हिमाचल प्रदेश में लगातार महिलाएं खुद को आत्म-निर्भर बनाने के लिए कदम उठा रही हैं और इसी क्रम में एक नयी खबर सामने आई है कि उन्होंने बुरी स्थिति में भी खुद के लिए एक रास्ते निकाल लिए हैं, उन्होंने देवदार के नीडल्स ( सुइयों वाले कांटे) से हैंडीक्राफ्ट यानी हस्तशिल्प करने का काम शुरू कर दिया है। जी हां, देवदार के नीडल्स ( सुइयों वाले कांटे) से लगातार हैंडीक्राफ्ट्स ( हस्तशिल्प) के सामान बनाने का काम महिलाएं खुद कर रही हैं। महिलाएं जंगल से लगातार देवदार के नीडल्स लेकर घर जाती हैं, फिर उन्हें ग्लिसरीन में उबालते हैं, इसके बाद वे इन नीडल्स को सुखाने के बाद, उनसे पेन स्टैंड से लेकर, ब्रेड बॉक्स, कोस्टर और ऐसी कई चीजें बनाती हैं। इसे बनाने के लिए वे रंगीन धागों का इस्तेमाल करती हैं। गौरतलब है कि इस काम के लिए उन्होंने लघु प्रशिक्षण भी लिया है। हिमालयी पहाड़ों में, जहां अधिकांश पारिवारिक सीमांत कृषि आय को मंजूरी नहीं दी गई है, यहां इस काम का एक बड़ा फायदा हो रहा है कि उन्हें इसके लिए पैसे मिल रहे हैं। गौरतलब है कि परियोजना में लगभग 40 महिला समूह शामिल हैं और यहां की महिलाएं इस बात से खुश हैं कि उन्हें अब किसी से पैसे उधार लेने की जरूरत नहीं है। साथ ही वे अपने जीवनसाथी को पूरी तरह से सपोर्ट भी कर रही हैं। वन विभाग द्वारा समर्थित मंडी में लगभग एक साल पहले शुरू की गई इस पहल के एक नहीं बल्कि कई उद्देश्य हैं। इनका उद्देश्य स्थानीय महिलाओं को आजीविका प्रदान करना और जंगल की आग के खतरे को कम करना है, जो अक्सर उस क्षेत्र में फैलती है, जहां घने देवदार के जंगल हिमालय की ढलानों पर फैले हुए हैं। साथ ही साथ जंगल में सफाई अभियान से देवदार नीडल्स (चीड़ की सुइयों) से छुटकारा मिलता है, जो गर्मियों के दौरान सूखने पर अत्यधिक ज्वलनशील हो जाते हैं और यह एक ऐसी समस्या है, जिससे अधिकारी लंबे समय से जूझ रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि देवदार के नीडल्स को हस्तशिल्प में बदलना पाइन नीडल्स का उपयोग करने वाली परियोजनाओं में से एक है। इनके अलावा, उन्हें ईंधन के लिए ब्रिकेट में बदलना शामिल है। महिलाएं चीड़ की सुइयों से लेकर ईंट के पौधे भी बेचती हैं, लेकिन उन्हें हस्तशिल्प में बदलने से साल भर बेहतर और निरंतर आय मिलती है। इसके अलावा, जंगल से पाइन्स नीडल्स (सुइयां) इकट्ठा करना भी स्थानीय समुदायों को क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी से जोड़ने का एक प्रभावी तरीका है।
हालांकि यह स्पष्ट है कि हस्तशिल्प की मार्केटिंग करना, एक चुनौती है, लेकिन स्थानीय मेलों और कॉलेज परिसरों में उन्हें पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों के रूप में प्रचारित करने से मदद मिल रही है। हाल ही में पास के एक कॉलेज से मिले थोक ऑर्डर ने महिलाओं को बढ़ावा दिया।
बता दें कि अधिकारियों का कहना है कि वे महिलाओं को ऐसे राज्य में निगमों, सरकारी एजेंसियों और होटलों से जोड़ने का प्रयास करेंगे जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, ताकि वे अधिक थोक ऑर्डर प्राप्त कर सकें। वाकई, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का यह पहल बेहतरीन है।
*Image used is only for representation of the story