उत्तर प्रदेश में लगातार महिलाओं को आगे बढ़ने के मौके मिल रहे हैं, ऐसे में राज्य में ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर उद्यमी बनने वाली महिलाओं की संख्या सैकड़ों में बढ़ रही है और यह अपनी योग्यता और मेहनत से खुद को और अपने जैसी कई महिलाओं को आगे बढ़ा रही हैं। जी हां, बसनी गांव की रहने वाली आरती देवी अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए जहां एक स्कूल में कैंटीन चलाती हैं। रोजगार के इस अवसर से न केवल उनके परिवार का भरण-पोषण होता है, बल्कि उन्हें परिवार के सदस्यों और अन्य लोगों से सम्मान भी मिलता है। वहीं सोनी गुप्ता, जो अपने स्वयं सहायता समूह (SHG) जय माता दी SHG की 11 महिलाओं के साथ एक बेकरी चलाती हैं। इन महिलाओं का मानना है कि सरकार की मदद से इन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिल रही है। दरअसल, ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी 1.27 लाख से अधिक महिलाएं विभिन्न उद्यमों में खुद को जोड़कर कम से कम दस हजार रुपये प्रति माह कमा रही हैं। गौरतलब है कि वाराणसी में 10,635 स्वयं सहायता समूह हैं, जिनमें महिलाओं की कुल संख्या 1,27,620 है। इनमें आजीविका मिशन से जुड़ी 72,862 महिलाएं उद्यमी बनकर घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि अब तक स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को 2,500 रुपये का स्टार्टअप फंड, 15,000 रुपये का रिवॉल्विंग फंड और सामुदायिक निवेश कोष के रूप में 1,10,000 रुपये दिए जाते हैं। आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाएं स्कूलों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में कृषि, पशुपालन, सिलाई, किराना, फूलों की खेती, पावरलूम, हस्तशिल्प, मुर्गी पालन, फिनाइल, वाशिंग पाउडर जैसे कई उत्पादों का उत्पादन और बिक्री करती हैं। कई महिलाएं चप्पल बनाने के काम से भी जुड़ी हैं और अपने परिवार का पालन पोषण कर रही हैं।
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