हिमाचल प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान काफी कुछ खास रहा है, खासतौर से महिलाओं की भागीदारी अलग अंदाज में दिखी है। जी हां, खास बात यह है कि 157 मतदान केंद्रों का प्रबंधन केवल महिला कर्मचारियों ने किया है। इस बारे में खुद मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने बताया है कि राज्य भर में 157 मतदान केंद्रों का प्रबंधन पूरी तरह से महिला कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है।
सीईसी कुमार ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "राज्य भर में 157 मतदान केंद्र ऐसे रहे, जिन्हें पूरी तरह से महिला कर्मचारियों द्वारा प्रबंधित किया गया। हमीरपुर जिले में एक क्रेच सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है, ताकि बच्चों के साथ आने वालों के पास मतदान न हो, ताकि कोई भी परेशानी न हो। उन्होंने आगे कहा कि हिमाचल में 56,000 विकलांग व्यक्ति (पीडब्ल्यूडी) मतदाता हैं।
सीईसी ने कहा, "हमने उनके लिए बहुत सारी व्यवस्थाएं की हैं। 37 मतदान केंद्रों का प्रबंधन पूरी तरह से पीडब्ल्यूडी कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है। खास बात यह है कि यह उनके लिए रोजगार का एक माध्यम बना, जिसे हम प्रोत्साहन देना चाहते थे। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि राज्य के बुजुर्ग मतदाताओं ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है और इस बात की सराहना की। उन्होंने कहा कि मैं प्रदेश के 80 वर्ष से अधिक आयु के 1.2 लाख मतदाताओं को धन्यवाद कहना चाहूंगा, क्योंकि उनसे प्रेरणा लेकर युवाओं को आगे बढ़ने का अवसर मिलता है और लोग बड़ी संख्या में वोट करते हैं।
बता दें कि मतदाताओं की कुल संख्या में से 27,37,845 महिलाएं, 28,54,945 पुरुष हैं। साथ ही इस बार महिला उम्मीदवारों का प्रतिनिधित्व 24 है। हमीरपुर जिले के दो निर्वाचन क्षेत्रों भोरंज (41,266 पुरुष और 41,472 महिला मतदाता) और शिमला जिले में जुब्बल-कोटखाई (36,468 पुरुष और 36894 महिलाएं) हैं, जहां पुरुषों की तुलना में महिला मतदाता अधिक हैं। 16 निर्वाचन क्षेत्रों में इनकी संख्या लगभग पुरुष मतदाताओं के बराबर है।
यह बात उल्लेखनीय रही कि वर्ष 1998 के विधानसभा चुनावों में, जो दोनों पार्टियों के बहुमत में विफल होने के कारण तार-तार हो गया, पुरुषों के लिए 70.2% की तुलना में महिलाओं के लिए मतदान प्रतिशत 72.1% था। यह वह चुनाव भी था जब मैदान में 25 में से 68 सदस्यीय सदन के लिए अधिकतम छह महिला उम्मीदवार चुनी गयी थीं। इसके बाद, 2012 के राज्य विधानसभा चुनावों में सबसे अधिक 34 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं, हालांकि, केवल तीन ही जीत पायी थीं, लेकिन महिला मतदाताओं ने फिर से पुरुषों को पछाड़ दिया था। ऐसे में महिलाओं के लिए मतदान प्रतिशत बढ़कर 76.2% हो गया, जबकि पुरुषों के लिए यह 69.39% था। वहीं अगर पिछले विधानसभा चुनाव में, जो 2017 में हुआ था, महिला मतदाताओं का मतदान 77.92% था, जबकि पुरुष 70.58% के मतदान प्रतिशत के साथ फिर से पीछे थे। और इस साल भी महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है।