भारत में लगातार ट्रांसजेंडर महिलाओं के विकास और उनके उत्थान के लिए प्रयास और कदम उठाये जा रहे हैं, लेकिन फिर भी अब भी उन्हें कई बार समाज से उपहास का विषय बनना ही पड़ता है। ऐसे में लेकिन मिसाल के रूप में उभरीं दो महिलाओं की कहानी प्रेरणादायी है। जी हां, हम बात कर रहे हैं पी सरन्या और राम्या श्री की। बता दें कि पी सरन्या के पास डिग्री तो थी, लेकिन वह सिर्फ इसलिए बेरोजगार रहीं, क्योंकि वह एक ट्रांसजेंडर महिला थीं। उनके पास संचार करने का कौशल तो था और अच्छे ग्रेड भी थे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें काम नहीं मिला। वह जहां भी नौकरी के लिए आवेदन डालती थीं, उन्हें बाहर का ही रास्ता दिखा दिया जाता था। उन्होंने जितनी बार भी बतौर शिक्षिका काम करने की कोशिश की, वह नाकामयाब रहीं। वहीं दूसरी ओर राम्या श्री ने भी कंप्यूटर एप्लीकेशन में स्नातक किया है और शिक्षा में डिग्री रखती हैं, जिन्हें शुरुआती दौर में तो उनके परिवार ने भी स्वीकार नहीं किया गया था, जब उन्हें उनके बारे में पता चला। लेकिन अब जाकर इन दोनों ही महिलाओं को सम्मानजनक नौकरी मिली है, क्योंकि दोनों ने ही हिम्मत नहीं हारी थी। गौरतलब है कि कुछ महीने पहले ही तमिलनाडु के विरुधुनगर जिला प्रशासन ने सरन्या को जिला संसाधन केंद्र पंचायतों का प्रमुख और राम्या श्री को डाटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में नियुक्त किया गया है। गौरतलब है की दोनों के लिए ही यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है। सरन्या ने सब तरफ से कोशिशें करने के बावजूद नौकरी नहीं मिलने पर ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया था। वहीं राम्या के लिए जिंदगी और कठिन थी, क्योंकि सरन्या की मां ने तो उनका हमेशा साथ दिया, लेकिन राम्या के परिवार वालों ने उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। हालांकि बाद में उनकी मां ने उन्हें वापस बुलाया और फिर उन्हें पूरी तरह से सपोर्ट किया और आगे बढ़ने का मौका दिया। वर्तमान दौर में दोनों ही अपने काम से संतुष्ट हैं और उनकी बस यही चाहत है कि लोग उन्हें बेहतर नजर से देखें।
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