भारतीय डाक बेंगलुरु के 10 स्कूल में अवेयरनेस प्रोग्राम करने वाले हैं जिसमें वो स्कूल के बच्चों को सेविंग्स के महत्व को समझाएंगे। डाक विभाग ने अपने सभी डाकघरों को कोर बैंकिंग सर्विस (सीबीएस) से जोड़कर एक रिकॉर्ड बनाया है। यह दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय सेवा नेटवर्क चलाता है और लाखों लोगों को कई सेवाएं प्रदान करता है।
2011 और 2016 के बीच, विकासशील देशों में महज 9% महिलाओं के पास बचत खाते थे। इसके कारण कई महिलाएं अपने आर्थिक जीवन पर नियंत्रण नहीं रख पा रही थीं। यह भी देखा गया है कि अधिक मोबाइल बैंक खातों वाले देशों में लिंग भेदभाव कम था। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए डाक विभाग ने खाता खोलकर महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया है। इसने पहले ही 10 साल की लड़कियों के लिए 'सुकन्या समृद्धि' नामक एक जमा योजना शुरू की है, जिसमें साल भर में अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं।
महिलाओं के बाद अब डाक विभाग ने स्कूल के बच्चों के लिए भी एक खास सेविंग्स योजना प्रस्तुत की है। वे चाहते हैं कि बच्चे भी अपने खाते खोलें और पैसों की सेविंग्स की तरफ उनका झुकाव बचपन से ही होने लग जाए। इस स्कीम में 10 साल की उम्र से कम के बच्चे भी अपना खाता खोल सकते हैं और इसमें अपने पेरेंट्स द्वारा दिए गए पैसों को जमा करवा सकते हैं। वे अपने पेरेंट्स के मोबाइल पर एप्प डाउनलोड करके इन पैसों से ऑनलाइन शॉपिंग भी कर सकते हैं और 18 साल की उम्र के बाद वो इन खातों को खुद हैंडल कर पाएंगे।
चीफ पोस्ट मास्टर जनरल राजेंद्र कुमार ने कहा है, “यह स्कीम बेंगलुरु के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों के लिए भी लॉन्च होगा। डाक विभाग के स्टाफ ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल जाकर पैसे लाएंगे और जमा करेंगे।”
बता दें कि आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान डाक विभाग ने फ्रीडम फाइटर्स के लिए 100 से भी ज्यादा स्पेशल स्कीम्स निकाली थीं। सेविंग्स सबको आनी चाहिए, डाक विभाग के इस उद्देश्य से कई लोगों को फायदे हुए हैं और लोगों ने अपने सेविंग्स का फायदा उठाया है।