महिलाओं के लिए महिला केंद्रित पर्व-त्यौहार काफी मायने रखते हैं, क्योंकि यही वो समय होता है जब वे आपस में मिलती हैं और एक दूसरे से अपना दिल हल्का करती हैं। आइए जानते हैं इस दौरान किस तरह वे आपस में अपना रिश्ता और मजबूत कर सकती हैं।
फन गेम्स टास्क से आएगा मजा
भारतीय संस्कृति में पर्वों के दौरान खान-पान का विशेष ख्याल रखा जाता रहा है। ऐसे में अधिकतर महिलाओं की यही चाहत होती थी कि वे बढ़िया से बढ़िया भोजन बनाकर अपने परिवार-दोस्त और प्रियजनों को खिलाएं। किचन में सभी महिलाएं मिलकर खाना बनाते हुए हंसी-ठिठोली भी खूब करती थीं। बरसों से यह परंपरा चली आ रही है, जो कई परिवारों में आज भी कायम है। अब भी पर्व के दौरान सिर्फ घर की ही नहीं आस-पड़ोस की भी सारी महिलाएं मिलकर एक साथ पर्व मनाती हैं, फिर वो चाहे तीज हो, करवा चौथ हो, छठ हो या महिला केंद्रित कोई और पर्व। हालांकि आज के बदले दौर में जब अधिकतर खाने-पीने की चीजें बाजार से आने लगी हैं, तो ऐसे में आप चाहें तो अपने डेली रूटीन में थोड़ा सा बदलाव लाते हुए अपनी सहेलियों और घर की अन्य महिलाओं के साथ कुछ फन गेम्स भी खेल सकती हैं। अगर ये फन गेम्स, टास्क पर आधारित हो तो हमें यकीन है, इसमें आपके साथ आपकी सहेलियों को भी मजा आएगा।
नाराजगी को दूर हटाकर गले लगाइए
अभाव में भी भाव का संचय कर मुस्करानेवाली महिलाएं रिश्तों को सहेजना, संवारना और समझना बहुत अच्छी तरह जानती हैं। बड़ी से बड़ी मुश्किलों को हराना हो या मुश्किलों में भी मुस्कुराना हो, हर काम में माहिर महिलाएं पर्वों के दौरान मानो खिल जाती हैं। छोटी-छोटी, नोंक-झोंक के बीच हल्का सा मनमुटाव किनारे कर पर्वों के दौरान मुस्कुराना भी चाहिए। हो सकता है आपकी कुछ ऐसी सहेलियां हों, जिनसे आप लंबे समय से न मिली हों या फिर कुछ ऐसी हों, जिनसे एक छोटी सी नाराजगी के चलते आपने लंबे समय से बात न किया हो। तो ऐसे में इन पर्वों के दौरान आप चाहें तो उन्हें अपने घर इन्वाइट कर या उनके घर जाकर, उनसे मिलकर आप अपनी नजदीकियां बढ़ा सकती हैं। याद रखिए इन पर्वों का मुख्य उद्देश्य आपसी रिश्ता मजबूत करना होता है, तो इसे मत भूलिए। वैसे भी अकेले रहकर पर्व नहीं मनाए जाते।
कुछ पल वृद्धाश्रम में भी बिताइए
हमारी भारतीय संस्कृति में इन पर्व-त्यौहारों की एक खासियत और रही है और वो है दान। आप अपने आस-पास देखेंगी तो आपको ऐसी कई महिलाएं दिखाई देंगी, जिन्हें आपकी जरूरत है। जरूरी नहीं आप उन्हें रूपये-पैसे या कपड़ों का दान दें। आप उन्हें अपना समय भी दे सकती हैं। विशेष रूप से यदि आपके घर के आस-पास कोई वृद्धाश्रम हो तो अपनी सहेलियों के साथ वहां जाएं और उन वृद्ध महिलाओं के साथ थोड़ा वक्त बिताते हुए अपने पर्व की खुशियां उनके साथ बाटें। यकीन मानिए झूठे रिश्तों के मोह में छली गई उन माताओं से मिलकर आपको बहुत अच्छा लगेगा। वैसे भी पर्व का अर्थ ही यही है कि आपकी वजह से किसी के चेहरे पर खुशी आए। उनसे अपने रिश्तों की डोर जोड़कर आप अपने पर्व को और खास बना सकती हैं। वैसे भी महिला केंद्रित इन पर्वों का तात्पर्य चाहे जो भी हो, लेकिन शुरुआत महिलाओं के मजबूत रिश्तों से ही होनी चाहिए।
टेक्स्ट मैसेज को कहें ‘ना'
पर्वों के दौरान आप इस बात का भी खास ख्याल रखें कि अपनी सहेलियों, परिचितों और रिश्तेदारों को टेक्स्ट मैसेज करने की बजाय उनसे पर्सनली मिलकर या उन्हें फोन करके उनसे ढ़ेर सारी बातें हों, जिससे उनके जीवन में क्या चल रहा है इसकी जानकारी भी आपको हो जाए। संबंधों को मजबूती तब मिलती है, जब रिश्ता दिल से जुड़े और ये जुड़ाव तब संभव है, जब आप एक-दूसरे के दिल के करीब रहें। रिश्तों के मजबूती की गारंटी सिर्फ साथ होना नहीं होता, बल्कि साथ निभाना भी होता है। ऐसे में उनसे मिलकर जब आप उनके दिल का हाल जानेंगी तभी बात बनेगी। हालांकि अगर आप उनके घर जा रही हैं, तो कोशिश करें कि उनकी पसंदीदा कोई चीज उनके लिए ले जाएं, जिसे देखकर उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाए। यकीन मानिए आपकी दी हुई चीजें आपकी अनुपस्थिति में भी उन्हें आपकी याद दिलाती रहेंगी।
