गर्मी के चरम पर पहुंचने पर हर साल हीट एडवाइजरी की तरफ से एडवाइजरी की जाती है, ऐसे में इस बार गर्मी में लोगों को घरों के अंदर रहने की सलाह देना, गरीबों के लिए परेशानी का सबब बना है, एक अध्ययन से यह बात सामने आई है।
चिलचिलाती गर्मी में हीट एडवाइजरी लगातार लोगों को घर के अंदर रहने की सलाह देती है। यह जरूरी भी है। लेकिन इस सलाह की वजह से कई गरीब परिवारों को परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है और उनके लिए यह अधिक खतरनाक साबित हुई है। यह दुर्भाग्यजनक है। एक नए अध्ययन से यह बात सामने आई है। वैष्णवी चंद्रशेखर की रिपोर्ट के अनुसार, पूरे उपमहाद्वीप में कम आय वाले घरों के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए, शोध कर्ता बताते हैं कि गर्मियों में बाहरी तापमान की तुलना में इनडोर तापमान अक्सर अधिक होता है। अध्ययन में यह बात चौंकाने वाली है कि इनडोर गर्मी छत सामग्री से प्रभावित थी। ऐसे में टिन की छत वाले घरों में कुछ उच्चतम तापमान देखा गया था।
अगर उदाहरण के तौर पर देखा जाए, तो महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाके यवतमाल में वॉटरशेड ऑर्गनाइजेशन ट्रस्ट ( WOTR) के शोध के अनुसार, 2016 की गर्मियों में टिन की छत वाले घर, बाहर की तुलना में 3 से 4 डिग्री सेल्सियस अधिक थे। वहीं दिल्ली में, टिन के घरों को बाहर की तुलना में लगभग दो डिग्री अधिक सेल्सियस अधिक गर्म पाया गया।
ऐसे में वाकई, देखा जाये इस अध्ययन से यह बात तो सामने आती है कि घर में रहते हुए, गर्मी की मार से बचना मुश्किल है।