंग, कांच, मोती और लकड़ी शामिल हो सकते हैं। हालांकि इको-फ्रेंडली चीजों के बारे में सिखाते हुए उन्हें खुद कुछ बनाने को प्रेरित करना उनकी क्रिएटिविटी को और बढ़ा देगा। इसके लिए आप चाहें तो ऑनलाइन वीडियोज या ऐसे चैनल्स भी फॉलो कर सकती हैं, जिनमें इस तरह की चीजें बताई और सिखाई जाती हैं। विशेष रूप से गर्मियों की छुट्टियों में ये सब सीखना उनके लिए काफी दिलचस्प होगा। पर्यावरण बच्चों की दिनचर्या का हिस्सा बने और वे उनकी रोजमर्रा की आदतों में शामिल हो, इसके लिए बचपन से ही उन्हें आपको इसके बारे में सिखाना होगा। गौरतलब है कि बचपन से पर्यावरण के प्रति जागरूक बच्चे हर चीज का मोल समझते हैं और संसाधनों को इस्तेमाल करने के साथ-साथ उसके प्रति अपनी जिम्मेदारी भी निभाते हैं।
पर्यावरण प्रभाव के साथ बच्चों का स्वभाव
आम तौर पर बच्चों की शरारतों को देखते हुए बच्चों का कमरा इको-फ्रेंडली और आकर्षक होने के साथ-साथ टिकाऊ होना बेहद जरूरी है, क्योंकि जिज्ञासु स्वभाव के बच्चों में तोड़-फोड़ की प्रवृत्ति थोड़ी ज्यादा होती है। ऐसे में उनका कमरा आकर्षक होने के साथ-साथ जितना टिकाऊ होगा, उतना आपके लिए फायदेमंद भी होगा। तो इसके लिए आपको अपने बच्चों का कमरा सजाने या उन्हें तैयार करने से पहले ऐसी सामग्रियों पर विचार करना होगा, जो इको-फ्रेंडली होने के साथ-साथ मजबूत भी हों और लंबे समय तक आपको इन पर खर्च करने की जरूरत न पड़े। इसके अलावा ऐसे संसाधनों का प्रयोग करें, जिनमें इकोलॉजिकल फुटप्रिंट्स कम हों और वे एनर्जी एफिशिएंट समस्याओं का समाधान हों। दरअसल इको-फ्रेंडली चीजों से न सिर्फ हमारा पर्यावरण सुरक्षित रहता है, बल्कि स्वस्थ इनडोर वातावरण बच्चों को सकारात्मकता का माहौल भी देता है और सबसे अच्छी बात उनसे कूड़ा भी नहीं फैलता। हालांकि बच्चों के लिए यह इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि इससे वे न सिर्फ इको-फ्रेंडली चीजों के साथ पर्यावरण का महत्व समझने लगते हैं, बल्कि उसके प्रति जागरूक भी हो जाते हैं।