केंद्र सरकार ने हाल ही में लोकसभा को सूचित किया कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा समर्थित महिलाओं के लिए सिर्फ चार नशा मुक्ति केंद्र हैं - दो मणिपुर में और एक मिजोरम और कर्नाटक में। जबकि, हाल ही में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार देश भर में अनुमानित 57.4 लाख महिलाएं विभिन्न प्रकार के नशे के सेवन से जूझ रही हैं।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री (Minister of State for Social Justice and Empowerment) ए नारायणस्वामी ने ये विवरण कांग्रेस सांसद शशि थरूर के सवालों के जवाब में दिए, जिन्होंने पूछा था कि क्या नशीली दवाओं से पीड़ित महिलाओं के लिए अलग नशामुक्ति केंद्र हैं और क्या इसके लिए कोई अध्ययन किया गया है? जवाब में, नारायणस्वामी ने कहा कि नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीडीडीआर) पहले से ही नशामुक्ति केंद्रों की स्थापना और सहायता प्रदान करती है।
महिलाओं के बीच नशीली दवाओं के सेवन के पैटर्न का आकलन करने के लिए राज्य मंत्री ने कहा कि भारत में नशीले पदार्थों के उपयोग की सीमा और पैटर्न पर राष्ट्रीय सर्वे दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच निर्भरता उपचार केंद्र (National Drug Dependence Treatment Centre) और नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences -AIIMS) द्वारा राष्ट्रीय औषधि के माध्यम से आयोजित किया गया था। वहीं वर्ष 2019 में प्रकाशित इस सर्वे के परिणामों के अनुसार यह पाया गया कि देश में अनुमानित 57.4 लाख से अधिक महिलाएं (10 से 75 वर्ष की आयु के बीच) नशीली दवाओं के सेवन से जूझ रही थीं।
बता दें कि परिणामों के अध्ययन से यह अनुमान लगाया गया है कि इस आयु वर्ग की महिलाओं द्वारा दुरुपयोग की जाने वाली प्रमुख दवा भांग (34.8 लाख), ओपिओइड (8.53 लाख), शामक (5.67 लाख) और इनहेलेंट (4.29 लाख) थीं।