ग्रामीण महिलाएं एक तरफ जहां घर की चारदीवारी से निकल आर्थिक तौर पर खुद को मजबूत कर रही हैं, वहीं दूसरी तरफ गांव की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी अपने हाथ में संभाल रखी है। इन सभी महिलाओं ने अपने हिम्मत और हौसले के दम पर यह कर दिखाया है कि वह हाथ में लाठी लेकर न केवल अपनी, बल्कि पूरे गांव की रक्षा का भार अपने कंधे पर उठाने के लिए पूरी तरह से सक्षम हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
उत्तर प्रदेश की ग्रीन आर्मी की महिलाएं
उत्तर प्रदेश के बनारस जिले में मौजूद ग्रीन आर्मी महिलाओं की रक्षा के लिए कई सालों से काम कर रही हैं। हरी साड़ी वाली महिलाओं का एक समूह है, जिसके बारे में आपने कहीं न कहीं सुना होगा। बीते कुछ दिनों से एक बार फिर यह महिलाएं चर्चा में आ गई हैं, इसकी वजह यह है कि यह महिलाएं लगातार उत्तर प्रदेश जिले के गांवों में घरेलू हिंसा और उत्पीड़न के खिलाफ ऐसी महिलाओं की सहायता कर रही हैं, जो कि अपने खिलाफ उठ रही आवाज के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठा पाती हैं।
ग्रीन आर्मी में शामिल 1800 महिलाएं
ग्रीन आर्मी की महिलाओं की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह खुद को शारीरिक तौर पर मजबूत करते हुए कई तरह की प्रशिक्षण लेती हैं, जहां पर वह खुद पर हुए हमले के दौरान कैसे बचाव किया जाए और खुद की सुरक्षा करना सीखती हैं। बता दें कि साल 2017 में बनारस के कुशियारी गांव में ग्रीन आर्मी का गठन किया गया था। इसके बाद बनारस के साथ अयोध्या, बलिया, मिर्जापुर, सोनभद्र और जौनपुर में ग्रीन आर्मी का विस्तार हुआ। ग्रीन आर्मी की महिलाओं की गिनती 1800 के करीब है।
बिहार की महिलाएं कर रही हैं जंगल की रक्षा
यह भी दिलचस्प है कि बिहार की महिलाएं जंगल की रक्षा करने का जिम्मा उठाया है। बीते एक साल से यह महिलाएं लगातार जंगल की रक्षा कर रही हैं और पर्यावरण को बचाने का संदेश दे रही हैं। इसके पीछे जमुई जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र की 54 साल की चिंता देवी हैं, जो कि पर्यावरण की सुरक्षा और पशुओं की रक्षा के लिए काफी समय से काम कर रही हैं। चिंता देवी ने महिला गश्ती दल बनाया है, जो कि पेड़ों को कटने से रोकने के साथ उनकी सेवा का भी काम करती हैं। उनके इस दल में 20 से 25 महिलाएं हैं, जो कि पेड़ और पौधों को संतान की तरह प्रेम करती हैं। चिंता देवी को उनके इस कार्य के लिए कई पुरस्कार और सराहना भी मिल चुकी है।
शराबियों से करती हैं महिलाएं गांव की रक्षा
झारखंड के कोडरमा जिले में महिलाएं लाठी के साथ पहरेदारी करती हैं, इसके पीछे की वजह यह है कि गांव में शराबियों का मेला लगता है, जिससे गांव की महिलाएं काफी परेशान हो गई थीं। ये महिलाएं शराबियों को गांव में आने से रोकती हैं। स्थानीय पुलिस ने भी महिलाओं को इसमें सहयोग दिया है। हुआ यूं कि शराब पीने के बाद ये गांव में परेशानी खड़ी कर देते हैं। कई बार छेड़छाड़ की भी घटना होने लगी थी, जिससे पूरा गांव काफी परेशान हो गया था। ऐसे में यहां की महिलाओं ने यह मिलकर तय किया कि वे गांव की रक्षा की जिम्मेदारी में अपनी पूरी ताकत लगायेंगे और इसी तरह से वे लंबे समय से अपने मकसद में कामयाब भी हो रही हैं।
मध्य प्रदेश की इस महिला ने बताया साइबर सुरक्षा के तरीके
गांव हो या शहर फोन का इस्तेमाल बढ़ा है, साथ ही साइबर क्राइम के भी मामलों में इजाफा हुआ है। ऐसे में जरूरी है कि खासतौर पर महिलाओं को इससे अवगत कराया जाए। मध्य प्रदेश के आगर मालवा में की महिला पुलिस अधिकारी स्कूल और कॉलेज में जाकर चौपाल का आयोजन करती हैं और लड़कियों को साइबर क्राइम से सचेत करने का काम करती हैं। इसके साथ दो महिला पुलिस अधिकारी हर तीन दिन में किसी न किसी गांव जाकर आंगनबाड़ी या फिर किसी और जरिए से महिलाओं को साइबर क्राइम से सावधान रहने के तरीके और सुरक्षित रहने के उपाय बताती हैं। पुलिस अधिकारी का मानना है कि मोबाइल के सहारे हो रहे अपराधों से बचाव किया जा सकता है। इन महिला पुलिस अधिकारियों के चौपाल की भी काफी तारीफ हो रही है और महिलाएं इससे जागरूक हो रही हैं।