वर्ष 2022 भारत के लिए खास साबित हुआ, क्योंकि एक तरफ स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया गया वहीं, इस वर्ष में कई महत्वपूर्ण विकास भी हुए। भले ही कोविड-19 की संक्रामक लहर लाखों लोगों को प्रभावित कर रही थी, इस साल कोविड की लहर को भी कंट्रोल किया गया। आइए हम डेटा के लेंस से बीते हुए इस वर्ष के पन्ने देखते हैं और जानते हैं कि कैसा रहा भारत में महिलाओं को लेकर बेरोजगारी और स्वास्थ्य का लेखा-जोखा।
अक्टूबर में ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी होने से न केवल भूख को मापने के सही तरीके के बारे में एक शानदार चर्चा शुरू हुई, बल्कि इसने भारत में भूख और कुपोषण के प्रसार पर भी प्रकाश डाला। बता दें कि भारत में 6 महीने से 5 साल की आयु के बच्चे 67.1 प्रतिशत एनीमिया से ग्रसित पाए गए। 35.8 प्रतिशत सामान्य रूप से एनीमिया से ग्रसित रहे और 2.1% गंभीर रूप से एनीमिया से ग्रसित रहे। 6 से 8 महीने के सभी बच्चों में से 75.2% में किसी न किसी रूप में एनीमिया था। 9 से 11 महीने के बच्चों में 78.7% एनीमिक थे, और 12 से 17 महीने के बीच यह आंकड़ा 80% तक था।
15-49 आयु वर्ग की आधी से अधिक यानी 57% महिलाओं में भी किसी न किसी रूप में एनीमिया पाया गया। 28% से अधिक में एनीमिया के मध्यम रूप थे और 2.7% ने अधिक में गंभीर रूप से एनीमिया पाया गया। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों ने हमें भारतीयों के स्वास्थ्य के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं की एक झलक भी दिखायी। सर्वे में शामिल 13.5 प्रतिशत महिलाओं और 15.6 प्रतिशत पुरुषों में ब्लड शुगर का हाई लेवल देखा गया।
21.3% महिलाएं और लगभग एक चौथाई पुरुषों यानी 24% में ब्लड प्रेशर का स्तर भी बढ़ा हुआ मिला था या वे ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए दवा ले रहे थे।
बता दें स्वास्थ्य के अलावा महिलाओं के रोजगार के लिए भी बीता साल बहुत बुरा था। हाल के वर्षों में नौकरियां और रोजगार देश के लिए लगातार चिंता का विषय रहे हैं और कोविड-19 महामारी के कारण नौकरियों का भारी नुकसान हुआ है। रोजगार पर महामारी का प्रभाव महिलाओं पर विशेष रूप से हुआ था और यह वर्ष 2022 में भी बना रहा। वर्ष 2020 की जनवरी की तुलना में अक्टूबर में लगभग 14 मिलियन कम लोग रोजगार थे। इसमें 4.5 मिलियन कम पुरुष और 9.6 मिलियन कम महिलाएं थीं।
वहीं गौरतलब है कि कोविड आने के पहले 2019 के अक्टूबर-दिसंबर महीने के डेटा के अनुसार भारत में बेरोजगारी दर 7.8% थी। पुरुषों के लिए बेरोजगारी की दर 7.3% थी जबकि महिलाओं के लिए बेरोजगारी दर 9.8% थी। कोविड आने के बाद अप्रैल-जून 2020 के दौरान बेरोजगारी बढ़कर 20.8% हो गयी और पुरुषों के लिए यह 6.6% थी, जबकि महिलाओं के लिए यह 9.4% थी।