महिलाओं की सुरक्षा देश के साथ हर राज्य के लिए बड़ा प्रश्न है। ऐसे में लगातार कई तरह की जानकारी सामने आती रहती है, जो यह बताती है कि कौन से शहर में महिलाओं की सुरक्षा पर सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है। हाल ही में यह खबर सामने आयी थी कि महिला अपराधओं के निस्तारण में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर पहुंचा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक विशेष अभियान चलाया। इसमें यह सामने आया है कि उत्तर प्रदेश में महिला अपराध संबंधी मामलों में काफी कमी आयी है। आइए जानते हैं विस्तार से।
महिला अपराधों में आई कमी
महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन ने 4 अगस्त तक महिला अपराध संबंधी मामलों में 98.10 प्रतिशत तक की कमी करते हुए देश में उत्तर प्रदेश ने खुद को पहले पायदान पर पहुंचाया है, वहीं महिलाओं के मामले में एफआईआर दर्ज कराने के मामले में भी उत्तर प्रदेश पांचवें स्थान पर पहुंचा है। महिला अपराधों में आई कमी को लेकर यह भी माना जा रहा है कि कई तरह के जागरूक अभियान गांवों और शहरों में लगातार चलाये जा रहे हैं। लोगों को इससे अवगत किया जा रहा है।
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जागरूकता
महिला हेल्प डेस्क 1090 के साथ शक्ति, महिला पुलिस बीट और महिला पुलिस चौकी केंद्र की भी स्थापना की गई है। यह भी ध्यान दिया गया कि किस तरह स्कूल, कॉलेज और बाजारों के साथ गांवों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलाई जाए, जिसमें सफलता भी हासिल हुई है।
ऑनलाइन निगरानी पर भी ध्यान
गौर करें, तो केवल महिला अपराधों में कमी ही नहीं, बल्कि महिला उत्पीड़न के मामलों में ऑनलाइन निगरानी पर भी ध्यान अधिक दिया गया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने सभी शाखाओं ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ लगातार अपराधों के बढ़ते हुए मामलों को रोकने के लिए ऑनलाइन निगरानी और टैक्रिंग पर अधिक फोकस किया और टॉप स्थान हासिल किया है। ज्ञात हो कि आईटीएसएसओ पोर्टल को 2018 में लांच किया गया साथ ही एक यूनिट की भी स्थापना की गयी। इस पोर्टल के जरिए निगरानी रखते हुए 97 प्रतिशत के करीब मामलों को निपटाया गया है, वहीं जांच अधिकारियों को भी इसके लिए लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है।
महिला सुरक्षा को भी प्राथमिकता
महिला सुरक्षा के मामले में उत्तर प्रदेश में लगातार कार्य किए जा रहे हैं। प्रदेश में इस साल की शुरुआत में 1500 के करीब महिलाओं के लिए खास पुलिस चौकी और 10417 महिला बीट का गठन किया गया है। ग्रामीण इलाकों में महिला सुरक्षा को देखते हुए एक मिशन शक्ति कक्ष का भी निर्माण किया गया। जान लें कि महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी महिलाओं के ऊपर ही है। बीते कई साल से उत्तर प्रदेश में महिला कर्मियों की गिनती में भी तेजी आयी है। साल 2017 तक उत्तर प्रदेश पुलिस में महिलाओं की गिनती केवल 13 हजार के करीब की थी, वहीं वर्तमान में यह संख्या 32 हजार के करीब पहुंच गई है।
महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान
उत्तर प्रदेश सरकार ने कई शहरों को भी सुरक्षित करने का फैसला इस साल ही किया है। इसके लिए एक मिशन के तहत काम किया जा रहा है, जहां पर 17 नगर निगमों, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नजर के साथ 18 शहरों को 6 महीने के अंदर सेफ सिटी बनाने पर फोकस किया जा रहा है। आगे बढ़ते हुए बाकी के 75 जिलों को भी महिलाओं के लिए ‘सेफ सिटी’ के तौर पर बनाने की योजना है।
सेफ सिटी में मिलेंगी ये सुविधाएं
महिलाओं को ‘सेफ सिटी’ में कई तरह की सुविधाएं भी मिलेंगी। मुख्य तौर पर सिटी बसों में कैमरे और पैनिक बटन लगाए जायेंगे। जब भी महिलाओं को यातायात के दौरान किसी भी तरह की असुरक्षा महसूस होगी, तो वह पैनिक बटन को दबा सकती हैं। पैनिक बटन से वह सीधे तौर पर कंट्रोल रूम तक अपने असुरक्षित होने का अलार्म बजा सकती हैं। सुरक्षा के साथ महिलाओं के स्वास्थ्य और सुविधा पर ध्यान देते हुए कई प्रमुख चौराहों और रास्तों पर पिंक टॉयलेट बनाये जायेंगे। वाकई, महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सबसे ‘सेफ सिटी’ में तब्दील होता जा रहा है।
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