सभी महानगरों समेत मुंबई में भी अब लगभग सभी कार्यालय खुल चुके हैं, ऐसे में लगातार सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि ही हो रही है। खासतौर से महिला यात्रियों की संख्या में सात गुना वृद्धि दर्ज करने के बाद, बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST) ने तय किया है कि लेडीज ओनली यानी केवल महिलाओं की बसों को और अधिक बढ़ाकर 200 करने के लिए तैयार है। वर्तमान में, महिलाओं के लिए 137 वातानुकूलित और गैर-वातानुकूलित बसें हैं, जो सिर्फ महिलाओं की सुविधा के लिए समर्पित है।
इस बारे में बेस्ट के महाप्रबंधक लोकेश चंद्र का कहना है कि लगभग तीन यात्रियों के अनुपात में एक महिला है। महामारी के बाद से ही महिला यात्रियों की संख्या में वृद्धि हुई है। उनकी मांगों को ही पूरा करने के लिए, हम वर्तमान में ऐसे मार्ग, जहां महिलाएं अधिक यात्रा करती हैं, उस मगर पर अतिरिक्त 70 बसें प्रदान करेंगे। जबकि वर्ष 2019 में, बेस्ट बसों ने 54 सेवाओं में लगभग 2500 महिला यात्रियों को रोजाना उनके स्थान पर पहुंचाया, इस साल यह 393 दैनिक सेवाओं के रूप में बढ़ कर 18 हजार हो गई है।
वहीं बेस्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जो महिलाएं रोजाना कार्यालय जाती हैं, उनसे काफी अच्छी प्रतिक्रया मिल रही है। हालांकि हमारे पास महिलाओं के लिए अन्य तेजस्विनी बसें हैं, लेकिन नियमित कुछ ऐसी बसें हैं, जो केवल अधिक व्यस्त समय यानी पीक आवर्स के लिए ही महिलाओं के लिए चलती है। तेजस्विनी बसें, बिना भीड़भाड़ और व्यस्त घंटों के दौरान नियमित बसों की तरह ही फेरी लेती है यानी आना-जाना करती है।
इस बारे में और विस्तार से बताते हुए लोकेश ने कहा ‘फिलहाल मुंबई की बेस्ट बसों में दो महिला ड्राइवर हैं और 90 महिला बस कंडक्टर हैं। हमने अति व्यस्त घंटों के लिए, महिलाओं के लिए विशेष रूप से कतार का प्रावधान भी किया है। ऐसे में 40 से अधिक ऐसे मार्ग हैं, जहां महिलाओं के लिए विशेष कतारों का पालन किया जाता है और वर्तमान में महिला-विशेष बसों के लिए 55 मार्ग हैं।
बता दें कि छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसटी) से नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए), चर्चगेट से नरीमन पॉइंट या वर्ल्ड ट्रेड सेंटर तक महिलाओं के लिए सबसे आम बस मार्ग( रूट) हैं। कोलाबा और लोअर परेल के लिए बसें भी महिलाओं के बीच लोकप्रिय हैं। हालांकि अब तक, रात में कोई महिला-विशेष बसें नहीं हैं।
इस बारे में नियमित रूप से बस में यात्रा करने वाली एक महिला यात्री का कहना है कि “प्राथमिकता-बोर्डिंग सुविधा और तेजस्विनी बसें दोनों ही शानदार पहल रही हैं। नियमित बसों में महिलाओं के लिए मुश्किल से 10 या 12 सीटें आरक्षित होती हैं और भीड़भाड़ वाली बस में खड़े हो पाना भी मुश्किल हो जाता है। लेकिन महिलाओं के लिए जो एक महिला-विशेष बस होती है, उसमें काफी सहूलियत हो जाती है।’’
वाकई में, महिलाओं के लिए इस खास सुविधा से महिलाओं के लिए मुंबई जैसे मेट्रो शहर में कार्यलय पहुंचना अधिक आसान हो जायेगा और कुछ हद तक उनकी जिंदगी को सुचारू रूप से चलने में भी मदद करेगी। बेस्ट की यह पहल सराहनीय है।