ऐसी खबरें जब सामने आती हैं, तो एक आशा की किरण सामने आती है कि ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं कुछ करने की कोशिश कर रही हैं और खुद के लिए नया आकाश बना रही हैं। छत्तीसगढ़ के पुसौर विकासखंड में कुछ ऐसा ही कर दिखाया है, महिलाओं ने, जहां 10 स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं मशरूम की खेती करके खुद को आत्म-निर्भर बना रही हैं और अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। खास बात यह है कि उन्हें कई विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है और साथ ही उन्हें सतही नहीं, बल्कि तकनिकी जानकारी भी दी जा रही हैं। उन्हें मशरूम की खेती से संबंधित चीजें, जैसे मशरूम बीज, पॉलीथिन बैग्स, चाक पाउडर देकर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। फिलहाल, इस खेती में 10 स्वयं सहायता समूह हैं, जिनमें 48 महिलाएं हैं, साथ ही इसका मकसद महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। खास बात यह है इन महिला समूहों द्वारा पैडी स्ट्रा और ओएस्टर मशरूम का उत्पादन करके ग्राम और स्थानीय स्तर पर बिक्री करने की कोशिश की जा रही है। खास बात यह है कि अब तक इन समूहों ने कुल 430 किलो मशरूम का उत्पादन कर लिया है।
वाकई, यह महिला सशक्तिकरण के लिहाज से छोटी ही सही लेकिन खास पहल है और ग्रामीण इलाकों में ऐसी और भी पहल होती रहनी चाहिए।
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