मध्य प्रदेश के रेहटी से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ढाबा गांव। ऐसे में यहां की कुछ महिलाओं ने शानदार काम किया है, उन्होंने शुरुआत छोटी सी की थी, लेकिन अब उन्होंने शानदार पहचान बना ली है। जी हां, यहां की एक बबीता नाम की महिला ने लोन लेकर एक दुकान की शुरुआत की थी। फिर बाद में उसने मारूति वैन खरीद ली। फिर वह अपने बेटे के साथ उसी वैन में जाकर किराना, पापड़-बड़ी जैसी चीजें भरकर गांवों में बेचने जाती थीं। कुछ ऐसा ही वहां पास की अन्य महिलाओं की भी है, जो दोने और पत्तल बनाती हैं और आस-पास के गांव में जाती हैं। ऐसे में धीरे-धीरे 260 स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं तीन हजार महिलाओं ने भी ऐसा ही किया और आज सभी आत्म-निर्भर बन गई हैं। धीरे-धीरे कई महिलाएं जागृति महिला संस्थान द्वारा बनाये गए समूहों में जुड़ती चली गयीं। गौरतलब है कि पांच साल पहले शुरू हुए इन समूह के खातों में एक करोड़ 10 लाख के करीब जमा हैं। एक खास बात यह भी है कि इन महिलाओं का समूह मिल कर 134 किराना दुकानें चला रही हैं। खास बात यह है कि ये आपस में भी लेन-देन कर रही हैं। एक दूसरे की दुकानों पर अगर चीजें घटी हैं, तो वे एक दूसरे को मदद करती हैं। वाकई, यह एक बेहतरीन पहल है, जिसमें महिलाओं ने अपने लिए रोजगार के अच्छे विकल्प स्थापित कर लिए हैं। और अब एक शानदार कमाई कर रही हैं।