अपनी नौकरानी को बनाइए अपना परिवार
अगर आपके घर आपकी नौकरानी हैं, तो इन पर्वों में उन्हें शामिल करना न भूलें। वे भी आपके परिवार का एक हिस्सा हैं, उन्हें इस बात का एहसास दिलाइए और कोशिश कीजिए कि उनके साथ उनके बच्चों के लिए भी उपहार का इंतजाम हो। अपने सामर्थ्य अनुसार इन उपहारों के साथ यदि आप उन्हें अपने घर लंच या डिनर पर इंवाइट करें, तो इससे अच्छी बात और कोई हो ही नहीं सकती। उनके बच्चों के साथ उन्हें घर बुलाकर न सिर्फ आप उनसे अपने रिश्ते मजबूत कर सकती हैं, बल्कि अपने बच्चों को भी इस बात का एहसास दिला सकती हैं कि वे समान हैं। और ये बात तो आप भी मानेंगी कि घर के कामों में मदद के लिए उनकी उपस्थिति बेहद जरूरी है।
रोजमर्रा की झंझटों से दूर, रंग जाइए इन पर्वों के रंग
भारतीय संस्कृति में पर्वों को खासा महत्व दिया गया है, विशेष रूप से महिला केंद्रित पर्वों की छटा देखने लायक होती है। यही वो समय होता है जब महिलाएं आपस में मिलकर भावनात्मक रूप से अपना रिश्ता और मजबूत करते हुए इन पर्वों को मनाती हैं। घर की परेशानियों और किचन की रोजमर्रा की झंझटों से दूर यह महिलाएं पूरी जीती हैं अपनी खुशियां। हालांकि आधुनिकता के इस दौर में इन पर्वों के रंगों और उसे मनाने के तरीकों में काफी फर्क आ चुका है और इसी के साथ फर्क आया है परंपरागत विचारों में उलझी महिलाओं की सोच में भी। सास-बहू, ननद-भाभी, देवरानी-जेठानी के साथ मां-बेटी का रिश्ता अब खालिस दोस्ती में तब्दील हो चुका है।
इस मजबूती से सुधरेगा आपका मानसिक स्वास्थ्य
इसमें दो राय नहीं कि पुरुष मित्रों की तुलना में एक महिला मित्र की स्वस्थ दोस्ती, एक महिला से ही हो सकती है। यह उनके जीवन का सबसे मूल्यवान और आवश्यक पहलू है, जो उनमें ऊर्जा का संचार करते हुए उन्हें भावनात्मक शक्ति देता है। सिर्फ यही नहीं महिलाओं के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करके एक महिला अपने स्त्रीत्व को स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकती है। सिर्फ यही नहीं एक-दूसरे का समर्थन करते हुए अपने साझा अनुभवों से वह एक-दूसरे को सशक्त भी बना सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि महिलाओं के बीच मजबूत संबंध से सेरोटोनिन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार आता है। ऐसे में ये कहें तो गलत नहीं होगा कि उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर इन रिश्तों का असर काफी सकारात्मक होता है, क्योंकि यहां वे न सिर्फ सुनी और समझी जाती हैं, बल्कि मूल्यवान भी समझी जाती हैं।
मजबूत दोस्ती की नींव आप रखिए
गौरतलब है कि इन पर्वों के साथ अपने मजबूत रिश्तों को नेक्स्ट लेवल पर ले जाते हुए आप उनसे एक ऐसा मजबूत रिश्ता भी कायम कर सकती हैं, जो इन पर्वों के बाद भी कायम रहे। सामाजिक अवसरों के साथ आप किसी ऐसी गतिविधि, क्लब, ऑर्गनाइजेशन या प्रोग्राम के जरिए भी मिल सकती हैं, जहां आपकी विचारधाराओं से मेल खाती और भी महिलाएं हों। इनसे मिलकर, इनसे अपनी पसंद-नापसंद साझा करके आप एक मजबूत दोस्ती की नींव रख सकती हैं। हालांकि सिर्फ दोस्ती करना ही काफी नहीं, बल्कि इस दोस्ती को कायम रखना भी बेहद जरूरी है। यदि आपको लगता है कि आपकी यह दोस्ती लंबे समय तक चल सकती हैं, तो जरूरत पड़ने पर आप ही इनिशिएटिव लेकर अपने रिश्तों को मजबूत बनाने का प्रयास करें।