ग्रामीण इलाकों में लड़कियां पर्यावरण के लिए मिसाल बन गई हैं। जी हां, भारत में कई सारे शहर हैं, जहां पर पर्यावरण को लेकर कई तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं। गांव और परिसर को स्वच्छ रखा जा रहा है। इन सबके बीच कई गांव ऐसे हैं, जहां पर लड़कियां जन्म के साथ ही पर्यावरण के लिए अपना पहला कदम बढ़ा रही हैं। कई गांव में लड़कियां पौधे लगाने की वजह बन गई हैं, जो वाकई सभी के लिए मिसाल है। आइए जानते हैं विस्तार से।
लड़की के पैदा होने पर और शादी में पौधे का तोहफा
बिहार में फलका प्रखंड के मनरेगा मजदूर कई लोगों के लिए प्रेरणा की वजह बन गए हैं। फलका गांव के निवासी लड़कियों के जन्म से लेकर शादी होने पर पर्यावरण का संदेश देते हैं। एक तरफ जहां खुद की जगह न होने पर वे नहर के पास नर्सरी लगाकार पौधे लगाते हैं और सड़क के आस-पास की जगह और किनारों को उन्होंने पौधों से भर दिया है। इसके साथ गांव में किसी के यहां लड़की पैदा होने पर या फिर लड़की की शादी पर वह पौधे उपहार में देते हुए पर्यावरण की सुरक्षा का मार्ग लोगों को दिखा रहे हैं। उनका मानना है कि समाज को पर्यावरण की रक्षा करने की सीख देने का यही सबसे अच्छा तरीका है।
लड़की के जन्म पर सवा लाख से अधिक पेड़
राजस्थान के पिपलांत्री गांव में कई सालों से लड़की के पैदा होने पर पौधे लगाने का रिवाज है। इस गांव के सरपंच श्याम सुंदर की बेटी का 18 साल की उम्र में पानी की कमी से निधन हो गया। उसके बाद उन्होंने यह फैसला लिया कि गांव का वातावारण ऐसा बनाया जाए, ताकि कभी-भी पानी की कमी न हो। इसके बाद सरपंच ने अपनी बेटी के नाम पर किरण निधि योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत लड़की पैदा होने पर 111 पौधे लगाने का फैसला किया गया है। उनके इस कोशिश के कारण आज यह गांव पर्यावरण की मिसाल बन गया है। श्याम सुंदर को पर्यावरण के लिए किए गए इस अद्भुत प्रयास के लिए पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है। ज्ञात हो कि बीते 7 साल में गांव के लोगों ने मिलकर सवा लाख से अधिक पेड़ लगा लिए हैं, जिनमें शीशम, नीम और आंवला जैसे अन्य पेड़ शामिल हैं।
161 ग्राम पंचायतों में बेटियों के नाम से पौधारोपण
दिल्ली-एनसीआर में महिला कल्याण विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण इलाकों में लड़कियों के साथ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए अभियान शुरू किया है। महिला कल्याण विभाग के जरिए बेटी के जन्म पर पौधारोपण के कार्यक्रम को तेजी दी गई है। इसके अंतर्गत जिस भी ग्राम पंचायत में बेटी का जन्म होगा, वहां पर उसके नाम से पौधा लगाया जाएगा। अपनी इस पहल के कारण महिला कल्याण विभाग ने जिले के लगभग 161 ग्राम पंचायतों में बेटियों के नाम से पौधारोपण कर चुके हैं, जहां पर भी पौधे लगाए जाते हैं, वहां के परिसर में कई योजनाओं के बारे में लिखकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि महिला कल्याण विभाग के पर्यावरण के लिए उठाए गए कदम का फायदा लड़कियों को भी मिल रहा है। कन्या भ्रूण हत्या, लड़कियों की साक्षरता और सुरक्षा को लेकर भी लोग जागरूक हुए हैं।
लड़कियों की पैदाइश पर एक नया अभियान
इसी साल हिमालय राज्य सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने लड़कियों की पैदाइश पर एक नया अभियान शुरू किया है। इस अभियान का नाम ‘मेरो रुख मेरो संतति’ रखा गया है। इस अभियान के जरिए लड़की के पैदा होने पर 100 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इस अभियान को पूरा करने के लिए राज्य के सभी नए माता-पिता को सोशल मीडिया के जरिए इससे जोड़ा गया है। इसे पूरा करने के लिए आशा, आंगनबाड़ी, वनकर्मी और पंचायत कर्मियों को भी इस कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी दी गई है।