कहते हैं पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती है। इसे साबित करते हुए नजर आ रही हैं ये 5 महिलाएं। जी हां, बीते कुछ सालों से लगातार यह खबर सामने आ रही हैं कि कैसे 50 साल की उम्र पूरी करने के बाद भी महिलाओं ने साक्षरता को अपनी सफलता की सीढ़ी बनाई है। कई सारी महिलाएं ऐसी भी हैं, जिन्होंने खुद को साक्षर करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की है। आइए जानते हैं विस्तार से।
राजस्थान की धन्नी देवी ने पूरा किया पढ़ाई का अधूरा सपना
राजस्थान के पाली जिले में रहने वाली धन्नी देवी ने सालों पहले देखे गए अपने पढ़ने के सपने को पूरा किया। 50 की उम्र पार कर चुकीं धन्नी देवी ने अपने परिवार के समक्ष पढ़ने की इच्छा जाहिर की। परिवार ने इसका विरोध किया, लेकिन धन्नी देवी ने हार नहीं मानी और साल 2018 में दसवीं कक्षा के लिए नामांकन भरा और फिर एक साल में परीक्षा पास कर ली। अगले साल धन्नी देवी ने 12 वीं पास करने का मन बनाया और पढ़ाई कर उसे भी पूरा किया। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि धन्नी देवी का ये हौसला कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बनेगा।
42 साल की उम्र में पूरी की 10 वीं की पढ़ाई
राजस्थान के चूरू की सरोज शर्मा कई लोगों के लिए मिसाल बनी हैं। सरोज शर्मा उन महिलाओं के लिए प्रोत्साहन बनी हैं, जो कि अपनी पढ़ाई-लिखी छोड़ चुकी हैं। सरोज शर्मा ने 42 साल की उम्र में दसवीं परीक्षा उत्तीर्ण की है, वहीं उन्होंने 12 वीं की पढ़ाई भी पूरी करने का निर्णय लिया, हालांकि उम्र के इस पड़ाव पर आकर पढ़ाई पूरी करने के पीछे की वजह यह रही है कि उनका बचपन छोटे से गांव में व्यतीत हुआ है। इस वजह से वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पायीं। बचपन से उनके मन में हमेशा से इस बात का दुख रहा है कि वह अपनी पढ़ाई सही समय पर पूरी नहीं कर पायीं और जब भी वह किसी लड़की को स्कूल या कॉलेज जाते हुए देखती थीं, तो उन्हें खुद की शिक्षा पूरी नहीं होने का अफसोस होता था। इसके बाद 40 की उम्र पार करने के बाद उन्होंने राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल से 10 वीं कक्षा के लिए आवेदन दिया। 28 साल बाद अपनी पढ़ाई पूरी करने का फैसला किया। जाहिर सी बात है कि शिक्षा से वंचित सरोज ने अपने फिर से पढ़ने के हौसले से कई महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी हैं।
45 साल की महिला ने पूरी की दसवीं की परीक्षा
असम के विश्वनाथ जिले में 45 साल की महिला ने अपनी दसवीं की पढ़ाई पूरी की। दिलचस्प है कि तीन बच्चों की परवरिश के साथ बुलबुली खातून ने अपनी पढ़ाई को पूरा किया। याद दिला दें कि 22 साल पहले बुलबुली खातून ने किसी वजह से अपनी पढ़ाई को पूरा नहीं किया था। मन में पढ़ने की दबी चाहत को उन्होंने फिर से अपनी जिंदगी में जगह दी और विश्वनाथ घाट के फखरुद्दीन अली अहमद हाई स्कूल से उन्होंने अपनी 10 वीं की परीक्षा पूरी की। उल्लेखनीय है कि पढ़ाई पूरी न होने पर भी बुलबुली खातून ने खुद को घर तक सीमित नहीं रखा। वह स्थानीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के तौर पर कार्यरत है। यह भी बता दें कि बुलबुली खातून ने अपनी पढ़ाई को 10 वीं के बाद भी पूरा करने का फैसला कर चुकी हैं। वह इस तरफ एक साल पहले ही आगे बढ़ चुकी हैं।
नोएडा में डेयरी उद्योग से जुड़ीं महिलाओं ने पूरी की पढ़ाई
शिक्षा का महत्व कितना बड़ा है, इसकी जानकारी उन महिलाओं को भी हो गई है, जो कि काम के साथ पढ़ने का सपना देख रही हैं। नोएडा में डेयरी उद्योग से जुड़ीं महिलाओं ने पांचवीं और आठवीं पास होने के बाद एक साल पहले अपनी पढ़ाई पूरी करने का फैसला किया, जो महिलाएं गाय और भैंस का दूध निकाल रही थीं, वे अब बीकॉम और बीकॉम की पढ़ाई कर चुकी हैं और दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनी हैं। आशा महिला मिल्क कंपनी से जुड़ीं पुष्पा कंवर ने 2013 में पति के निधन के बाद अपनी बीए और एमए की पढ़ाई पूरी की। साथ ही कंप्यूटर सीखने के बाद अपने दोनों बच्चों को पढ़ा भी रही हैं।
अलका ने जेल में पूरी की अपनी पढ़ाई
कुछ साल पहले यह खबर सामने आयी थी कि अलीगढ़ की रहने वाली अलका ने जेल में रहने के दौरान अपनी पढ़ाई पूरी की। एक पारिवारिक केस के कारण उन्हें जेल हो गई। कोर्ट ने अलका को आजीवन कारावास की सजा सुना दी। इस मुश्किल फैसले के बाद अलका ने फिर से खुद का मनोबल बढ़ाने के लिए पढ़ाई करने का फैसला किया। जेल अधिकारियों से ग्रेजुएशन करने की अनुमति मांगी। अलका ने जेल में पहले अपना ग्रेजुएशन पूरा किया और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। अलका की पढ़ने की इच्छा को देखते हुए जेल में उन्हें पढ़ाई संबंधित हर तरह की सुविधा मुहैया कराई गयी। वाकई, अलका ने अपनी पढ़ाई के जरिए यह साबित कर दिया है कि कैसे जेल सही मायने में सुधार गृह साबित हुआ है।
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