विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई रिपोर्ट अनुसार 1.8 बिलियन लोग अपने परिसर के घरों में पानी की आपूर्ति के बिना रहते हैं। इस समस्या का सबसे अधिक सामना महिलाओं और लड़कियों को करना पड़ रहा है, ऐसे में वे पानी की स्वच्छता संकट का खामियाजा भी भुगत रही हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व स्तर पर घरों में पानी लाने की जिम्मेदारी सबसे अधिक महिलाओं पर है, जबकि लड़कियों पर यह जिम्मेदारी लड़कों की तुलना में दोगुनी है। यह भी चिंताजनक है कि महिलाओं और लड़कियों को शौचालय का उपयोग करने में असुरक्षित महसूस होने की संभावना भी बढ़ गई है। नतीजा यह हुआ है कि महिलाओं और लड़कियों को घर से बाहर स्वच्छता की कमी का असमान रूप से प्रभाव महसूस हो रहा है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट अनुसार विश्व स्तर पर 1.8 बिलियन लोग अपने परिसर में बिना पानी के घरों में रहते हैं। ऐसे में 10 में से 7 घरों में जल संग्रह के लिए 15 साल या फिर उससे अधिक उम्र की महिलाएं और लड़कियां मुख्य रूप से जिम्मेदार है, जबकि 10 में से 3 घरों में उनके पुरुष सहकर्मी जिम्मेदार हैं। यह भी ज्ञात हुआ है कि 15 साल की उम्र से कम लड़कियों में भी पानी लाने की संभावना 15 साल से कम उम्र के लड़कों की तुलना में अधिक होती है। देखा गया है कि महिलाएं और लड़कियां ज्यादातर मामले में पानी का इंतजाम करने के लिए लंबी यात्रा करती हैं, जिससे उनकी शिक्षा, आराम और निजी काम का समय बर्बाद होता है और पानी लाने के लिए वे रास्ते में खुद को शारीरिक चोट के जोखिम में भी डालती हैं। इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि शौचालय जाने के लिए पुरुषों और लड़कों की तुलना में महिलाएं और लड़कियों को रात में अकेले चलने में असुरक्षित महसूस होने और यौन उत्पीड़न के साथ अन्य सुरक्षा जोखिमों का सामना करने की संभावना बढ़ जाती है। वाकई, डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट चौंकाने वाली है कि विश्व स्तर पर अभी भी महिलाएं जल ही जीवन की खोज में अपने जीवन को जोखिम में डाल रही हैं।
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