हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं पशु, सखी और कृषि सखी के रूप में अपनी सेवाएं देकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। खास बात यह है कि ये महिलाएं सुदूर क्षेत्रों में पैरामेडिकल स्टाफ की तरह काम करती हैं और पशुओं को पैरामेडिकल सेवाएं प्रदान करती हैं, पशुपालन विभाग और कृषि विभाग की सहायता से उन्हें नियमित रूप से देखभाल प्रदान करने के नए तरीकों के बारे में सिखाया जाता है। इस बारे में एजेंसी के परियोजना अधिकारी का मानना है कि एक पशु सखी को 20 दिनों में एक चक्कर के लिए 7500 रुपये का भुगतान किया जाता है और उनमें से प्रत्येक ने छह चक्कर पूरे किये हैं। इनके अलावा, महिलाओं ने लम्पी डर्मेटाइटिस और फुट और माउथ (पैर या मुंह) की बीमारी के प्रकोप के दौरान सराहनीय सेवाएं प्रदान की थीं। अब तक 42 हजार पशुओं का टीकाकरण किया गया है। जिले में फिलहाल 64 महिलाएं पशु सखी और कृषि सखी के रूप में काम कर रही हैं। इस योजना के तहत, ब्लॉक में प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित किये जाएंगे। वहीं, 12 और निरमंड के लिए 10 पशु सखियों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य है। गौरतलब है कि यहां महिलाएं अपनी पंचायत के गांवों में जाती हैं और ग्रामीणों को सभी बीमारियों और उनके लक्षण के बारे में बताती है। साथ ही अगर कोई पशु बीमार पड़ता है, तो पशु चिकित्सक की मदद से प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था होती है।
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