इन दिनों, पश्चिमी भारत के गुजरात राज्य के मोढेरा गांव के 68 वर्षीय केसा प्रजापति ने कुछ महीने पहले की तुलना में अपने द्वारा बनाए गए मिट्टी के बर्तनों की मात्रा को दोगुना कर दिया है क्योंकि अब उन्हें मिट्टी के बर्तन बनाने वाले पहियों को मैन्युअल रूप से चालू नहीं करना पड़ता है। एक समय था, जब वे बिजली का खर्च नहीं उठा सकते थे। एक महीने में उनका बिल 1,500 रुपये तक आता था।
अब उनकी मशीन सौर ऊर्जा से चलती है क्योंकि इस महीने की शुरुआत में लगभग 6,500 निवासियों वाले प्रजापति के गांव को सौर ऊर्जा से बिजली मिल रही है। गुजरात राज्य के इस मोढेरा गांव में मुख्य रूप से कुम्हार, दर्जी, किसान और जूता बनाने वाले लोग शामिल हैं। इस गांव को अब हर समय पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर चलने वाला भारत का पहला गांव घोषित कर दिया गया है।
केसा भाई प्रजापति ने कहा, "बिजली ने हमें समय बचाने और अधिक उत्पाद बनाने में मदद की है।" भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जक है, जिसका लक्ष्य 2030 तक अक्षय स्रोतों, जैसे सौर और पवन से अपनी ऊर्जा की आधी मांग को पूरा करना है, जो कि इसके पिछले लक्ष्य 40% से अधिक है। बता दें कि सरकार ने कहा है कि उन्होंने दिसंबर 2021 में अपना पहला लक्ष्य हासिल किया है और अब 40 प्रतिशत ज्यादा का जोर लगाना होगा।
मोढेरा गांव पर सौर ऊर्जा के प्लान की बात करें तो यहां लगभग 10 मिलियन डॉलर की लागत प्रांतीय सरकार द्वारा लगाई गई है, जिसमें आवासीय और सरकारी भवनों पर 1,300 से अधिक रूफटॉप पैनल स्थापित करना शामिल है।
अगर यहां के रहवासी ज्यादा बिजली एक इस्तेमाल नहीं करते तो पैदा हुई अतिरिक्त ऊर्जा सरकार इनसे खरीदती है। सरकार द्वारा आए इन पैसों से 43 वर्षीय दर्जी प्रवीण भाई, गैस कनेक्शन और चूल्हा खरीदने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि गांव के कई घर लकड़ी के चूल्हे में खाना पकाते हैं, जिससे आसपास काफी धुआं होता है। उनका कहना है, “"मुझे स्ट्रीट लैंप के नीचे बच्चों को पढ़ाना पड़ता था। अब वे घर के अंदर पढ़ सकेंगे।”
मोढेरा, जो सूर्य देवता को समर्पित अपने प्राचीन सूर्य मंदिर के लिए भी जाना जाता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर राज्य गुजरात में स्थित है, जहां इस साल के अंत में चुनाव हो रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने इस महीने की शुरुआत में कहा था, "21वीं सदी के आत्मनिर्भर भारत के लिए हमें अपनी ऊर्जा जरूरतों से संबंधित ऐसे प्रयासों को बढ़ाना होगा।"
36 वर्षीय गृहिणी रीना बेन के लिए, जो पार्ट टाइम दर्जी के रूप में भी काम करती हैं, सौर ऊर्जा ने उनके काम में बहुत मदद की है। उन्होंने इस बारे में बात करते हुए कहा, "जब हमें सौर ऊर्जा मिली, तो मैंने सिलाई मशीन से जोड़ने के लिए 2,000 रुपये की एक इलेक्ट्रिक मोटर खरीदी। अब मैं रोजाना एक या दो कपड़े सिलने में सक्षम हूं।
भारत में बढ़ते सौर ऊर्जा के उपयोग से बहुत से गांव प्रेरित हो सकते हैं। आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हो रहा है जो कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है।