इस दौर में जब सोशल मीडिया इस कदर हावी हैं कि हर पारंपरिक चीजें, सभ्यता, संस्कृति कहीं पीछे छूटती जा रही है, ऐसे में राजस्थान के जालोर महोत्सव में पारंपरिक खेलों को जिस तरह से प्रोत्साहन दिया गया है और इसमें महिलाएं जिस तरह से आगे आई हैं, यह बेहद उल्लेखनीय बात है। जी हां, परंपरागत खेलों की बात करें, तो महिलाएं विशेष रूप से पिट्टो (सतोलिया) खेल खेला। इस खेल के लिए महिलाओं की कुल 13 टीमें बनी थी। यह भी खास बात होगी कि इस खेल में 63 पुरुषों की टीम भी शामिल हुआ । इनके अलावा खो-खो में 10 पुरुष और 6 महिला, कबड्डी में 25 पुरुष एवं 6 महिला, रस्सा कस्सी में 8 पुरुष एवं 7 महिला टीमों ने भाग लिया। हम सभी ने पिट्टो कभी न कभी जरूर अपने स्कूल या बचपन में खेला होगा और एक बार फिर से वहीं बचपन की यादों को ताजा करने के लिए महिलाएं आगे आ रही हैं और यह संस्कृति और अपने धरोहर को बचाने के लिए एक अनोखा जरिया बनेगा। वाकई में अगर इस तरह से जिला स्तर पर ही सही खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहेंगे, तो ग्रामीण स्तर पर ही सही संस्कृति और धरोहर को बचाने के लिए यह एक खास चरण माना जा सकता है।
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