पीरियड्स महिलाओं की जिंदगी का अहम हिस्सा है। शहरी इलाके में फिर भी कई सारी महिलाएं पीरियड्स की सुरक्षा और सावधानी से अवगत हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में महिलाएं पीरियड्स के दौरान कपड़ा इस्तेमाल करने के कारण सेहत पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव से अनजान हैं। ऐसे में इन महिलाओं के लिए सफाई और सेहत का मसीहा बनकर आयी हैं, कई सारी पैड वीमेन। आइए जानते हैं विस्तार से गांवों की महिलाओं की सेहत की तस्वीर बदलने वालीं पैड वीमेन के बारे में।
बरेली की पैड वुमन राखी गंगवार
उत्तर प्रदेश के बरेली की निवासी राखी गंगवार ने पैड बैंक बनाया है। बरेली के भदपुरा ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय बोरैया की शिक्षिका राखी गंगवार को ज्ञात हुआ कि कई सारी महिलाएं और लड़कियां आर्थिक परेशानी और जागरूकता की कमी के कारण सेनेटरी पैड का इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। राखी ने सबसे पहले गांव की महिलाओं और लड़कियों को सेनेटरी पैड की अहमियत समझाते हुए हर महीने मुफ्त में सेनेटरी पैड दे रही हैं। राखी गंगवार के अनुसार कई सारी ऐसी लड़कियां और महिलाएं हैं, जो कि कई बार मासिक धर्म के दौरान खराब कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं। राखी ने महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं को लेकर भी जागरूक किया है। इस दौरान उन्हें यह भी ज्ञात हुआ कि 90 फीसदी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने सेनेटरी पैड का इस्तेमाल कभी नहीं किया है। उल्लेखनीय है कि राखी गंगवार हर महीने महिलाओं और लड़कियों को नि:शुल्क सेनेटरी पैड उपलब्ध करा रही हैं।
फूलन देवी चंबल की पैड वुमन
मध्य प्रदेश के चंबल की महिलाओं के लिए भिंड जिले की पैड वुमन रेखा शुक्ला ने फैक्ट्री शुरू कर दी है। बता दें कि भिंड की रेखा शुक्ला एक सेल्फ हेल्प ग्रुप चला रही हैं। इसकी वजह यह है कि ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अभी भी सेनेटरी पैड के इस्तेमाल से अनजान हैं। कपड़े के इस्तेमाल के साथ कई महिलाएं अपने सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए रेखा शुक्ला ने सेनेटरी पैड की फैक्ट्री शुरू की है। उन्होंने संगिनी नाम से अपना खुद का पैड ब्रांड शुरू किया है। रेखा अपने फैक्ट्री से बने हुए पैड को स्वयं सहायता समूह के जरिए गांव की महिलाओं तक पहुंचा रही हैं। रेखा का उद्देश्य है कि गांव की हर महिला तक सैनेटरी पैड पहुंचे। रेखा शुक्ला गांव की महिलाओं तक बेहद कम में सेनेटरी पैड पहुंचा रही हैं।
उत्तर प्रदेश की पैड वुमन अवंतिका तिवारी
23 साल की अवंतिका तिवारी ने पीरियड्स के दौरान महिलाओं को होने वाली परेशानी को समझा और वे ग्रामीण और गरीब इलाके में जाकर खुद मुफ्त में पैड बांटने की शुरुआत की है। वह बीते कुछ सालों से महिलाओं तक पैड पहुंचाने का काम कर रही हैं, हालांकि पहली बार जब उन्होंने पैड देने की शुरुआत की, तो उन्हें शर्म आ रही थी, लेकिन फिर बिना किसी झिझके, उन्होंने अपने इस काम को अंजाम दिया है। उन्होंने महिलाओं को पैड के इस्तेमाल के प्रति जागरूक भी किया है। पैड निशुल्क देने से पहले अंवतिका गरीब इलाकों में जाकर बच्चों को पढ़ाने का काम करती थीं। इस दौरान उन्हें पता चला कि महिलाएं कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में उन्होंने पैड को लेकर महिलाओं और लड़कियों की काउंसलिंग की। अब वहां की महिलाएं इसका इस्तेमाल कर रही हैं।
बिहार की पैड वाली मुखिया
पैड वुमन के बाद पैड वाली मुखिया बनकर बिहार के भोजपुरी की सुषुमलता कुशवाहा चर्चा में आ गई हैं। भोजपुर के जगदीशपुर प्रखंड के दावा गांव में ग्रामीण महिलाओं के बीच पैड पहुंचा रही हैं। दावा पंचायत की मुखिया सुषुमलता कुशवाहा ने अपने गांव की महिलाओं के साथ मिलकर सेनेटरी पैड बनाने की कवायद शुरू की। मुख्यमंत्री नव निर्माण योजना के जरिए सेनेटरी पैड की मशीनरी भी बिठाई गयी। मुखिया के साथ काम करने वाली महिलाएं सेनेटरी पैड बनाने के बाद उसे लेकर पूरे गांव में जागरूकता फैलाने का भी कम करती हैं। इस पैड को आसानी से 20 से 30 रुपए में खरीदा जा सकता है, जो कि बाजार में मिलने वाले पैड की तुलना में सस्ते हैं।
बिहार की पैड वुमन ऋचा वात्स्यानन
कुछ साल पहले पटना निवासी ऋचा वात्स्यानन ने सैनिट्रस्ट नाम से अपना एक स्टार्टअप शुरू किया। ऋचा केले के रेशे का इस्तेमाल करते हुए बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी पैड्स बनाती हैं। ज्ञात हो कि यह बिहार का पहला फुल फ्लेज्ड वीमेन लीड स्टार्टअप है। इस स्टार्टअप की ओनर से लेकर डायरेक्टर तक का काम महिलाएं संभालती हैं। बिहार में केले की खेती अधिक होती है। इस पर उन्होंने रिसर्च किया और पाया कि केले के तने के रेशों में सोखने की क्षमता अधिक होती है। इसी के माध्यम से उन्होंने सेनेटरी पैड बनाने का काम शुरू किया। फिलहाल ऋचा वात्स्यानन के सात 10 से अधिक महिलाएं काम करती हैं। ऋचा हर दिन कम से कम 1 हजार सेनेटरी पैड बॉक्स का प्रोडक्शन कर रही हैं। उनके 7 पैड बॉक्स की कीमत 130 रुपए है। वाकई ऋचा वात्स्यानन की इस कोशिश की सराहना करनी चाहिए कि किस तरह उन्होंने कम कीमत और अच्छी गुणवत्ता वाले सेनेटरी पैड्स महिलाओं तक पहुंचाने की सफल कोशिश की है।