बिहार में जब से शराब पीने पर पाबंदी लगाई गई है, ऐसे कई पियक्क्ड़ हैं, जिन्हें शराब पीने की बुरी लत है, वे शराब पीने के बहाने झारखंड के शहरों और गांवों में जाते हैं, क्योंकि बिहार से सबसे नजदीक झारखंड ही है। ऐसे में यह झारखंड के कई गांवों के लिए एक बड़ा अभिशाप बन चुकी है। ऐसे में झारखंड की महिलाओं ने एक नयी मुहिम छेड़ दी है। यहां के एक गांव की महिलाओं ने एक अनोखा शराबबंदी अभियान शुरू किया है, जहां वे ऐसे पुरुषों को अपने गांवों में शराब पीने से रोकती हैं और स्थानीय शराब की दुकानों को नष्ट कर देते हैं। दरअसल, बिहार से हर दिन सैकड़ों पुरुषों का समूह शराब पीने के लिए झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में जाता है। इसके कारण झारखंड भर के गांवों में रहने वाली महिलाओं ने अपने गांवों की रक्षा करने और ऐसे शराबी पुरुषों को पड़ोसी बिहार से बाहर निकालने की जिम्मेदारी लेने का फैसला किया है।
और यह शानदार कदम उठाया है बिहार के नवादा जिले के पास स्थित झारखंड के सतगवां प्रखंड के आसनकोनी गांव की महिलाओं ने। एक रिपोर्ट के मुताबिक इन्होंने गांव के बाहरी इलाके से आने वाले शराबियों को रोकने के लिए अपने गांव की लाठी और लकड़ी के ब्लॉक से पहरा देना शुरू कर दिया है। पिछले एक महीने से शुरू किया गया यह अभियान शहर में चर्चा का विषय बन गया है। आसनबनी गांव में रहने वाली महिलाओं ने अवैध रूप से शराब बेचने वाली आधा दर्जन शराब की दुकानों को भी ध्वस्त कर दिया है। इस पहल को जिंदा रखने में पुलिस भी इस गांव की महिलाओं की मदद कर रही है। गौरतलब है कि स्वयं सहायता संगठन के निर्देश पर गांव में रहने वाले पुरुषों और महिलाओं की एक बैठक आयोजित की गयी, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि सभी लोग एक समूह बनाकर गांव की सीमा पर दिन-रात लाठी और लट्ठे लेकर पहरा देंगे। नतीजतन, बिहार में शराबी इस गांव में प्रवेश करने की हिम्मत करते हैं। इस पहल को देख कर,अब आसनबनी गांव की तरह ही अब बिहार के गया जिले से एकदम नजदीक स्थित झारखंड के चौपारण के चतरा जिले के दानुआ और चोरदाहा गांवों में भी शराब के खिलाफ स्थानीय लोगों की बैठक हो रही है। इन इलाकों में भी स्थानीय लोगों ने शराबबंदी के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया है।
आसनबनी गांव में शराबबंदी अभियान का नेतृत्व करने वाली महिलाओं में से एक महिलाओं का कहना है कि ऐसे पुरुषों के उनके गांव में घुसने से यहां के स्थानीय लोगों को ऐसा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा है। स्थिति यह थी कि बिहार से आए शराबियों का गांव में प्रतिदिन आना-जाना लगा रहता था। गांव में बार-बार हाथापाई और मारपीट की घटनाएं सामने आ रही थीं और जिसका बच्चों और महिलाओं पर बुरी तरह से पड़ रहा है। आसनबनी गांव में रहने वाले स्थानीय लोगों ने अवैध रूप से शराब बेचने वालों को चेतावनी दी, जिसके बाद उन्होंने अवैध रूप से शराब बेचने वाली कई शराब की दुकानों को तोड़ दिया। आसनबनी गांव की आंगनबाड़ी केंद्र की सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि ऐसे लोगों के बिहार से उनके गांव में घुसने से उनके गांव की पहचान धूमिल हुई है। लोग अब इस गांव को इसके असली नाम कलाली मोड़ से जानने लगे हैं। उनका कहना है कि उनके गांव में रहने वाले स्थानीय लोगों ने भी पुलिस और जिला प्रशासन से मदद मांगी। और पुलिस ने उनका पूरा साथ दिया है। शराबबंदी के इस अभियान में एक स्थानीय स्वयं सहायता संगठन के स्थानीय युवक भी आगे आये हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह बिहार से शराब पीने आए लोग चौपारण के भघर पंचायत के परसतारी में धाधार नदी में बह गए। ऐसी स्थिति दोबारा न हो और उनका गांव बेहतर बना रहे, इसलिए यह कदम उठाया जा रहा है।