हिमाचल प्रदेश के इलाके की कई महिलाएं खुद को आत्म-निर्भर बनाने की कोशिश कर रही हैं, ऐसे में भारत सरकार की जाइका परियोजना न सिर्फ ग्रामीण महिलाओं के लिए आर्थिकी का एक साधन बन रही हैं, बल्कि उनके पारंपरिक कार्यों को आधुनिक तरीकों से आय बढ़ाने का काम करती हुई नजर आ रही है, मंडी जिला सहित प्रदेश के अन्य जिलों में शादी समारोह से लेकर किसी भी बड़े आयोजनों में टौर के पत्तों से बनी पत्तलों पर खाना परोसा जाता है। वन मंडल मंडी के अंतर्गत कई महिलाएं पीढ़ी दर पीढ़ी टौर के पत्तों की पत्तलें पारंपरिक कार्य करती नजर आ रही हैं, अच्छी बात यह है कि जाइका परियोजना ने अब इनके पारंपरिक कार्य को आधुनकिता के साथ करवाने का काम शुरू किया है। इन्हें अब मशीन से पत्ते बनाने की सुविधा दे दी गयी है, इससे पत्तलों की उम्र भी बढ़ गई है और उनकी आमदनी भी अच्छी होने लगी और इन पत्तलों की डिमांड भी बढ़ गई है, गौरतलब है कि इसका मुख्य उद्देश्य वनों का संरक्षण के साथ ग्रामीणों को आजीविका मुहैया कराना है। अच्छी बात यह है कि ये पत्तलें पूरी तरह से बायोडिग्रेडेबल हैं, जिनसे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा। वाकई में वन संरक्षण के साथ-साथ आय के साधन के लिहाज से यह शानदार काम हो रहा है।