जेल में महिला कैदियों की सेहत और मानसिक स्वास्थ्य के लिए कई राज्यों में कई तरह की योजनाएं लाई जाती हैं। ऐसा ही हाल ही में तमिलनाडु में हुआ है, जहां पर भारत में पहली बार एक पेट्रोल रिटेल आउटलेट की जिम्मेदारी पूरी तरह से दोषी महिला कैदियों के हाथ होगी, लेकिन क्या आप जानती हैं कि इससे पहले भी कई राज्यों में जेल में मौजूद महिलाओं को रोजगार के कई अवसर मिले हैं, साथ ही गर्भवती महिला कैदियों के लिए जेल में कई तरह के नियम हैं। आइए जानते हैं इस संबंध में विस्तार से।
पेट्रोल रिटेल आउटलेट की जिम्मेदारी महिला कैदियों के हाथ
तमिलनाडु में महिला दोषियों द्वारा संचालित पहला ईंधन आउटलेट शुरू किया गया है। हाल ही में तमिलनाडु के कानून और जेल मंत्री एस रघुपति ने इसका उद्घाटन किया। इसका नाम फ्रीडम फिलिंग स्टेशन रखा गया है, जो कि महिलाओं की विशेष जेल के बगल में मौजूद है। तमिलनाडु जेल विभाग ने इस पर कहा है कि इससे दोषियों के सुधार और पुनर्वास में काफी मदद मिल सकती है। यह दिलचस्प है कि भारत में पहली बार एक पेट्रोल रिटेल आउटलेट की जिम्मेदारी पूरी तरह से दोषी महिला कैदियों द्वारा किया जाएगा। यह काफी दिलचस्प है कि इस योजना के जरिए लगभग 30 महिला कैदियों को रोजगार मिलेगा। साथ ही सभी महिलाओं को हर महीने 6 हजार के करीब वेतन भी मिलेगा। जाहिर सी बात है कि इस पहल से कैदियों को अच्छा बर्ताव करने और नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करेगी, क्योंकि नौकरी के लिए पात्र होने के लिए उन्हें कुछ मानदंडो और व्यवहार संबंधी मानदंडों को पूरा करना भी होगा।
महिला कैदियों के लिए खास सुविधाएं
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में महिला कैदियों के लिए खास सुविधाएं रखी गई हैं। इसकी वजह यह है कि मुरादाबाद की जेल में कई सारी ऐसी महिलाएं हैं, जो कि अपने बच्चों के साथ रहती हैं। जेल में बच्चों के भविष्य को देखते हुए उनके मानसिक विकास के लिए बच्चों का पार्क बनाया गया है, जिससे बच्चे यहां खेल सकेंगे और अपने शारीरिक और मानसिक रूप से विकसित कर सकें। ज्ञात हो कि वर्तमान में इस जेल में 3 हजार से अधिक कैदी हैं।
महिलाएं जेल में बनाती हैं मूर्तियां
उत्तर प्रदेश के बस्ती में एक सरकारी स्कूल शिक्षक महिला कैदियों को हुनरमंद बनाने का काम कर रहे हैं। जिले के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी कैदियों को हुनर से जुड़ी कई सारी चीजें सिखा रही हैं। इसमें कैदी महिलाएं न्यूज पेपर से मूर्ति बनाती हैं। पहले महिलाएं इन कामों को लेकर काफी डरी हुई थीं। दिलचस्प है कि महिला कैदी भी पूरी मेहनत और धैर्य से इस कला का अभ्यास करती हैं और उनकी बनाई चीजें जेल के बाहर सरकारी दफ्तरों तक पहुंचती हैं, इस योजना के तहत महिला कैदी मानसिक तौर पर खुद को स्वस्थ रख पाती हैं।
जेल की महिला कैदी पैड वूमन
लखनऊ के गोसाईगंज जेल की महिला कैदी पैड वूमन बन गई हैं। बता दें कि गोसाईगंज जेल में मौजूद 200 के करीब महिलाएं कैदी हैं। यहां पर महिलाएं सैनिटरी पैड बनाकर लोगों की मदद कर रही हैं। उम्र कैद की सजा काट रही महिलाएं सैनिटरी पैड की कमाई से अपना गुजारा चलाती है। सैनिटरी पैड बनाने के साथ यह महिलाएं कपड़े की थैली और अन्य तरह के सामान भी बनाती हैं। यह जान लें कि यह उत्तर प्रदेश की एकमात्र ऐसी जेल है, जहां पर महिला बंदी रहती हैं, जो कि आजीवन कारावास की सजा मिली है।
जान लें जेल में मिलता है महिला कैदियों को ये अधिकार
यह भी जान लें कि भारतीय कानून के अनुसार जेलों में बंद महिलाओं के पास कुछ विशेषाधिकार भी होते हैं। इसमें सबसे अहम यह होता है कि गर्भवती और अधिक उम्र वाली महिला कैदियों को अलग रखने का भी प्रावधान है। गर्भवती कैदी को सही समय पर इलाज और देखभाल का भी प्रावधान है। जेल के पास मौजूद अस्पताल में उसका पूरा इलाज किया जाना चाहिए। साथ ही पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें पौष्टिक भोजन देने का भी प्रावधान दिया गया है। अगर कोई महिला कैदी किसी बच्चे को जन्म देती है,तो वह बच्चे के साथ एक महीने तक अलग आवास पर देखभाल पा सकती है। महिला कैदी के जन्म प्रमाण पत्र पर जन्म स्थान पर जेल का जिक्र नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि महिला और पुरुष कैदियों को एक साथ नहीं रखा जाएगा।
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