छत्तीसगढ़ में लगातार महिलाएं खुद को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयासरत हैं, ऐसे में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के सिरसाखुर्द गांव की महिलाएं जय बजरंग स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। दरअसल, 12 महिलाओं का यह समूह इन मूर्तियों की वजह से काफी चर्चे में है। इससे गांव की पहचान अब मूर्ति कला के रूप में होने लगी है। ये महिलाएं यहां खासतौर से गोबर से मूर्तियां बनाती हैं। ये महिलाएं गोबर से मूर्तियां बनाने के साथ-साथ त्यौहार के लिए देवी देवताओं की मूर्तियां, दीये, शुभ लाभ जैसी सामग्रियां बना रही हैं। ये महिलाएं गोबर से कंडे बनाते हैं, फिर उन्हें सुखा कर कूटते हैं। उसके बाद चक्की में पीसते हैं। इन्हें पीस कर इसमें चिकनी मुल्तानी मिट्टी का मिश्रण डाल कर पानी से गूंथ लिया जाता है और अंत में सांचे में डाल कर मूर्तियां तैयार की जाती हैं। इसे बनाने में 15 दिन का समय लगता है। गौरतलब है कि इन महिलाओं को नागपुर में मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बाद महिलाएं इसे स्थानीय बाजार में बिक्री करके अपने लिए जीविका का इंतजाम करती हैं। इन मूर्तियों की सबसे खास बात यही होती है कि ये इको फ्रेंडली होती हैं और बाद में पूजन के बाद इन्हें गमले में ही प्रवाह कर दिया जाता है, जिससे कि यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता है।
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