छोटे शहरों और गांवों में इन दिनों कई तरह के बदलाव आ गए हैं। यहां महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही हैं और खुद में बदलाव ला रही हैं, ऐसे में एक नयी शुरुआत छत्तीसगढ़ के एक गांव अकलतरा की महिलाओं ने भी किया है, जिन्होंने कचरे में भी रोजगार की रौशनी तलाश ली है। जी हां, स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत समूह की 46 महिलाओं ने 20 वार्डों से घर-घर जाकर गिला और सूखा कचरा इकट्ठा किया और उसे अपनी आजीविका का माध्यम बना लिया है। खास बात यह है कि उन्होंने कम समय में ही प्लास्टिक और खली पड़ी बोतलों को अलग-अलग करके और उन्हें बेचकर एक लाख 42 हजार रुपये तक की कमाई कर ली है।
उनका पूरा समूह इस तरह से काम करता है कि वे सभी सुबह उठ कर, अपने शहर के 20 वार्ड में जाती हैं और ई रिक्शा के माध्यम से कचरा कलेक्शन करती हैं। इसके बाद, दोपहर 12 बजे के बाद एसएलआरएम सेंटर में कचरे को अलग करने का काम करती हैं। इससे न सिर्फ शहर साफ-सुथरा हो रहा है, बल्कि गार्बेज फ्री सिटी के अंतर्गत नगर पालिका को थ्री स्टार रैंकिंग भी है और उन्हें पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। लगभग 46 महिलाएं इस काम से जुड़ीं हैं और खुद को आत्म-निर्भर बना रही हैं। इन महिलाओं का मानना है कि वह अपने शहर को साफ-सुथरा देखना चाहती हैं और पिछले दो सालों से वह इसी कोशिश में जुटी हैं। वाकई, छोटे शहरों की ऐसी ही छोटी पहल बड़ी पहल से एक कोशिश कामयाब और मुकम्मल होगी।
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