राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training) द्वारा गुरुवार को जारी एक अध्ययन में कहा गया है कि छह से सोलह वर्ष की आयु वर्ग में जनसंख्या में गिरावट के कारण 2025 तक सभी स्तरों पर स्कूल में बच्चों के दाखिले में गिरावट दर ऐसी ही रहने की उम्मीद है।
“2025 तक स्कूल नामांकन का प्रोजेक्शन और रुझान” (Projection and Trends of School Enrolments by 2025) शीर्षक वाले अध्ययन में 1950 और 2016 के बीच अधिक नामांकन में 900% की वृद्धि और छात्राओं की संख्या में 1000% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई थी।
एक विशेष आयु वर्ग के बच्चों की आबादी बढ़ने से ही स्कूलों में नामांकन की वृद्धि हुई थी। 2011 की जनगणना के अनुसार, बाल आबादी के मामले में गिरावट आई है। अध्ययन में कहा गया है, "1991 की जनगणना में, कुल जनसंख्या में 0-6 साल के बच्चों की आबादी का आंकड़ा लगभग 18% था, जो 2011 की जनगणना में गिरकर 13.12% हो गया। 1991 से 2011 तक बालिकाओं की आबादी का आंकड़ा भी 18.12% से घटकर 12.93% हो गया।"
अध्ययन में पाया गया कि प्राथमिक स्तर पर नामांकन 2011 के बाद घटने लगा, वहीं उच्च प्राथमिक स्तर पर नामांकन 2016 के बाद कम होने लगा। रिपोर्ट में कहा गया है, "लड़के और लड़कियों दोनों की संख्या को मिलाया जाए तो 2019 के बाद द्वितीयक स्तर पर भी आंकड़ें कम होते चले गए। 2011 से, नामांकन में गिरावट आ रही है और यह 2025 तक जारी रहेगा।"
अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि 2011 और 2025 के बीच नामांकन में लगभग 14.37% की कमी आने की संभावना है। इसमें से लड़कों के नामांकन में 13.28% और लड़कियों के नामांकन में 15.54% की कमी होने की संभावना है। “उच्च प्राथमिक स्तर यानी छठीं कक्षा से आठवीं कक्षा तक, लड़कों, लड़कियों और कुल नामांकन में 2016 से गिरावट शुरू हुई। इस अवधि के दौरान, नामांकन में 9.47% (कुल), 8.07% (लड़के) और 10.94% (लड़कियां) की कमी आई। इसी तरह माध्यमिक स्तर यानी नौवीं और दसवीं कक्षा में भी नामांकन में गिरावट दर्ज की गई, लेकिन यहां गिरावट 2019 से शुरू हुई।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (National Council of Educational Research and Training) एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि एनसीईआरटी की रिपोर्ट देश के पॉलिसी प्लानर, पॉलिसी मेकर्स और शोधकर्ताओं के लिए बहुत काम की होगी।
बता दें कि एनसीईआरटी की रिपोर्ट में शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रकाशित शिक्षा के आंकड़ों, परिषद द्वारा आयोजित अखिल भारतीय स्कूल शिक्षा सर्वेक्षण, और शिक्षा मंत्रालय द्वारा एकत्र किए गए जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) के आंकड़ों और 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है।